Travel: रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर

रणथंभौर के किले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर अपने आप में अकेला व अनूठा है। यहाँ तीन आँखों वाले गणेश की मूर्ति स्थापित है। गणेश मंदिर तक का रास्ता खंडहरों में से होकर जाता है, जहाँ कभी रणथंभौर का मजबूत किला हुआ करता था।

By Lotpot
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Trinetra Ganesh temple Ranthambhore

रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर 

Travel रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर:- रणथंभौर के किले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर अपने आप में अकेला व अनूठा है। यहाँ तीन आँखों वाले गणेश की मूर्ति स्थापित है। गणेश मंदिर तक का रास्ता खंडहरों में से होकर जाता है, जहाँ कभी रणथंभौर का मजबूत किला हुआ करता था। रास्ते में एक जैन मंदिर और सूफी की मजार भी पड़ती है तथा कल-कल करता है हम्मिरकुंड, जहाँ तालाब में पहुचने से पहले पानी पनाला में बहता है। यह पूरा रास्ता हरियाली से भरा है, जो शांति व नये जोश का एहसास कराता है। यहीं पर हिरणों को झुंडों में विचरते देखा जा सकता है। यहाँ के खंडहरों को देखकर यह कल्पना स्वाभाविक थी कि कभी यहाँ राजा और रानियां सजे हुए कमरों में रहते रहे होंगे, कालीनों पर चलते रहें होंगे और छतों पर झाड़-फानूस टंगे रहे होंगे। (Travel)

Ranthambhore Fort

ईंटों के बने रास्ते पर थोडा आगे बढ़ते ही चारों तरफ से खुला हनुमान मंदिर है। आपको बता दूँ की... 

ईंटों के बने रास्ते पर थोडा आगे बढ़ते ही चारों तरफ से खुला हनुमान मंदिर है। आपको बता दूँ की गणेश चतुर्थी के अवसर पर हजारों लोग मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं तथा बहुत से लोग पत्र लिखकर गणेश जी को अपने परिवार में होने वाले शुभ अवसरोंपर आमंत्रित भी करते हैं। जो मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते हैं वह अपने निमंत्रण डाक द्वारा भेज देते हैं, जिन्हें स्थानीय डाकिया मंदिर तक ले जाता है। (Travel)

गणेश विघ्न-विनाशक हैं यानि बाधाओं को दूर करने वाले। किसी भी शुभ कार्य की शरूआत उन्ही का नाम लेकर किया जाता है ताकि उन्हें कामयाबी मिल सके। मंदिर में गणेश जी की मूर्ति बीच स्थान में रखी हुई है और उनके दोनों तरफ रिद्धि और सिद्धि है, जो अपने भक्तों पर धन व विशेष शक्तियों से कृपा करती हैं। गणेश जी की मूर्ति में तीन आँखें हैं। तीसरी आँख दैविक जागृति का प्रतीक है, जो विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। गणेश जी की इस मूर्ति की स्थापना 13वीं या 14वीं शताब्दी में की गयीं थी।उस समय रणथंभौर के राणा हम्मीर सिंह, खिलजी राजाओं के खिलाफ युद्ध कर रहे थे, जिन्होंने किले की घेराबंदी की हुई थी। (Travel)युद्ध ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था और किले के अन्न भंडारों में अनाज खत्म होता जा रहा था। राणा ने गणेश जी की पूजा की और गणेश ने राणा को सपनें में दर्शन देते हुए उन्हें युद्ध जीतने का विश्वास दिलाया। बाद में राणा ने किले की दीवारों पर तीन आँखों वाले गणेश जी की तसवीरें देखीं। घेराबंदी के बाद राणा ने मंदिर में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की। इस मंदिर प्रांगण तथा आसपास में लंगूर, मोर व तोतों का वास है, जो दिन में आने-जाने वाले दर्शनार्थियों के साथ आगे-पीछे चलते रहते हैं। (Travel)

मदिर के अलावा सवाई माधवपुर शहर भी घूमा जा सकता है, जो रणथंभौर के दरवाज़े से विख्यात है। इस शहर को जयपुर के सवाई माधव सिंह ने बनवाया था। यह शहर अपने अमरूदों के लिए भी विख्यात है और पूरे राजस्थान में ‘माधवपुर अमरूद’ बेचे जाते हैं। इस शहर में एक ऐतिहासिक म्यूजियम है, जन जागृति के लिए केंद्र है कि किस तरह प्रकृति का संरक्षण किया जाए। और ग्रामीण कला व क्राफ्ट के लिए शिल्पग्राम कॉम्प्लेक्स है, जिसमें पश्चिमी राजस्थान के आदिवासियों की जीवनशैली को दिखाया गया है। (Travel)

इसके अलावा रणथंभौर नेशनल पार्क भारत का प्रमुख टाइगर रिज़र्व है, यह भी घूमा जा सकता है। यह पार्क किसी ज़मानें में राजस्थान के शाही परिवार की शिकारगाह था। 1980 में केंद्रीय सरकार ने इस पार्क को टाइगर रिज़र्व के रूप में घोषित किया ताकि तेजी से लुप्त हो रहे बाघों को लुप्त होने से बचाया जा सके। पार्क में बाघों के अलावा तेंदुए, नीलगाय, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, भालू आदि भी हैं। (Travel)

Ranthambhore National Park

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