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तीन सीख
मजेदार हिंदी कहानी: तीन सीख:- गांव के साप्ताहिक बाजार के बाहर एक व्यापारी अपने मिट्टी के बर्तन एक बोरे में भर रहा था। उसने ज्यादा से ज्यादा बर्तन उस बोरे मे ठूंस दिए कि तभी अचानक उसकी नजर एक मजदूर पर पड़ी। व्यापारी मजदूर से बोला, “तुम मेरा यह सामान मेरी दुकान तक पहुंचा दो, मैं तुम्हें कुछ कीमती चीज दूंगा”।
मजदूर ने सोचा जरूर मुझे कुछ अच्छा इनाम मिलेगा और यह सोचते हुए उसने बोरा उठा लिया। अभी वे कुछ ही दूर गये थे, कि व्यापारी बोला, “हो सकता है मैं तुम्हें अधिक धन न दे सकूं पर मैं तुम्हें तीन सीख देना चाहता हूं जो तुम्हारी जीवन में मदद करेंगी”।
थोड़ा आगे जाने पर व्यापारी बोला, मेरी पहली सलाह है कि कभी भी धन के पीछे मत भागो क्योंकि...
थोड़ा आगे जाने पर व्यापारी बोला, मेरी पहली सलाह है कि कभी भी धन के पीछे मत भागो क्योंकि ज्ञान, धन से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मजदूर को यकीन नहीं हुआ। उसने सोचा, कि व्यापारी उसे उसका उचित मेहनताना नहीं देना चाहता, फिर भी उसने व्यापारी को एक मौका देना चाहा और यह सोचकर वह बोरा उठाये आगे चलता रहा।
थोडी देर बाद मजदूर थक गया और एक जगह बोरा नीचे रखकर सुस्ताने लगा। तभी व्यापारी बोला, मेरी दूसरी सीख है, “लक्ष्य प्राप्त करने से पहले हार मत मानो”।
अब तो मजदूर को शक हो गया, जरूर यह व्यापारी मुझे बेवकूफ बना रहा है। यह चाहता है कि मैं बिना किसी मेहनताने के यह इसकी दुकान तक पहुँचा दूं। किन्तु फिर उसने सोचा, शायद इसकी तीसरी सीख कुछ अलग हो, यह सोच कर उसने बोरा उठाया और आगे बढ़ने लगा।
जब वो लोग व्यापारी की दुकान के पास पहुंचे तो व्यापारी बोला, मेरी तीसरी शिक्षा है.. और इससे पहले की वह अपना वाक्य पूरा कर पाता, मजदूर को यकीन हो गया कि व्यापारी उसे उसका पूरा मेहनताना नहीं देगा। वह बोला, “मुझे पता है तुम्हारी तीसरी सीख क्या है, यही न, कि अगर कोई तुम्हें गधा बनाये तो उसे जोर से दुलती मारनी चाहिए”। और यह कहकर मजदूर ने बोरा जोर से नीचे पटक दिया। बोरे में भरे सारे मिट्टी के बर्तन टूट गये और व्यापारी को अपने किये की सजा मिल गई।