सीख देती मजेदार कहानी: आज्ञाकारी नौकर
इस कहानी में बुछुआ नामक एक नौकर की कुशलता और दूरदर्शिता को दर्शाया गया है। इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि केवल आदेशों का पालन ही नहीं, बल्कि भविष्य की सोच भी महत्वपूर्ण है।
इस कहानी में बुछुआ नामक एक नौकर की कुशलता और दूरदर्शिता को दर्शाया गया है। इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि केवल आदेशों का पालन ही नहीं, बल्कि भविष्य की सोच भी महत्वपूर्ण है।
राजा महेन्द्र के कला समारोह में दो उत्कृष्ट कलाकारों की कृतियों के बीच चयन करना एक कठिन चुनौती बन गया। राजा ने कला के वास्तविक उत्कृष्टता की पहचान की और दूसरे कलाकार को सर्वोत्तम पुरस्कार से सम्मानित किया।
गांव के साप्ताहिक बाजार के बाहर एक व्यापारी अपने मिट्टी के बर्तन एक बोरे में भर रहा था। उसने ज्यादा से ज्यादा बर्तन उस बोरे मे ठूंस दिए कि तभी अचानक उसकी नजर एक मजदूर पर पड़ी।
विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय कला के पुजारी थे। उनके दरबार में अक्सर संगीतकार, कलाकार, जादूगर आदि आते रहते थे। राजा इस बात के लिए मशहूर थे कि वे हर कलाकार को अच्छा इनाम देते थे।
जब अमित ने ऐलान किया कि वह एक विदेशी लड़की से विवाह करेगा तो घर में तूफान आ गया। “जिस लड़की से तुम विवाह करने जा रहे हो वह क्रिश्चियन है क्या?
एक समय की बात है राजू नाम का एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। राजू और उसकी माँ बहुत गरीब थे और राजू की माँ अपना गुज़ारा रोज़ कपड़े सिलाई करके करती थी।
नवाब अमीरूल्लाह के पास वो सभी चीजें थीं जो एक आदमी को खुश रहने के लिए चाहिए होती हैं। उसकी एक खूबसूरत बीवी थी, एक होशियार औलाद थी और जमीन जायदाद इतनी थी कि एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए काफी पैसा मिल जाता था।