Jungle Story: बड़ा काम

चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था।

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बड़ा काम

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Jungle Story: बड़ा काम:- चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था, दिनभर घर में पड़ा उंघता रहता। वह घर का कोई काम भी नही करता था।

एक दिन चमन ने सोनू से कहा, “बेटे, तुम कोई काम क्यों नहीं करते। आखिर कब तक यूं ही घर में पड़े रहोगे, कुछ और नहीं तो मेरे पास बैठकर जूते-चप्पल का काम ही सीख लो।"

“मैं और जूते-चप्पल का काम। मैं इतने छोटे काम नहीं करूंगा, मैं तो कोई बड़ा काम करूंगा।'' सोनू ने तुनक कर कहा।
इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन उसकी अपने पिता से फिर कहासुनी हो गई, सोनू ने इस बार नाराज होकर घर छोड़ दिया। उसने मन ही मन सोचा कि जाकर कोई बड़ा काम ढूंढता हूं।

सोनू कोई बड़ा काम खोजने निकल पड़ा। रास्ते में उसे सबसे पहले बंदु बंदर की...

सोनू कोई बड़ा काम खोजने निकल पड़ा। रास्ते में उसे सबसे पहले बंदु बंदर की कपड़े की दुकान मिली। सोनू ने बंदु के पास जाकर कहा "नमस्ते चाचा जी! मुझे कोई बड़ा काम चाहिए, क्या आपके पास मुझे देने के लिए बड़ा काम है।"

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सोनू मुझे एक नौकर की जरूरत है, क्या तुम यह काम करोगे। बंदु ने कहा। “छी: नौकर का काम! मुझे नहीं करना इतना छोटा काम। मुझे तो कोई बड़ा काम चाहिए।" सोनू ने मुंह बनाते हुए कहा और वहां से चला गया।

कुछ और आगे बढ़ने पर, उसे गज्जु हाथी की होरे-जवाहरात की शोरूम दिखलाई पड़ी। गज्जु ने यह शोरूम कुछ ही दिनों पहले खोला था। शोरूम के आगे एक तख्ती टंगी थी, जिस पर लिखा था- 'शोरूम के हिसाब-किताब के लिए एक योग्य मैनेजर की आवश्यकता है।'

तख्ती पढ़कर सोनू बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसने सुन रखा था कि मैनेजर का काम बहुत बड़ा होता है। सोनू ने सोचा कि मैनेजर की नौकरी उसे जरूर मिल जाएगी। यही सोचकर वह गज्जु के पास जाकर बोला, सेठजी मैं आपके शोरूम का मैनेजर बनना चाहता हूं!” गज्जु ने सोनू को ऊपर से नीचे तक देखा फिर पूछा “कितने पढ़े-लिखे हो?” “पांचवी कक्षा तक।" सोनू ने जवाब दिया।
हैं सोनू का जवाब सुनकर गज्जु बिदक गया- "क्या सिर्फ पांचवी तक!" फिर उसने सोनू को डांटते हुए कहा "चल भाग यहां से, पांचवीं तक पढ़ कर बड़ा आया मैनेजर बनने तुझे मैनेजर बना कर मुझे अपना शोरूम बंद नही करवाना।"

डांट सुनकर सोनू झेंप गया। वह मुह लटका कर वहां से चला गया।

अभी वह कुछ ही दूर गया था कि किसी ने पुकारा- ''सोनू, सोनू।" यह आवाज चीकू खरगोश की थी। “क्या है चाचा, मुझे क्यों पुकारा।" सोनू ने चीकू के पास जाकर पूछा।

“यह मुंह लटका कर क्यों जा रहे हो? चीकू ने जानना चाहा। सोनू ने चीकू को सारी बात बतला दी।

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चीकू ने सोनू को समझाते हुए कहा "देखो कोई काम छोटा बड़ा नही होता है, बल्कि काम का अपना महत्व होता है। इसलिए जो भी काम मिले उसे पूरी मेहतत और लगन से करना चाहिए, चाहे वह जूता-चप्पल का काम या नौकर का काम क्‍यों न हो। मेहनत से किया गया हर कार्य बड़ा होता है।"

चीकू की बात सुनकर सोनू को यह एहसास हो गया कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और जो भी काम मिले उसे मेहनत और लगन से करना चाहिए। वह अपने घर की ओर लौट गया।

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