मजेदार कहानी: किसान और कुएँ का पानी

"किसान और कुएँ का पानी" कहानी में मेहनती किसान रामलाल अपने पड़ोसी हरिया से एक कुआँ खरीदता है, लेकिन हरिया उसे पानी निकालने से रोकता है। रामलाल राजा विक्रमादित्य के पास जाता है

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Funny Story: Farmer and well water
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"किसान और कुएँ का पानी" कहानी में मेहनती किसान रामलाल अपने पड़ोसी हरिया से एक कुआँ खरीदता है, लेकिन हरिया उसे पानी निकालने से रोकता है। रामलाल राजा विक्रमादित्य के पास जाता है, और चतुरसेन हरिया की चालाकी को उसी की तर्क से हराकर रामलाल को इंसाफ दिलाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि धोखा देना गलत है। (Kisan Aur Kuan Story Summary, Hindi Moral Tale)

कहानी: एक चालाक पड़ोसी की चाल (The Story: A Clever Neighbor's Trick)

कई साल पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक मेहनती किसान रहता था, जिसका नाम था रामलाल। रामलाल दिन-रात अपने खेतों में मेहनत करता और अनाज उगाकर अपने परिवार का पेट पालता था। वह हमेशा अपने काम में लगा रहता और गाँव में उसकी मेहनत की मिसाल दी जाती थी। लेकिन एक साल बारिश कम होने की वजह से उसके खेतों में पानी की कमी हो गई।

रामलाल ने सोचा, "अगर मुझे अपने खेतों को हरा-भरा रखना है, तो मुझे पानी का इंतजाम करना होगा।" उसने अपने खेतों के आसपास पानी की तलाश शुरू की। एक दिन उसे अपने पड़ोसी हरिया के खेत में एक कुआँ दिखा। हरिया गाँव का सबसे चालाक और लालची आदमी था, जो हमेशा दूसरों को ठगने के मौके तलाशता रहता था। रामलाल ने हरिया से कहा, "हरिया भाई, तुम्हारा यह कुआँ मुझे बहुत पसंद आया। क्या तुम इसे मुझे बेचोगे? मैं इसके लिए अच्छी कीमत दे दूँगा।"

हरिया ने अपनी आँखें मिचमिचाईं और सोचा, "यह तो मेरे लिए फायदा का सौदा है।" उसने तुरंत हामी भर दी और कहा, "हाँ, रामलाल। यह कुआँ तुम्हारा हुआ। बस 500 रुपये दे दो।" रामलाल ने खुशी-खुशी पैसे दे दिए और कुएँ का मालिक बन गया। उसे लगा कि अब उसके खेतों की सारी समस्याएँ हल हो जाएँगी।

चालाकी का खेल (The Game of Deception)

अगले दिन सुबह रामलाल अपने कुएँ से पानी निकालने पहुँचा। उसने जैसे ही बाल्टी डाली, हरिया वहाँ आ गया और चिल्लाने लगा, "अरे रामलाल, यह क्या कर रहे हो? यह मेरा पानी है। तुम इसे कैसे निकाल सकते हो?" रामलाल ने हैरानी से पूछा, "हरिया, यह क्या कह रहे हो? मैंने तो तुमसे यह कुआँ खरीद लिया है। फिर यह पानी तुम्हारा कैसे हुआ?"

हरिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "भाई, मैंने तुम्हें कुआँ बेचा था, उसका पानी नहीं। पानी तो मेरा है। अगर तुम्हें चाहिए, तो अलग से पैसे दो।" यह सुनकर रामलाल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने कहा, "यह तो धोखा है, हरिया! तुमने मुझे ठग लिया। मैं इसे ऐसे नहीं छोड़ूँगा। मैं राजा के पास जाऊँगा और इंसाफ माँगूँगा।" हरिया हँसते हुए बोला, "जाओ-जाओ, देखते हैं राजा क्या करते हैं।"

राजा के दरबार में इंसाफ की गुहार (Seeking Justice in the King’s Court)

रामलाल सीधे राजा विक्रमादित्य के दरबार में पहुँचा। उसने सारी बात राजा को बताई, "महाराज, मैंने अपने पड़ोसी हरिया से एक कुआँ खरीदा था, ताकि अपने खेतों को सींच सकूँ। लेकिन उसने मुझसे धोखा किया। अब वह कहता है कि कुएँ का पानी उसका है और मुझे पानी निकालने नहीं दे रहा। कृपया मुझे इंसाफ दिलाइए।"

राजा विक्रमादित्य ने रामलाल की बात ध्यान से सुनी और अपने सबसे बुद्धिमान सलाहकार चतुरसेन को बुलाया। चतुरसेन अपनी चतुराई और न्याय करने की कला के लिए पूरे राज्य में मशहूर था। राजा ने कहा, "चतुरसेन, तुम इस मामले को देखो और दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुनाओ।"

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चतुरसेन ने हरिया को बुलाया और पूछा, "हरिया, तुमने रामलाल को कुआँ बेचा था, फिर उसे पानी निकालने से क्यों रोक रहे हो?" हरिया ने वही बात दोहराई, "चतुरसेन जी, मैंने रामलाल को सिर्फ कुआँ बेचा था, उसका पानी नहीं। पानी मेरा है, और उसे इसका इस्तेमाल करने का कोई हक नहीं।"

चतुरसेन ने कुछ देर सोचा। उसने हरिया की बात को गौर से सुना और फिर रामलाल की ओर देखा। रामलाल ने कहा, "चतुरसेन जी, मैंने तो कुआँ इसलिए खरीदा था कि मुझे पानी मिल सके। अगर पानी ही नहीं मिलेगा, तो कुएँ का क्या फायदा?"

चतुरसेन का चतुर फैसला (Chatur Sen’s Clever Verdict)

कुछ देर सोचने के बाद चतुरसेन ने मुस्कुराते हुए कहा, "हरिया, तुम कहते हो कि कुएँ का पानी तुम्हारा है। ठीक है। लेकिन अगर कुआँ रामलाल का है, तो तुम्हें अपने पानी को रामलाल के कुएँ में रखने का कोई हक नहीं। या तो तुम रामलाल को अपने पानी का किराया दो, या फिर तुरंत सारा पानी कुएँ से निकाल लो।"

यह सुनकर हरिया के होश उड़ गए। उसने सोचा, "अगर मैं पानी निकालूँगा, तो कहाँ रखूँगा? और किराया देने की बात तो मेरे बस की नहीं।" हरिया की चाल उसी पर भारी पड़ गई। उसने सिर झुकाकर कहा, "चतुरसेन जी, मैंने गलती की। मुझे माफ कर दीजिए। मैं रामलाल को कुएँ से पानी लेने की पूरी इजाजत देता हूँ।"

चतुरसेन ने कहा, "हरिया, आज के बाद किसी को धोखा देने की कोशिश मत करना। यह तुम्हारी आखिरी चेतावनी है।" हरिया ने माफी माँगी और चुपचाप अपने घर चला गया। रामलाल ने खुशी से चतुरसेन और राजा का धन्यवाद किया। उसने कहा, "महाराज, आपने मुझे मेरा हक दिलाया। अब मैं अपने खेतों को हरा-भरा कर सकूँगा।"

एक नई शुरुआत (A New Beginning)

इस घटना के बाद रामलाल ने अपने कुएँ से पानी निकालकर खेतों को सींचना शुरू किया। उसके खेत फिर से लहलहाने लगे। उसने गाँव के बाकी किसानों को भी अपने कुएँ से पानी लेने की इजाजत दे दी। गाँव में हर कोई रामलाल की तारीफ करने लगा। वहीं, हरिया ने भी अपनी चालाकी छोड़ दी और गाँव वालों के साथ मिलकर रहने लगा।

एक दिन रामलाल ने चतुरसेन से पूछा, "चतुरसेन जी, आपको यह तरकीब कैसे सूझी?" चतुरसेन ने हँसते हुए कहा, "रामलाल, हरिया की चालाकी को उसी की भाषा में जवाब देना जरूरी था। मैंने उसे दिखा दिया कि धोखा देने का अंजाम क्या होता है।" रामलाल ने सिर हिलाया और बोला, "आपके जैसा बुद्धिमान व्यक्ति ही इंसाफ कर सकता है।"

सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धोखा देना कभी सही नहीं होता। हरिया ने रामलाल को ठगने की कोशिश की, लेकिन उसे अपनी चालाकी का नतीजा भुगतना पड़ा। हमें हमेशा ईमानदारी से काम करना चाहिए और दूसरों का हक नहीं छीनना चाहिए। साथ ही, हमें मुश्किल में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, जैसे रामलाल ने हार नहीं मानी। (Lesson on Honesty, Motivational Story for Kids)

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