बाल कहानी : मोती की भक्ति भावना किसी गाँव में एक जमींदार रहता था। उसने एक कुत्ता पाल रखा था। उसका नाम था ‘मोती’ मोती बड़ा, लम्बे बालों वाला शिकारी कुत्ता था। जब सारा घर मीठी नींद में सोता था, मोती उस समय बाहर बरामदे में जाकर घर की चैकसी किया करता था। कई बार तो उसने घर को चोरों से भी बचाया था। इसी वजह से उसकी घर में बड़ी कद्र होती थी। रोज दोनों समय नियम से उसे दूध मिलता था और वह नरम बिस्तर पर सोता था। By Lotpot 04 Feb 2020 | Updated On 04 Feb 2020 10:59 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Lotpot Kids Stories) मोती की भक्ति भावना : किसी गाँव में एक जमींदार रहता था। उसने एक कुत्ता पाल रखा था। उसका नाम था ‘मोती’ मोती बड़ा, लम्बे बालों वाला शिकारी कुत्ता था। जब सारा घर मीठी नींद में सोता था, मोती उस समय बाहर बरामदे में जाकर घर की चैकसी किया करता था। कई बार तो उसने घर को चोरों से भी बचाया था। इसी वजह से उसकी घर में बड़ी कद्र होती थी। रोज दोनों समय नियम से उसे दूध मिलता था और वह नरम बिस्तर पर सोता था। मगर जैसे जैसे मोती की उम्र ढलती गई। वह कमजोर होता गया। मालिक का बर्ताव भी उसके साथ कठोर होता गया। धीरे-धीरे उसका दूध बंद हो गया फिर एक दिन उसे रोटी मिलनी भी बंद हो गई। वह यों ही जमीन पर मुुँह रखे पड़ा रहता। जब मालिक को किसी तरह भी उस पर दया नहीं आई तो बेचारा मजबूर होकर एक दिन जंगल की ओर चल पड़ा वहाँ पहुँचते ही जरा सी देर में उसके निकाले जाने की खबर एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच गई। सभी सगे संबंधी और मित्र उससे मिलने आये। मोती इन बातों को सुनता ही रह गया- लोमड़ी दीदी ने उसकी हालत देखकर आँखों में आँसू भरकर कहा। क्या पता था कि कभी दुख के ये दिन भी देखने पडेंगे। सियार काका बोले। अजी आदमी की जात होती ही बड़ी मतलबी है। भालू मामा ने थूथड़ी हिला कर कहा। अक्ल के जोर पर ये लोग न सही देखते हैं, न गलत। जो जी में आता है कर डालते हैं। शैतान भेड़िया मोती का बचपन का दोस्त था। पर था बड़ा मक्कार। बोला! दोस्त चुपचाप बैठने से काम नहीं चलेगा, तुम्हें इसका बदला लेना चाहिये। तुम्हारी मैं पूरी पूरी मदद् करूँगा। मोती ने कहा। नहीं भाई नहीं, बदले का तो नाम भी मत लेना। अगर मालिक ने अपना फर्ज पूरा नहीं किया तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी उसके साथ बुरा करूँ। आखिर वह मेरा मालिक है। मैंने बरसों उसका नमक खाया है। शैतान भेड़िये ने उसे तरह तरह से समझाया, लेकिन जब मोती किसी तरह से राजी न हुआ तो वह झुंझला कर चला गया। मोती भी शहर की तरफ चल पड़ा। वहाँ पहुँच कर वह स्वामी के घर के आगे ही जाकर पड़ गया। जूठन में जो कुछ रूखा सूखा, कम ज्यादा मिल जाता उसे ही खाकर वह अपने बाकी दिन बिताने लगा। एक दिन मोती बाहर लेटा हुआ अपने बीते दिन याद कर रहा था कि अचानक उसे घर के भीतर शोर सुनाई दिया। उसने पहचान लिया आवाज मालकिन की थी चिल्ला चिल्लाकर वह कह रही थी। दौड़ो, बचाओं, मेरे लाल को भेड़िया। उठाकर ले गया, हाय मैं तो लुट गई। हाय। अब मैं क्या करूँ? सारे घर में भगदड़ मच गई। किसी ने कुछ उठाया तो किसी ने कुुछ। जमींदार ने अपनी बंदूक निकाली। हालाँकि मोती में उठने बैठने की शक्ति भी नहीं रही थी। फिर भी इस समय उसमें बड़ा हौंसला पैदा हो गया उसने आँखे फैलाकर इधर उधर देखा चाँदनी खिली हुई थी और दूर पेड़ों की तरफ भेड़िया बच्चे को उठाये लपका जा रहा था। भेडिये को देख मोती रह गया दंग - मोती से न रहा गया। वह उछल खड़ा हुआ और भेड़िये की ओर दौड़ा थोड़ी ही देर में उसने उसे जा पकड़ा। मोती यह देखकर हैरान रह गया कि यह दूसरा भेड़िया कोई और नहीं, बल्कि उसका जंगल का मित्र शैतान भेड़िया ही था। वह उसका रास्ता रोकतेे हुए बोला। दोस्त, क्या गज़ब करते हो? यह तो मेरे मालिक का बच्चा है। शैतान भेड़िये ने कहा। किसी का भी बच्चा हो। मैं इसका शिकार अकेला करूगां। तुम मेरे सामने से हट जाओ। अब तक मैं तुम्हारे मालिक का बहुत लिहाज करता रहा। पर जब उसने तुम्हें दूध में से मक्खी की तरफ निकाल फेंका तो अब झूठी स्वामी भक्ति दिखाने से क्या फायदा? मोती ने कहा। तुम झूठ बोलते हो। तुमने कभी भी मेरे मालिक का लिहाज नहीं रखा। असल में तुम्हें अब तक कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला, क्योंकि पहरे पर मैं रहा करता था। तुम कहते हो मेरे मालिक ने मुझे निकाल दिया। लेकिन मैं तो अब भी उसका नमक खाता हूँ। शैतान भेड़िया मुँह बिचका कर बोला। खाते तो उसी का नमक हो। लेकिन जूठा और बासी। ऐसे खाने से तो मर जाना अच्छा है। और एक कहानी यहाँ है : बाल कहानी : विजय का साहस मोती ने ललकारा- इस पर कुत्ते ने बिगड़ कर कहा। अरे जीभ के लोभी, तू क्या जाने स्वामी भक्ति की महिमा, अगर तूू इस बच्चे को लेकर आगे बढ़ा तो तेरी खैर नहीं। अच्छा। शैतान भेड़िये ने कहा, तेरे भीतर अगर इतना ही दम होता तो तेरा मालिक ही क्यों तुझे इस तरह निकाल बाहर करता। मैं कहता हूँ बच्चे से पहले मैं तेरा ही भुर्ता बना दूंगा। शैतान भेड़िया अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि सहसा मोती अपनी सारी शक्ति लगाकर उसके ऊपर कूद पड़ा। भेड़िया नहीं समझता था कि मोती इतना साहस करेगा। मोती के इस तरह अचानक कूदनेे से भेड़िया अपनी पीठ के बल लुढ़क गया और बच्चा उसके मुँह से छूटकर दूर जा गिरा। अब तो दोनों में गुत्थम गुत्था होने लगी। लेकिन मोती कमजोर था बड़ी जल्दी लहुलुहान हो गया। भेड़िया उसके कलेजे में अपना पंजा गड़ा कर उसका खत्मा करने ही वाला था कि पीछे से एक गोली आई और उसकी पीठ में आकर लगी। भेडियें ने एक कलाबाजी खाई और तड़पता हुआ ज़मीन पर आ गिरा। जमींदार को हुआ पछतावा- पीछे से जमींदार और उसके नौकर चाकर दौड़ते हुए आये। पास आकर अब उन्होंने बच्चे को सही सलामत देखा और मोती को लहुलहुान पाया, तो जमींदार की आँखें भर आई। वह कुत्ते को गोद में लेकर बैठ गया और उसे प्यार करते हुए बोला। तूने ही मेरे बच्चे की जान बचाई है। किसी ने सच ही कहा है कि पुराना नौकर बूढ़ा हो जाने पर भी नए नौजवान नौकर से कहीं अच्छा होता हैं। उसके आदमियों ने मोती को उठाया और उसे पशुओं के सरकारी अस्पताल में ले गये जहाँ कुछ ही दिनों में वह चंगा हो गया और वापस जमींदार के घर आ गया। अब उसके लिये फिर वही बिस्तर था। वहीं दूध और वही आराम। उसके बाकी दिन बहुत सुख में बीते। दूसरी कहानी : बाल कहानी : नई सोच नई उम्मीद #Lotpot Magazine #Motu Patlu Comics #Best Motu patlu Illustration #Hindi Lotpot #Hindi Lotpot Website #Latest Comics #Latest pics of Motu Patlu #Lotpot Comics #Motu Comic #Motu Images #Motu Samosa #New Motu patlu Comic #Animated story in hindi #Children stories in hindi #Children story online #Children’s stories #Free Books & Children's Stories Online #Hindi stories for children #Hindi story for kids #Lotpot बाल कहानी #Short moral stories in hindi #Top 10 moral stories in hindi You May Also like Read the Next Article