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प्यारे कॉमिक्स प्रेमियों!
क्या आपने कभी किसी की मदद करने की कोशिश की है, और सब कुछ उल्टा पुल्टा हो गया हो? आज हम आपको एक ऐसे ही भोले-भाले लेकिन जल्दबाज़ लड़के चेलाराम और एक बड़े से, परेशान बॉक्सर अंकल की मज़ेदार कहानी सुनाने जा रहे हैं। यह कहानी आपको हँसाएगी, गुदगुदाएगी और साथ ही एक ज़रूरी बात भी सिखाएगी: बिना पूरी जानकारी के कोई काम नहीं करना चाहिए!
कहानी शुरू होती है एक रास्ते पर, जहाँ चेलाराम एक सुस्त बैठे हुए बॉक्सर अंकल को देखता है। बॉक्सर अंकल नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन एक बड़ी समस्या है – उनके शरीर में सुस्ती भरी हुई है! वह रिंग में जाने से डर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका विरोधी उन्हें मारकर उनका हुलिया टाइट कर देगा।
चेलाराम, हमेशा की तरह बिना सोचे-समझे, बॉक्सर अंकल को तुरंत फुर्ती देने वाली दवा दिलाने का वादा कर देता है। वह दौड़कर अपने पहचान के डॉक्टर अंकल के पास पहुँचता है।
लेकिन डॉक्टर अंकल तो अपनी बेटी को दवा पिलाने में व्यस्त हैं, जो सारा दिन सोशल मीडिया चलाती है, 200 ग्रुप संभालती है और हर मैसेज का जवाब देती है! दरअसल, डॉक्टर अंकल अपनी बेटी की स्क्रीन की लत छुड़ाने के लिए उसे सुस्ती फैलाने वाली एक खास दवा पिला रहे थे ताकि वह सोई रहे और गैजेट्स से दूर रहे।
चेलाराम, जल्दबाजी में, बिना पूरी बात सुने, डॉक्टर की बेटी वाली सुस्ती की दवा को ही 'फुर्ती की दवा' समझकर उठा लेता है!
जब बॉक्सर अंकल वह दवा पीकर रिंग में पहुँचते हैं, तो उनकी हालत कैसी होती होगी? जहाँ उन्हें दहाड़ना चाहिए था, वहाँ उन्हें भयंकर नींद आने लगती है! रिंग के बीच में ही वह बेजान होकर सोने लगते हैं, और उनका विरोधी उन्हें आसानी से मारता जाता है! चेलाराम को जब डॉक्टर अंकल से सच्चाई पता चलती है, तो वह डर के मारे रिंग से भाग खड़ा होता है।
यह कहानी एक कॉमेडी ड्रामा है जो हमें दिखाता है कि जल्दबाजी और आधी-अधूरी जानकारी कितनी बड़ी गड़बड़ कर सकती है, और कैसे सोशल मीडिया की लत छुड़ाने के लिए डॉक्टर भी अजीबोगरीब प्लान बनाते हैं!
आगे पढ़िए: गलत सलाह, गलत दवा की पूरी कॉमिक्स और देखिए कि चेलाराम अपनी जान कैसे बचाता है!
कॉमिक्स यहाँ से शुरू होती है:
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