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नया साल नई सुबह
Jungle Story नया साल नई सुबह:- उस दिन भी पहले पूरब दिशा लाल हुई और तब नये साल का सूरज उग आया। हरी मखमली घास पर फैला कोहरा सूखने लगा और काफी देर बाद जब सर्दी काफी कम हो गई तो मोटा मेंढ़क अपने गर्म घर को छोड़कर बाहर निकल आया वह नये साल की नई सुबह का नाश्ता किसी मोटे ताजे कीड़े को मार कर करना चाहता था। (Jungle Stories | Stories)
पेड़ की डाली पर बैठे सुनहरे मुर्गे ने मोटे मेंढक को तालाब की ओर बढ़ते देखा तो उसकी लार टपक आई। ‘वाह, नये साल की सुबह इतनी सुन्दर! वह पेड़ से कूद कर जमीन पर आ गया और दबे पांव मेंढक की ओर बढ़ने लगा। इधर म्याऊं बिल्ली निकली थी आग की खोज में। मारे जाड़े के उसके सातों बच्चे अपनी खानदानी आवाज भूलकर चूहों की तरह ‘कू-कू’ किये जा रहे थे। सुनहरे मुर्गे को देखते ही वह होशियार हो गई और झपटने का मौका तलाशने लगी। म्याऊं को पूरा यकीन था कि मुर्गे का गर्म गोश्त उसके बच्चों की हड्डी में जमी सर्दी को दूर कर देगा। अतः धैर्य खोए बिना, झपटने को तैयार वह मुर्गे के पीछे हो ली। (Jungle Stories | Stories)
जाड़े की धूप मोटे मेंढक में नया उत्साह भर रही थी, सो वह पेड़ों और झाडियों के बीच से होता हुआ तालाब की ओर बढ़ता चला जा रहा था शीशम की छाल से दांत रगड़ते खूंखार हरी आंखों वाले भेड़िये ने पहले मुर्गे और उसके पीछे बिल्ली को अपनी ओर आता देखा, तो अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह छिपा लिया। उसके चेहरे पर कुटिल हंसी थी। चलते चलते वह मन ही मन बोला-वाह! नया साल’।
भेड़िये की पुरानी दुश्मनी थी चितकबरे चीते से, और चितकबरे चीते ने काफी पहले से ही सोच रखा था कि...
भेड़िये की पुरानी दुश्मनी थी चितकबरे चीते से, और चितकबरे चीते ने काफी पहले से ही सोच रखा था कि भेड़िये को नये साल के पहले दिन ही इस दुनिया से विदा करना है अतः पत्थर की ओट से निकलकर वह भी बाहर आ गया और दबे पांव भेड़िये की ओर बढ़ने लगा। इस तरह हर कोई एक दूसरे के प्यासे चारों जीव एक दूसरे के नजदीक पहुँचते जा रहे थे उनके बीच का फासला लगातार कम होता जा रहा था और देखते ही देखते वह समय भी आ पहुंचा जब मेंढ़क और मुर्गे के बीच दो कदम, मुर्गे और बिल्ली के बीच चार कदम, बिल्ली और भेड़िये के बीच सात कदम तथा भेड़िये और चीते के बीच आठ कदम रह गये। (Jungle Stories | Stories)
अचानक चीते ने लपककर भेड़िये को दबोचना ही चाहा था कि एक भयानक दहाड़ ने आसपास का माहौल कंपा डाला। मेंढ़क ने घबराकर पीछे देखा तो मौत का अवतार मुर्गा सामने था। मुर्गा पीछे मुड़ा तो बिल्ली का भयानक चेहरा देख उसके पसीने छूटने लगे। बिल्ली ने पीछे देखा तो सामने लार टपकाता भेड़िया था। भेड़िये की तो पीछे मुड़ते ही चीख निकल गई- अरे बाबा, यह तो चीता था, और चीता भी पीछे देखते ही सहम गया। वनराज सिंह स्वंय थे। चीता पसीने-पसीने हो गया उसे मौत नजदीक खड़ी दिखाई देने लगी।
लेकिन यह क्या? वनराज उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे चीते को घबराया पाकर वे उसके कन्धे को थपथपाकर बोले, नया साल मुबारक हो दोस्त’। नया साल वनराज की तरफ से मुबारक। चीते की आंखे खुली की खुली रह गई, वनराज चले गए। (Jungle Stories | Stories)
यह वक्त तो वनराज के शिकार का था तो उन्होंने शिकार क्यों नहीं किया। शायद इसलिए कि वे किसी को भी नये साल की नई सुबह के सुख से वंचित करना नहीं चाहते थे। चीते ने भी एक ही पल में नया निर्णय ले लिया। घबराये भेड़िये के पास जाकर बोला, कल तक जो कुछ था उसे भूल जाओ, आज से तुम हमारे दोस्त हो, नया साल मुबारक हो।
भेड़िये ने भी अपनी हरी आंखो में भरसक दया-भाव लाते हुए बिल्ली म्याऊं को नये साल की शुभकामनाए दी। अपनी जान की खैर देख मुर्गे के हृदय में भी परिवर्तन हुआ वह मेंढ़क के पास जाकर बोला, जीयो और जीने दो भाई, मुबारक हो नया साल।
यह जानकर सुनहरे मुर्गे सहित सब जब अपनी-अपनी राह लौट लिए तो मेंढ़क की जान में जान आई और भगवान को शुक्रिया अदा कर वह तेजी से तालाब की ओर बढ़ा सभी छोटे बड़े जीवों को नये साल की शुभकामनाएं देने। (Jungle Stories | Stories)
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