भूकंप में क्या करें क्या ना करें?

भूकंप का इतिहास बहुत पुराना है। धरती की तलहटी में अक्सर कुछ न कुछ गतिविधियां होती रहती है जिनके तीव्र होने पर धरती के ऊपरी सतह में कंपन होती है, वो कंपन जितनी ज्यादा तेज और तीव्र हो, भूकंप उतना ही भयंकर होता है जो धरती के हर प्राणी, जड़ चेतन को खतरे में डाला जाता है। रिक्टर स्केल पर 6 से 9 + तक का भूकंप अब तक के सबसे खतरनाक भूकंप माने जाते है।

By Lotpot Kids
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What to do and what not to do in an earthquake?

भूकंप का इतिहास बहुत पुराना है। धरती की तलहटी में अक्सर कुछ न कुछ गतिविधियां होती रहती है जिनके तीव्र होने पर धरती के ऊपरी सतह में कंपन होती है, वो कंपन जितनी ज्यादा तेज और तीव्र हो, भूकंप उतना ही भयंकर होता है जो धरती के हर प्राणी, जड़ चेतन को खतरे में डाला जाता है। रिक्टर स्केल पर 6 से 9 + तक का भूकंप अब तक के सबसे खतरनाक भूकंप माने जाते है।

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। जब पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटें खिसक जाती हैं या पृथ्वी के नीचे लगातार चल रहे गतिविधि के कारण हिल जाती हैं तब भूकंप का डर रहता है। टेक्टोनिक प्लेटें विशाल टुकड़ों की तरह हैं जो पृथ्वी के सतह में एक साथ फिट होती हैं। जब ये प्लेटें खिसकती हैं या हिलती है, तो इसमें से ढेर सारी ऊर्जा निकलती है, जिससे जमीन हिल जाती है। भूकंप लाखों सालों से हो रही है। कहा जाता है कि चीन में, 780 ईसा पूर्व और 1831 ईसा पूर्व में सबसे पहला भूकंप आया था। उसके बाद, पूरी दुनिया में ढेर सारे भूकंप आए, इनमें से सबसे भयंकर भूकंपों में 1906 का सैन फ्रांसिस्को भूकंप, 1923 में जापान का ग्रेट कांटो भूकंप, 1952 का रशिया भूकंप 1960 चिली का भूकंप, 1964 अलास्का का भूकंप, 2004 में सुमात्रा इंडोनेशिया भूकंप, 2010 का हैती भूकंप और 2011 का जापान भूकंप माना जाता है।

भूकम्पों के दायरे और तीव्रता में भौगोलिक स्थिति की बड़ी भूमिका होती है। भूकंप उन क्षेत्रों में ज्यादा आम हैं जहां टेक्टोनिक प्लेटें एक साथ जुड़ी होती हैं या जहां इन प्लेटों में कोई बदलाव आता हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि हम भूकंप से खुद को कैसे बचा सकते हैं?

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा हैं जिससे जान और माल का नुकसान हो सकता है, भूकंप से आग लग सकती है, बड़े छोटे मकान, इमारतें, पुल, पुराने पेड़, खंबे सब ढह सकते है, सड़कों या कोई भी जगह दरार आ सकती है और भूकंप के आफ्टर इफेक्ट्स के रूप में भूस्खलन, सूनामी और आफ्टरशॉक्स भी आ सकते हैं। लिफ्ट और सीढ़ियों से दूर रहने की कोशिश करें। अब बात करते है कि भूकंप से खुद को कैसे बचाएं, भूकंप के दौरान क्या करें और क्या न करें।
एक बैग हमेशा तैयार रखिए जिसमें परिवार के सभी सदस्यों के लिए एक जोड़ी आरामदायक घरेलू पोशाक, प्राथमिक चिकित्सा के रूप में दर्द निवारक गोलियाँ, एंटी सेप्टिक लिक्विड, बैंड एड, बैंडेज, रूई का पैकेट और कैंची और रोजमर्रे की जरूरी दवाइयाँ, सूखे मेवे, बिस्किट, पीने का पानी, बैट्री वाला टॉर्च और एक्स्ट्रा बैटरी, मोमबत्तीयाँ, मैच बॉक्स होनी चाहिए। साथ ही आपके और परिवार वालों के पहचान पत्र, रिश्तेदारों के फ़ोन नंबर्स, अम्बुलेंस, अस्पताल, डॉक्टर्स के फोन नंबर्स, बैंक चेक बुक, क्रेडिट कार्ड, जूते मोबाइल, एक तेज आवाज करने वाली सिटी, और थोड़े पैसे भी बैग में रखें।

भूकंप के समय घबराकर पैनिक ना करें और शांति बनाए रखिए। कोई मजबूत टेबल, डेस्क, पलंग से चिपक कर साइड में छुपने की जगह बनाएं क्योंकि कहते हैं कि पलंग या टेबल के नीचे छुपने से, मलबे के कारण छोटी जगह में फँस जाने का खतरा है, साथ ही खिड़कियों, बड़े आइने, झूमर, कांच के दरवाजों, अलमारी और गिरने वाले फर्नीचर, पिलर से दूर रहें। सर और गर्दन को बचाने की कोशिश करें। अगर आप घर से बाहर सड़क पर है तो इमारतों, स्ट्रीट लाइटों, पेड़ों, फ्लाई ओवर्स, ब्रिजों और इलैक्ट्रिक तारों, टावर और खंभों से दूर रहें।

भूकंप के कंपन बंद होने तक अपने सुरक्षित स्थान पर ही रहें।

भूकंप के दौरान अपने घर को छोड़ कर भागने की हड़बड़ाहट का प्रयास न करें, इससे भाग‍दड़ मच सकती है, चोट लग सकती है तथा फिर से भूकंप आने लगे तो संतुलन बिगड़ सकता है, सीढ़ियों या लिफ्ट में फंस सकते हैं। लेकिन यदि आप किसी ऐसे इमारत में रहते हैं जो बहुत पुरानी और जर्जर हो चुकी है तो उसे तुरंत खाली करना ही ठीक रहेगा। अगर मलबे में फंस गए हो तो आपके पास जो भी चीज़ हो उसे बजाते रहे ताकि रेस्क्यू टीम आपकी आवाज सुन सके। एक सीटी हमेशा साथ रखें। मलबे से निकलने वाले धूल से बचने की कोशिश करे, कपड़े से नाक मुँह ढ़के। बार बार चिल्लाने से धूल साँस नली में जाने का खतरा है। जब जरूरत हो तभी चिल्लाइये।

★ सुलेना मजुमदार अरोरा