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यह बेस्ट हिंदी स्टोरी ढोलू नाम के गधे और उसकी दोस्त चंचल लोमड़ी की है, जो एक रात फलों के खेत में मस्ती करने जाते हैं। ढोलू का गाना गाने का शौक उसे किसानों की डांट का शिकार बना देता है, लेकिन इस घटना से उसे जीवन का पाठ मिलता है।
गधे का गीत: एक प्रेरक बच्चों की रात की कहानी
एक छोटे से गांव में एक गधा रहता था, जिसका नाम था ढोलू। ढोलू का मालिक एक धोबी था, जो दिनभर उसे कपड़े ढोने और गांव भर में घुमाने का काम सौंपता था। शाम ढलते ही धोबी ढोलू को खुला छोड़ देता, ताकि वह अपनी भूख मिटा सके। ढोलू रात के समय गांव के आसपास के खेतों में जाकर ताजा घास चरता था। एक दिन की बात है, जब वह खेत में चर रहा था, तो उसकी मुलाकात एक चालाक लोमड़ी से हुई। लोमड़ी, जिसका नाम था चंचल, भोजन की तलाश में भटक रही थी और ढोलू के पास आ गई।
दोनों की बातचीत शुरू हुई, और धीरे-धीरे वे अच्छे दोस्त बन गए। हर रात ढोलू और चंचल एक साथ खेतों में घूमते, घास चरते और मस्ती करते। सुबह होने से पहले ढोलू अपने मालिक के पास लौट आता था। एक दिन चंचल ने ढोलू को एक नया विचार सुझाया। उसने कहा, “ढोलू भैया, पास के खेत में बहुत सारे रसीले फल लगे हैं। अगर हम वहां जाएं, तो यह हमारे लिए एक शानदार रात का भोजन होगा!”
ढोलू को यह आइडिया पसंद आया, और उसने खुशी से कहा, “अच्छा है, चंचल भांजी! चलो, आज हम दोनों वहां चलते हैं और फलों का लुत्फ उठाते हैं।” दोनों उस खेत में पहुंचे। ढोलू ने फलों को खूब चटकारे लेकर खाया और पेट भर गया। फिर उसने चंचल से कहा, “भांजी, आज की रात बहुत खूबसूरत है। पूर्णिमा का चांद आसमान को रोशन कर रहा है। मेरा मन गाने को कर रहा है!”
चंचल ने तुरंत सावधान किया और बोली, “भैया, रुक जाओ! इतनी रात को गाना गाना खतरनाक हो सकता है। अगर खेत का मालिक किसान सुन लेगा, तो वह हमें पकड़ लेगा और डांटेगा।” लेकिन ढोलू को अपनी बात पर गर्व था। उसने हंसते हुए कहा, “अरे चंचल, तू क्या जानती है? गाना और संगीत का असली मजा तो मैं ही समझता हूं। तू जंगली जानवर है, तेरे बस की बात नहीं!”
चंचल समझ गया कि ढोलू को रोकना मुश्किल है। उसने कहा, “ठीक है भैया, तुम गाओ, लेकिन मैं पास की झाड़ियों में छिप जाऊंगी। अगर किसान आए, तो मैं तुम्हें चेतावनी दे दूंगी।” ढोलू मान गया और जोर-जोर से गाना शुरू कर दिया। उसकी भारी आवाज पूरे खेत में गूंजने लगी।
कुछ ही पल में किसानों की नींद खुल गई। वे लाठियां लेकर खेत की ओर दौड़े और ढोलू को देखते ही उसे खूब डांट लगाई। ढोलू डर गया और भागने की कोशिश की, लेकिन किसानों ने उसे लाठियों से हल्का-सा डपटा। वह ठोकरें खाकर खेत से बाहर निकला और चंचल के पास पहुंचा। चंचल ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, “क्या हुआ, भैया? मैंने तो पहले ही कहा था कि गाना मत गाओ, वरना किसान आ जाएंगे। और देखो, उन्होंने तुम्हें ‘पुरस्कार’ भी दे दिया!” दोनों हंसे, लेकिन ढोलू ने सबक ले लिया।
अगली रात से ढोलू और चंचल ने तय किया कि वे सिर्फ चुपचाप घास चरेंगे और गाना-बजाना छोड़ देंगे। गांव के अन्य जानवरों ने भी इस घटना की चर्चा की और ढोलू को सलाह दी कि हर चीज का सही समय और जगह होनी चाहिए। धीरे-धीरे ढोलू समझ गया कि दोस्त की सलाह को अनदेखा करना उसे मुसीबत में डाल सकता है।
सीख
यह प्रेरक कहानी बच्चों को सिखाती है कि हर काम करने का एक सही समय और उचित स्थान होता है। दूसरों की सलाह को सुनना और समझदारी से फैसला लेना ही हमें मुसीबत से बचाता है।