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Travel: अरुणाचल प्रदेश का हिल स्टेशन फोरगेटन लैंड

खोंसा अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले में स्थित एक छोटा सा हिल स्टेशन है। इसके उत्तर में म्यांमार है तो दक्षिण में नागालैंड असम है। यह नेक्टे और वानचु जनजातियों की निवासस्थली है।

By Lotpot
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Khonsa village

अरुणाचल प्रदेश का हिल स्टेशन फोरगेटन लैंड

Travel अरुणाचल प्रदेश का हिल स्टेशन फोरगेटन लैंड:- खोंसा अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले में स्थित एक छोटा सा हिल स्टेशन है। इसके उत्तर में म्यांमार है तो दक्षिण में नागालैंड असम है। यह नेक्टे और वानचु जनजातियों की निवासस्थली है। पर्यटक यहां इनके गांवों में घूमकर, इनके साथ रहकर ग्रामीण पर्यटन का खुलकर मजा ले सकते हैं। नेक्टे और वानचु लोग पहाड़ की खड़ी ढलानों पर खेती करते हैं। इन परंपरागत आदिवासियों के अलावा खोंसा में नागालैंड, असम, म्यांमार और बांग्लादेश के प्रवासी भी यहां आकर बस गये हैं। यह असमी, हिंदी, नोक्टे और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इतिहास के पन्नों में खोंसा के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से यह काफी उपेक्षित स्थान रहा है। यही वजह है कि इस ग्रामीण क्षेत्र को ‘फोरगेटन लैंड’ भी कहा जाता है। ब्रिटिशकाल में बनी छोटी सी सीमा चौकी के कारण इसे उत्तर-पूर्वी सीमांत एजेंसी के रूप में जाना जाता था।यह अपने वन विभाग, सर्किट हाउस, संग्रहालय के कारण अब पर्यटकों के लिए एक जानी पहचानी जगह हो गई है, यहां सेना की उपस्थिति अधिक है। समुद्रतल से तकरीबन 100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान हिमालय से घिरा हुआ है। (Travel)

farming in khonsa

क्या देखें

Musk Deer

खोंसा के सघन वन रोमांचक ट्रेककिंग के लिए उत्तम जगह है। दुनिया की सर्वोत्तम किस्मों में 500 से अधिक आर्किंड की किस्में केवल अरुणाचल में ही पाई जाती हैं। अप्रैल माह में यहां आकर यहां के जंगलों में इन दुर्लभ तथा आकर्षक फूलों के असाधारण सौंदर्य को देखा जा सकता है। इन घने जंगलों में एक शाखा से दूसरी शाखा पर कूदते सफेद लंगूर दिखायी देते हैं। दुर्लभ वन्यजीव लाल पांडा के भी दर्शन कर सकते हैं। ये ढलानें कस्तूरी मृग का भी घर हैं। बाघ, तेंदुआ, जंगली भालू, भौंकने वाला हिरन, मिथुन जैसी प्रजातियों के जीव जंतु यहां देखे जा सकते हैं। (Travel)

खोंसा संग्रहालय

खोंसा में स्थित संग्रहालय 1956 में बनाया गया था। खोसा का संग्रहालय पारंपरिक अर्थों में संग्रहालय नहीं है बल्कि यहां पारंपरिक जनजातीय हस्तनिर्मित बांस तथा बेंत की नाजुक वस्तुओं और विभिन्न इलाकों के रंग-बिरंगे शिल्पों का संग्रह है। यहां घरेलू उपकरणों के साथ हथियार भी हैं। यह संग्रहालय शनिबार, रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन बंद रहता है। मियाओं से एक घंटे की ड्राइव के बाद नामदाफा नेशनल पार्क है। यह दुनिया का एकमात्र, पार्क है जहां घने जंगलों में बिल्लियों की चार विशाल प्रजातियां, हैं। तेंदुआ, इस पार्क में मैकाक छोटी पूंछ वाले बाहरी कई प्रजातियाँ तथा लुप्तप्राय हुलाक लंगूर हैं। धनेश पक्षी, बंगाल फ्लोरिकेन तथा सफेद पंखों वाले बत्तख जैसे पक्षी 2,000 किमी के पार्क में असम में रहते हैं। यहां इमारतीं वृक्षों की 50 से अधिक प्रजातियां हैं। आप वनाच्छादित सड़क के 20 किमी के विस्तार द्वारा नामदाफा में प्रवेश करते हैं। एक ओर स्वच्छ नोआदेहिंग नदी है। दूसरी ओर रहस्यमय जंगल है। नामदाफा में वन विभाग ट्रेकिंग, हाथी की सवारी तथा कैंपिंग की व्यवस्था करता है। (Travel)

khonsa museum

कैसे पहुंचे

नजदीकी हवाईअड्डा डिब्रूगढ़ है। डिब्रूगडढ़ से खोंसा टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है । रेलमार्ग से जाने के लिए नजदीकी स्टेशन तिनसुकिया है। सड़क मार्ग से गोवाहाटी से राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर जोरहाट, डिब्रूगढ़ तथा तिनसुकिया होते हुए माकुम से जा सकते हैं। (Travel)

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