कौआ और चिड़िया की बहुत अच्छी कहानी

अच्छी कहानी  : एक बार की बात है कि एक चिड़िया की एक कौए से दोस्ती हो गई। एक दिन वह दोनों खाने की तलाश में थे। कौए ने देखा कि, चटाई पर कुछ मिर्चे सूखने के लिए फैलाई हुई है। कौए ने चिड़िया से कहा- वह देख, वह सामने मिर्च हैं। आओ देखें, कौन ज्यादा खा सकता है?

By Ghanshyam
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very nice story of crow and bird

अच्छी कहानी  : एक बार की बात है कि एक चिड़िया की एक कौए से दोस्ती हो गई। एक दिन वह दोनों खाने की तलाश में थे। कौए ने देखा कि, चटाई पर कुछ मिर्चे सूखने के लिए फैलाई हुई है। कौए ने चिड़िया से कहा- वह देख, वह सामने मिर्च हैं। आओ देखें, कौन ज्यादा खा सकता है?

ठीक है चिड़िया ने जवाब दिया।

कौआ बोला- जो जीतेगा, वह दूसरे को खा जायेगा।

चिड़िया यह सुनकर हंसी, पर मान गई, क्योंकि उसने समझा कौआ मजाक कर रहा है। भला कभी दोस्त भी एक दूसरे को खाते हैं। चिड़िया ने जो मिर्च खाई, साफ-साफ खाई, लेकिन कौए ने धोखा किया।

वह एक मिर्च खाता और तीन मिर्चे चिड़िया से नजर बचाकर चटाई से नीचे छुपा देता।

कौए ने कहा। आहा मैं जीत गया हूँ अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा। अब चिड़िया को विश्वास आया कि कौआ तो मुझे सचमुच खा जाना चाहता है।

चिड़िया बोली- अच्छा ठीक है। मैं अपने वायदे पर कायम हूँ। लेकिन मुझे खाने से पहले तुम्हें अपनी चोंच धो लेनी चाहिये। सब जानते है कि तुम गंदे पंछी हो। तुम सारा दिन अलान्बला किस्म की गंदी मंदी चीजें खाते रहते हो।

अतः कौआ दरिया के पास गया और बोला। दरिया दरिया। मुझे पानी दो, जिससे में अपनी चोंच धो सकूं, और स्वयं को साफ सुथरा कर सकंू, ताकि मैं चिड़िया को खा सकूं।

दरिया ने जवाब दिया। तुम्हें पानी चाहिए? बहुत अच्छा, पर हर कोई यह कहता है तुम गंदी-मंदी चीजें खाते हो। अगर तुम मेरे पानी से अपनी चोंच धोनी चाहते हो, तो एक प्याला लाओ।

उस में तुम पानी डाल सको और फिर चोंच डुबो सको। प्याला ले आओं

फिर तुम जितना चाहे, पानी ले सकते हो।

कौआ भागा भागा गांव में कुम्हार के पास गया और बोला।

ए कुम्हार-ए कुम्हार। मुझे एक प्याला बना दो जिस में मैं पानी भरूं।

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जिससे मैं अपनी चोंच धो सकूं, और खुद को साफ-सुथरा कर सकूं, ताकि मैं चिड़िया को खा सकूं।

कुम्हार ने कहा। तुम्हें एक प्याला चाहिये? ठीक है, पर मेरे पास मिट्टी नहीं है। मुझे तुम कुछ मिट्टी ला दो। मैं तुम्हें प्याला बना दूंगा।

कौआ एक मैदान में गया और अपनी चोंच से मिट्टी खोदनी शूरू की। जमीन बोली। सारी दुनिया जानती है कि तुम कूड़ा-कर्कट, गंदी-मंदी चीजें खाते हो। मैं तुम्हें अपनी चोंच से मिट्टी उखाड़ने की इजाजत नहीं दूंगी। हां तुम कुदाल से मिट्टी खोद सकते हो।

कौआ अब लोहार के पास गया, जो पहिया बनाने में मगन था। कौए ने उससे कहा। ए लोहार, ए लोहार।

मुझे एक कुदाल बना दो। जिससे मैं मिट्टी खोद सकूं, जिससे प्याला बनाऊँ, जिसमें अपने लिए पानी लाऊँ, जिससे अपनी चोंच धो सकूं, और स्वयं को साफ सुथरा रख सकूं, ताकि मैं चिड़िया को खा सकूं।

लोहार ने कहा। तुम्हें एक कुदाल चाहिये? अच्छा ठीक है, पर बात यह है कि मेरी भट्ठी में तो आग नहीं है। अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये एक कुदाल बना दूं, तो तुम कहीं से आग ढूँढ लाओ।

पास ही एक किसान का घर था। कौआ वहां गया, किसान की बीबी आंगन में बैठी चावल पका रही थी। कौए ने उससे कहा। प्यारी किसान की बीवी।

मुझे आग दो। ताकि मैं कुदाल बनवाऊँ, जिससे मिट्टी खोदू, जिससे प्याला बनवाऊँ, जिसमें में पानी लाऊँ ताकि चिड़िया को खा सकूं।

किसान की बीबी बोली। तुम्हें आग चाहिये? ठीक है पर तुम आग लेकर कैसे जाओगे?

कौए ने कहा। तुम आग मेरी कमर पर रख दो। किसान की बीबी ने आग कौए की कमर पर रख दी, और देखते ही देखते कौए के पंख शोलों की तरह भड़कने लगे। लालची कौआ जल कर राख हो गया, पर ईमानदार चिड़िया हंसी खुशी जीवन बिताती रही।

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