मजेदार हिंदी कहानी: बिल्ली को क्या चाहिये

महाराजा कृष्णा देव राय को एक बार एक अनोखा उपहार मिला। विदेश से आए एक सौदागर ने उन्हें कुछ सुन्दर बिल्लियां भेट में दीं। महाराज ने सौदागर को धन्यवाद कहा और राज्य की ओर से सौ स्वर्ण मुद्रिकायें उपहार स्वरूप भेंट कीं।

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बिल्ली को क्या चाहिये

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मजेदार हिंदी कहानी: बिल्ली को क्या चाहिये:- महाराजा कृष्णा देव राय को एक बार एक अनोखा उपहार मिला। विदेश से आए एक सौदागर ने उन्हें कुछ सुन्दर बिल्लियां भेट में दीं। महाराज ने सौदागर को धन्यवाद कहा और राज्य की ओर से सौ स्वर्ण मुद्रिकायें उपहार स्वरूप भेंट कीं।

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बिल्लियां दरबारियों में बांट दी गईं। साथ ही यह हिदायत भी दे दी गयी कि इनकी अच्छी तरह देखभाल की जाय और गाय का दूध पीने के लिये प्रचुर मात्रा में दिया जाये। इसके लिये बिल्ली के साथ साथ सभी को राज्य की ओर से एक एक गाय भी दी गई।

एक महीने बाद महाराज ने सभी दरबारियों को बुलाया और साथ ही सारी बिल्लियों को भी प्रस्तुत करने का...

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एक महीने बाद महाराज ने सभी दरबारियों को बुलाया और साथ ही सारी बिल्लियों को भी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। सभी बिल्लियां स्वस्थ थीं किन्तु तेनाली राम की बिल्ली सबसे अधिक स्वस्थ दिख रही थी। महाराज ने सभी बिल्लीयों के सामने दूध से भरी कटोरियां रखीं। सभी ने दूध पी लिया किन्तु तेनाली राम की बिल्ली ने उस तरफ मुंह भी नहीं उठाया। महाराज को बिल्ली के इस व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ। आमतौर पर बिल्ली ज़रा सी भी सुगंध पाने पर दूध पर झपट पड़ती हैं। यह बिल्ली इस स्वभाव के विपरीत व्यवहार क्यों कर रही थी?

महाराज ने तेनाली राम से इस असाधारण व्यवहार का कारण जानना चाहा। तेनाली राम ने बताया, “बिल्ली स्वभाव वश दूध पीते समय अपनी आखें बन्द कर लेती है। मैं अपनी बिल्ली की यह आदत छुड़ाना चाहता था। मैंने कटोरी में उसके सामने खौलता हुआ गर्म दूध रख दिया। बिल्ली ने आँखें बन्द कर कटोरी में अपना मुंह लगा दिया। उसका मुंह जल गया और तभी से उसे दूध से अरूचि पैदा हो गयी”। “इस प्रकार तो बिल्ली भूखी रह जाती होगी यह इतनी स्वस्थ कैसे है?” महाराज ने प्रश्न किया।

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“मेरे घर में बहुत चूहे थे। बिल्ली दूध नहीं पी रही थी इस कारण भूख मिटाने के लिये उसने चूहे पकड़ कर खाना शुरू कर दिया। चूहे बिल्ली का प्राकृतिक भोजन हैं। इस प्रकार मेरा दूध भी बचता था जो मैं अपने बच्चों को पिला देता था और बिल्ली को भोजन के लिये पर्याप्त मात्रा में चूहें मिल जाते थे। बिल्ली भूखी नहीं रहती थी। दूध के स्थान पर उसे अघिक पौष्टिक भोजन मिल जाता था। इसी कारण वह अन्य बिल्लियों की तुलना में अधिक स्वस्थ दिख रही है। महाराज बहुत प्रसन्न हुये। एक बार फिर उनके मंत्री तेनाली राम ने अदभुत सूझ बूझ का परिचय दिया था।

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