मजेदार हिंदी कहानी: सर्वोत्तम कलाकार राजा महेन्द्र के कला समारोह में दो उत्कृष्ट कलाकारों की कृतियों के बीच चयन करना एक कठिन चुनौती बन गया। राजा ने कला के वास्तविक उत्कृष्टता की पहचान की और दूसरे कलाकार को सर्वोत्तम पुरस्कार से सम्मानित किया। By Lotpot 31 Jul 2024 in Stories Fun Stories New Update सर्वोत्तम कलाकार Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 मजेदार हिंदी कहानी: सर्वोत्तम कलाकार:- राजा महेन्द्र स्वंय एक अच्छे चित्रकार थे और कलाकारों का बहुत आदर और सम्मान करते थे उनके राज्य में प्रत्येक वर्ष एक बड़ा कला समारोह आयोजित किया जाता था जिसमें दूर-दूर से आये हुये कलाकार अपनी कृतियों का प्रदर्शन करते थे। दो सर्वश्रेष्ट कलाकारों को पुरस्कार दिया जाता था। सभी भाग लेने वाले कलाकारों को सम्मान पत्र दिये जाते थे और उनमें से कुछ को अलग से भेंट भी दी जाती थी। राजा की ओर से कुछ प्रख्यात कलाकरों को यह जिम्मेदारी दी जाती थी कि वे प्रतियोगिता में आई हुई सभी कला को देखें और फिर निर्णय करें कि इस वर्ष की दो सर्वश्रेष्ट कला कृतियां कौन सी हैं चुने गये इन कलाकारों को राजकीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता था और उनमें से एक को वर्ष का सर्वश्रेष्ट पुरस्कार रत्न पदक दिया जाता था। राजा महेन्द्र का कला समारोह इस वर्ष निदेशकों को सर्वश्रेष्ट कलाकार छांटने में बड़ी दुविधा आ रही थी चुने गये दोनों कलाकारों की कृतियां श्रेष्ट थीं। दोनों को ही समान अंक मिले थे। राजा महेन्द्र ने दोनों कलाकारों को बुला कर कहा, “आप लोग ही कोई समाधान बताइये”। पहले कलाकार की कृति पहले कलाकार ने इच्छा प्रकट की कि उसकी रचना को किसी एक पेड़ पर टांग दिया जाए। चित्र में फलों का एक गुच्छा चित्रित किया गया था और वे इतने सजीव थे कि उनमें और वास्तविक फलों में अंतर करना लगभग असम्भव था। कलाकार की इच्छा अनुसार इस कृति को एक पेड़ के बीच में टांग दिया गया। शीघ्र ही कुछ पक्षी उस पेड़ पर आ बैठे और फलों पर अपनी चोंच मारने लगे। निर्णायकों ने तालियां बजाकर कलाकार की प्रशंसा की। कलाकार को विश्वास हो गया कि निश्चय ही उसे प्रथम पुरस्कार मिलेगा। दूसरे कलाकार की कृति अब दूसरे कलाकार की बारी थी। कलाकार ने कहा, “मैंने अपना चित्र कमरे के अन्दर रख दिया है। निर्णायकों ने जैसे ही पर्दा हटा कर अंदर जाने का प्रयास किया, उनका सिर दीवार से टकरा गया। वहां कोई पर्दा नहीं था केवल पर्दे का एक चित्र था पर्दे पर इतनी कुशलता से चुन्नट चित्रित किया गया था कि ऐसा मालूम होता था मानो कपड़े का कोई असली पर्दा हवा में लहलहा रहा हो। वास्तव में यह कोई कपड़े का पर्दा नहीं था यह तो कैनवैस पर बनाया गया चित्र था। राजा महेन्द्र का निर्णय कलाकारों में कौतूहल बढ़ता जा रहा था निर्णायक एक बार फिर चिंता में डूब गये। तभी राजा महेन्द्र स्वय आगे आए और उन्होंने घोषणा की “पहले कलाकार के चित्र ने चिड़ियों को धोखा दिया किन्तु दूसरे कलाकार के चित्र से तो स्वंय निर्णायक धोखा खा गये। अतः दूसरे कलाकार को इस वर्ष का सर्वश्रेष्ट कलाकार घोषित किया जाता है”। दोनों कलाकारों ने सहर्ष राजा महेन्द्र का निर्णय स्वीकार किया और इसी के बाद इस वर्ष के कला समारोह का समापन कर दिया गया। राजा महेन्द्र ने सभी कलाकारों को अगले वर्ष फिर समारोह में आने के लिए आमंत्रित किया और राज्य द्वारा आयोजित महाभोज की और चल दिये। कहानी से सीख: कला की उत्कृष्टता केवल दृष्टि को ही नहीं, बल्कि गहरे स्तर पर विवेक और संवेदनाओं को भी प्रभावित करती है। यह भी पढ़ें:- मजेदार हिंदी कहानी: जादूगर की चुनौती मजेदार हिंदी कहानी: बिल्ली को क्या चाहिये मजेदार हिंदी कहानी: गर्दन घूम गई है हिंदी मजेदार कहानी: गुमनाम है कोई #Kids Hindi Fun Story #मजेदार हिंदी कहानी #Hindi story of The Story of the Artist and the King #Hindi story of Two Artists #दो कलाकारों की कहानी #राजा और कलाकार की कहानी You May Also like Read the Next Article