चालाक चिंटू ने मानी ग़लती | हिंदी कहानी

चिंटू एक ऐसा लड़का था, जो स्कूल, घर, और दोस्तों के बीच अपनी चालाकी से मशहूर था। उसके पास हर किसी से पैसे ऐंठने का कोई न कोई नया बहाना होता था। लेकिन उसकी चालाकियां हमेशा उसे ही फायदे में नहीं रखती थीं

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Clever Chintu admitted his mistake hindi story
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चालाक चिंटू और उसकी शातिर चालें

चिंटू एक ऐसा लड़का था, जो स्कूल, घर, और दोस्तों के बीच अपनी चालाकी से मशहूर था। उसके पास हर किसी से पैसे ऐंठने का कोई न कोई नया बहाना होता था। लेकिन उसकी चालाकियां हमेशा उसे ही फायदे में नहीं रखती थीं—कभी-कभी उसे उल्टा खामियाजा भी भुगतना पड़ता था।


चिंटू का मास्टर प्लान

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एक दिन स्कूल में, लंच ब्रेक के दौरान चिंटू ने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया।
चिंटू: "दोस्तों, मैंने सुना है कि मार्केट में एक नया वीडियो गेम आया है। अगर हम सब पैसे जमा कर लें, तो हम उसे खरीद सकते हैं और स्कूल के बाद खेल सकते हैं।"
मोनू: "लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं।"
चिंटू (चालाकी से): "कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मम्मी को फोन कर देता हूं और बोल दूंगा कि यह स्कूल की जरूरी किताब के लिए है।"

मोनू थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन चिंटू की बातें सुनकर मान गया।


घर में चिंटू की नई चालाकी

शाम को घर पर चिंटू अपने पापा के पास गया।
चिंटू: "पापा, हमारी क्लास में एक पेंटिंग प्रतियोगिता होने वाली है। हमें पेंटिंग के लिए पैसे जमा करने हैं।"
पापा: "अरे वाह, बेटा! यह तो अच्छी बात है। कितने पैसे चाहिए?"
चिंटू: "बस 300 रुपये।"

पापा ने पैसे दे दिए, लेकिन पेंटिंग का सामान खरीदने के बजाय चिंटू ने उन पैसों से आइसक्रीम खाई और वीडियो गेम खेलने चला गया।


दोस्तों का मूर्ख बनना बंद

चिंटू के दोस्तों को उसकी चालाकियों की भनक लग चुकी थी। एक दिन उन्होंने सोचा कि अब उसे उसकी चालाकी का मजा चखाना होगा।
मोनू: "चलो, आज चिंटू को सबक सिखाते हैं।"

अगले दिन, लंच ब्रेक में, मोनू ने चिंटू से कहा,
मोनू: "चिंटू, हमारे मोहल्ले में एक गेमिंग कंपटीशन हो रहा है। जो जीतेगा, उसे 500 रुपये मिलेंगे। बस एंट्री फीस 100 रुपये है।"
चिंटू: "वाह, ये तो मजेदार है! मैं जरूर भाग लूंगा।"

चिंटू ने झट से 100 रुपये निकाले और मोनू को दे दिए। लेकिन जब वह वहां पहुंचा, तो उसे पता चला कि ऐसा कोई कंपटीशन था ही नहीं।


चिंटू का पलटवार

चिंटू ने सोचा कि दोस्तों ने उसे धोखा दिया है, लेकिन उसने इसे अपनी चालाकी का सबक मान लिया। वह घर गया और पापा से कहा,
चिंटू: "पापा, मुझे समझ में आ गया कि झूठ बोलने और चालाकी करने से रिश्ते बिगड़ जाते हैं। अब मैं मेहनत करूंगा और ईमानदारी से अपने काम करूंगा।"


कहानी से सीख

चालाकी से आप एक-दो बार तो फायदे में आ सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक चालाकियां काम नहीं करतीं। सच्चाई और मेहनत ही जीवन में सफलता दिलाती है।

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