पेड़ पर फंसा यात्री: मुल्ला नसरुद्दीन की हास्य कहानी

यह बेस्ट मज़ेदार स्टोरी यात्री रामू की है, जो फल खाने के चक्कर में पेड़ पर फँस जाता है। मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई से वह नीचे आता है, हालांकि थोड़ा चोटिल होता है। बाद में रामू मेहनत से सबक सीखता है और गाँव में सम्मान पाता है। यह कहानी हास्य

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पेड़ पर फंसा यात्री: मुल्ला नसरुद्दीन की हास्य कहानी

यह बेस्ट मज़ेदार स्टोरी यात्री रामू की है, जो फल खाने के चक्कर में पेड़ पर फँस जाता है। मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई से वह नीचे आता है, हालांकि थोड़ा चोटिल होता है। बाद में रामू मेहनत से सबक सीखता है और गाँव में सम्मान पाता है। यह कहानी हास्य और सीख का संगम है।

एक सांझ का वक्त था, जब मुल्ला नसरुद्दीन का गाँव सूरज की आखिरी किरणों से नहाया हुआ था। गाँव के बाहर एक हरा-भरा बगीचा था, जहाँ फलों के पेड़ों की शाखाएँ लदे हुए थे। उसी दिन एक थका-माँदा यात्री, जिसका नाम था रामू, गाँव में पहुँचा। दिनभर की यात्रा से उसकी भूख जाग उठी थी। भटकते हुए वह बगीचे में दाखिल हो गया।

उसकी नजर आम के पेड़ों पर पड़ी, जहाँ लाल-पीले फल चमक रहे थे। रामू का मन ललचा गया। उसने सोचा, "कुछ फल खा लूँ, फिर आगे बढ़ूँगा।" वह झटपट एक पेड़ पर चढ़ गया और फलों को तोड़कर खाने लगा। मुँह में मीठा रस घुलते ही उसकी थकान गायब हो गई। लेकिन जब उतरने की बारी आई, तो रामू की हालत पस्त हो गई। पेड़ पर चढ़ने में तो जोश था, पर उतरने का उसे कोई हुनर नहीं था। डर से उसकी साँस अटक गई, और वह ऊपर ही बैठा रह गया, मदद की आस लगाए।

कुछ देर बाद बगीचे का मालिक, एक गुस्सैल किसान हरि, वहाँ पहुँचा। उसने रामू को देखा और जोर से चिल्लाया, "अरे, ये क्या हो रहा है? मेरे बगीचे में चोरी?" रामू ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "भाई साहब, मुझे भूख लगी थी। अब नीचे नहीं उतर पा रहा हूँ, मदद करो!" हरि पहले तो नाराज़ था, लेकिन रामू की दयनीय हालत देखकर उसका दिल पसीज गया। उसने गाँव के कुछ लोगों को बुलाया, लेकिन कोई समझ नहीं सका कि रामू को कैसे उतारा जाए।

इसी बीच मुल्ला नसरुद्दीन, अपनी चिरपरिचित टोपी पहने, वहाँ टहलते हुए आ गए। भीड़ देखकर उनकी जिज्ञासा जागी। उन्होंने पूछा, "अरे भाइयो, यहाँ क्या मेला लगा है?" हरि ने सारी बात बताई। मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा, "इतनी सी बात? मैं इसे चुटकी में उतार दूँगा। बस एक रस्सी लाओ!" हरि ने जल्दी से रस्सी मंगवाई। मुल्ला ने रस्सी के एक सिरे पर मजबूत गांठें लगाईं और रामू की ओर फेंकते हुए बोला, "भाई, इसे अपनी कमर पर कसकर बाँध लो।"

रामू ने दो-तीन कोशिशों के बाद रस्सी पकड़ी और घबराते हुए बोला, "मुल्ला जी, इसे बाँध लिया है, अब क्या?" मुल्ला ने पूछा, "ठीक से बँधी है ना?" रामू ने जवाब दिया, "हाँ, एकदम मजबूती से!" इतना सुनते ही मुल्ला ने रस्सी को जोर से खींचा, और रामू धड़ाम से नीचे आ गिरा। लोग हक्के-बक्के रह गए। हरि चिल्लाया, "ये क्या तरीका हुआ, मुल्ला? आदमी को तो चोट लग गई!"

मुल्ला शांत भाव से बोला, "अरे, यही तरीका सबसे कारगर है। एक बार मेरी भी जान इसी तरह बची थी।" रामू, जो जमीन पर कराह रहा था, बोला, "कब बची थी आपकी जान?" मुल्ला हँसते हुए बोला, "जब मैं कुएँ में गिर गया था। कोई मेरे पैरों को रस्सी से खींचकर निकाल लाया था। तो मैंने सोचा, यह तरीका आजमाना चाहिए!" लोग हँसने लगे, और रामू भी दर्द के बीच मुस्कुरा दिया।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। रामू को चोट लगी थी, तो हरि ने उसे अपने घर ले जाकर खाना खिलाया। रात में, जब रामू आराम कर रहा था, मुल्ला उसके पास आया और बोला, "भाई, अगली बार फल खाने से पहले मालिक से पूछ लेना। और पेड़ चढ़ने से पहले उतरने का तरीका भी सीख लेना!" रामू ने शर्मिंदगी से कहा, "मुल्ला जी, आपकी बात सही है। मैं जल्दबाजी में गलती कर बैठा।" मुल्ला ने तसल्ली दी, "कोई बात नहीं, गलती से सीख मिलती है।"

अगले दिन, रामू ने हरि से माफी माँगी और बगीचे में काम करने की पेशकश की। हरि ने हँसते हुए कहा, "ठीक है, लेकिन अब फल चुराने की कोशिश मत करना!" रामू ने मेहनत से बगीचे की देखभाल शुरू की, और मुल्ला की चतुराई की चर्चा गाँव में फैल गई। बच्चों ने इस कहानी को सुनकर एक-दूसरे से कहा, "मुल्ला जी की चालाकी से ही रामू बचा!"

कुछ दिन बाद, गाँव में एक मेले का आयोजन हुआ। रामू ने मुल्ला को बुलाया और कहा, "मुल्ला जी, आपकी वजह से मैं यहाँ हूँ। आज मेले में आपका सम्मान होना चाहिए।" मुल्ला ने हँसते हुए कहा, "अरे, मैं तो बस मौके की नजाकत समझ गया था। सम्मान तो तुम्हारी मेहनत को मिलना चाहिए!" मेले में मुल्ला और रामू ने मिलकर एक नाटक खेला, जिसमें पेड़ पर फँसने की कहानी को हास्य के साथ पेश किया गया। लोग खूब हँसे, और गाँव की शाम और भी रंगीन हो गई।

सीख

यह मज़ेदार स्टोरी सिखाती है कि जल्दबाजी में फैसले लेने से मुसीबत हो सकती है। सही तरीके से सोचने और दूसरों की मदद से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।

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