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आलसी राजू
मजेदार हिंदी कहानी: आलसी राजू:- एक समय की बात है राजू नाम का एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। राजू और उसकी माँ बहुत गरीब थे और राजू की माँ अपना गुज़ारा रोज़ कपड़े सिलाई करके करती थी। लेकिन राजू बहुत आलसी था। वह कोई काम नहीं करता था और अपना सारा समय वह समुद्र के किनारे सूरज के नीचे बैठकर गुज़ारता था। इसलिए उसे सभी आलसी कहते थे। उसकी माँ उसे काम करने के लिए कहकर थक चुकी थी इसलिए एक दिन तंग आकर राजू की माँ ने उसे कहा, “अगर तुम अपने खाने के लिए काम करना शुरू नहीं करोगे तो मैं तुम्हें खाना नहीं दूंगी और अपने घर में रहने भी नहीं दूंगी”।
यह बात सुनकर राजू को जोश आ गया और अगले ही दिन वह अपने लिए काम तलाशने के लिए पास के एक किसान के पास काम मांगने के लिए गया। काम करने के बाद किसान ने राजू को कुछ पैसे दिए थे लेकिन घर आते वक्त उससे वह पैसे रास्ते में गिर गए। घर पहुँचने पर माँ ने राजू को आलसी कहकर पुकारा और कहा, “तुम्हें पैसे जेब में रखने चाहिए थे”। माँ की बात सुनकर राजू ने कहा, “मैं अगली बार से यही करूंगा”।
फिर अगले दिन राजू दोबारा से काम तलाशने के लिए निकला और एक गाय वाले के पास...
फिर अगले दिन राजू दोबारा से काम तलाशने के लिए निकला और एक गाय वाले के पास काम करने लगा। राजू के मालिक ने उसके दिन के काम के लिए उसे एक मग दूध का दिया। राजू ने सारा दूध अपनी जेब में डाल लिया जो घर पहुँचने से पहले ही निकल गया। घर पहुँचने पर माँ ने राजू को समझाया, “तुम्हें दूध अपने सिर पर उठाकर लाना चाहिए था”। राजू बोला, “मैं अगली बार यही करूंगा”।
अगले दिन राजू ने एक किसान के पास काम किया, जिसने राजू के काम के बदले उसे क्रीम देने का वादा किया। लेकिन जिस समय वह घर पहुँचा सारी क्रीम खराब हो गई और पिघल कर उसके सिर से बहने लगी। यह देखकर राजू की माँ ने उससे कहा, “तुम्हें अक्ल नहीं है? तुम्हे इसे अपने हाथ में पकड़कर लेकर आना चाहिए था”। राजू ने बोला, “मैं अगली बार से यही करूंगा”।
अगले दिन राजू फिर से अपने लिए काम तलाशने के लिए गया और एक बेकरी वाले के पास नौकरी करने लगा। बेकरी वाले ने राजू को उसके काम के बदले एक बिल्ली दी। राजू बिल्ली को अपने हाथों में पकड़कर घर ले जाने के लिए निकला लेकिन बिल्ली उसके हाथ में पंजे मारकर भाग गई। यह जानकर उसकी माँ ने उसे बताया, “तुम बिल्ली को रस्सी डालकर नहीं ला सकते थे”। राजू ने कहा, “अगली बार मैं यही करूंगा”।
अब राजू काम मांगने के लिए एक कसाई के पास गया और काम करने के बाद कसाई ने राजू को मुर्गे का मांस दिया। राजू ने मांस लिया और उसे एक रस्सी में बांघकर गंदगी में रिगड़ता हुआ ले गया। जब वह अपने घर पहुँचा तो मांस पूरी तरह खराब हो चुका था। इस बार राजू की माँ अपना गुस्सा काबू में नहीं रख सकी और अगले दिन छुट्टी होने के कारण उन्हें अपना गुज़ारा घास खाकर ही करना पड़ा।
अगले सोमवार, आलसी राजू ने एक बार फिर अपना काम ढूंढना शुरू किया। राजू को एक गाय भेड़ रखने वाले के पास नौकरी मिल गई। भेड़ वाले ने राजू की मुश्किलें बढ़ाने के लिए उसे एक गधा दे दिया। राजू को गधे को अपने कंधे पर उठाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा। लेकिन काफी मुश्किलों के बाद राजू ने गधे को अपने कंधे पर उठा लिया और अपने ईनाम के साथ घर आने लगा।
राजू के घर जाने के सफर के बीच एक अमीर आदमी अपनी इकलौती बेटी के साथ रहता था। उसकी बेटी सुंदर तो थी लेकिन सुन और बोल नहीं सकती थी। अमीर आदमी की बेटी अपनी ज़िंदगी में कभी हंसी नहीं थी और डॉक्टरों का कहना था वह तभी बोल सकेगी जब वह हंसेगी। अमीर आदमी की बेटी खिड़की से बाहर देख रही थी तभी उसने राजू को अपने कंधों पर गधे को ले जाते हुए देखा। राजू ने गधे की टांगों को आसमान में लटका रखा था और वह दृष्य काफी हंसी वाला था। राजू को देखकर राजकुमारी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी। राजकुमारी के हंसने के बाद वह बोलने और सुनने लगी।
राजकुमारी को हंसते देख उसके पिता काफी खुश हुए और उन्होंने अपना वादा कायम रखते हुए आलसी राजू के साथ अपनी बेटी की शादी कर दी। और इसके बाद राजू एक अमीर आदमी बन गया। राजू बड़े घर में रहने लगा और राजू की माँ भी उसके साथ बड़े घर में रहने लगी।