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हम आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जगहों के बारे में बताते है जिन्होंने स्वंत्रता दिलवाने में अहम भूमिका निभाई है और जिनके बिना भारत का स्वतंत्रता आंदोलन अधूरा है।
बारकपुर
1857 का मशहूर सशस्त्र विद्रोह बारकपुर से ही शुरू हुआ था जब सिपाही मंगल पांडे ने अंग्रेजी शासको की बात मानने से इंकार कर दिया था। मंगल पांडे को गुस्सा था कि सैनिको को कारतूस खाने थे और अफवाह थी कि उन कारतूसों पर लगी ग्रीस भैंस से निकाली जाती है, जो हिंदुओ को नामंजूर था। जब अंग्रेज लेफ्टिनेंट हेनरी बाॅघ बेंचैनी को देखने पहुंचे तो पांडे ने उन पर गोली चला दी थी और इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी अफसरों ने मंगल पांडेय को तलाशने का फरमान दिया लेकिन सिपाहियों ने इस आर्डर को मानने से मना कर दिया । हालाँकि बाद में मंगल पांडे पकड़ा गया और उन्हें 8 अप्रैल 1857 में फांसी पर चढ़ा दिया गया। बारकपुर भारत की सबसे पुरानी छावनी है।
झाँसी
झाँसी शहर को रानी लक्ष्मीबाई का शहर कहा जाता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर बगावत पहुँच चुकी थी और बाद में वह लड़ाई में बदल गयी थी। अंग्रेजों ने झाँसी को ‘‘डोक्टोरिने आॅफ लैप्स’’ की पालिसी के तहत हड़प लिया था और रानी के अपनाये हुए बेटे को राजगद्दी का वारिस मानने से इनकार कर दिया था। जब लड़ाई छिड़ी, तब झाँसी मध्य भारत का विद्रोही सेंटर बन गया था। रानी लक्ष्मी बाई ने राज्य को पड़ोसी राजा डटिए और ओरछा से बचा लिया,जो अंग्रेजों के चमचे थे। रानी झाँसी को सर रोज की सेना ने हराया था। इसके बाद रानी ने मराठाओं की मदद से ग्वालियर शहर पर फतेह हासिल की। रानी की मृत्यु। 17 जून 1858 में ग्वालियर की लड़ाई के दौरान हुई। कई अंग्रेज कमांडर ने उन्हें जांबाज हिम्मत के चलते उनकी तुलना ‘‘जोआन आॅफ अर्च’’ से की।
बाॅम्बे
स्वतंत्रता आंदोलन में बाॅम्बे एक महत्वपूर्ण जगह रही है। कांग्रेस को बाॅम्बे में अल्लन ऑक्टेवियन ह्यूम ने खोजा था। कांग्रेस की पहली सभा 28 से 31 दिसंबर 1885 में बाॅम्बे में हुई थी और इसमें 72 लोगों ने हिस्सा लिया था। वोमेश चंद्र बनर्जी ने कांग्रेस के पहले सेशन की अध्यक्षता की थी।
कोलकाता
भारत की संस्कृति राजधानी कहे जाने वाला कोलकाता स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीयता का सेंटर बना रहा। इंडियन नेशनल एसोसिएशन पहली राष्ट्रीय संस्था थी जिसे कोलकाता में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनंदमोहन बोस ने खोजा था। कोलकाता में बढ़ती राष्ट्रीयता से अंग्रेज डर गए थे और उन्होंने 1911 में अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली कर ली। कोलकाता से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले थे रबीन्द्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, औरोबिन्दो घोस, राश बिहारी बोस, खुदीराम बोस, सुभाष चंद्र बोस आदि।
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग जलियांवाला बाग नर हत्या के लिए मशहूर है जो 13 अप्रैल 1919 में हुआ था। बैसाखी के मौके पर अंग्रेजी सेना के कमांडर रेगीनाल्ड डायर ने अपनी सेना पर वह इकट्ठे हुए लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। यह सब लोग वह पर शांति से अपने दो नेता डाॅक्टर सत्यपाल और डाॅक्टर सैफुद्दीन कीतचलू के गिरफ्तार होने का विद्रोह कर रहे थे। जनरल डायर 65 गोरखा, 25 बलोची और पठान सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग पहुंचे और वह इकठे हुए लोगों को आगाह किये बिना उन्होंने अपनी सेना को उनपर गोली चलाने का आदेश दे दिया। यह गोलीबारी करीब 10 मिनट तक बिना रुके चली। अंग्रेजो के डाटा के मुताबिक इस हादसे में मासूम और बेकसूर लोगों पर करीब 1650 गोलिया चलायी गयी जिनमे से 379 की मौत हो गयी और 1200 लोग जख्मी हो गए। हालाँकि नेशनल कांग्रेस ने अंदाजा लगाया था की इस हादसे में 1000 से ज्यादा लोगों की जाने गयी थी। जलियांवाला बाग के हादसे से स्वतंत्रता आंदोलन में नया मोड़ आया। स्वंतत्रता सैनानी उधम सिंह ने जनरल डायर को 1940 में गोली मार दी।