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बीरबल और दर्जी
मजेदार हिंदी कहानी: बीरबल और दर्जी:- एक बार बेगम साहिबा को चीन की महारानी ने एक बहुमूल्य सिल्क के कपड़े का टुकड़ा भेंट दिया था। बेगम साहिबा ने बीरबल को बुलाया और उसे कहा कि वह उनके लिए इस कपड़े की सुंदर पोशाक तैयार करवाएं। महारानी ने कहा, "बीरबल, मैंने सुना है कि हम दर्जी को जब भी कुछ कपड़े सिलने के लिए देते हैं तो वह उसमें से कपड़ा अपने पास रख लेता है। मैं नहीं चाहती कि मेरे सिवाय कोई और इस कपड़े से बनी हुई पोशाक पहने। मैं चाहती हूँ कि तुम पूरी तरह ध्यान दो कि दर्जी इसमें से कपड़ा ना चुरा ले!" (Stories | Fun Stories)
बेगम साहिबा की बात सुनकर बीरबल ने कहा, "बेगम साहिबा, मेरा अनुभव कहता है कि आप जितनी भी कोशिश कर लें लेकिन दर्जी कपड़े का टुकड़ा बचाने में कामयाब हो ही जाता है"।
बेगम साहिबा ने कहा, "नहीं, नहीं, मुझे इस पर विश्वास नहीं है। तुम राजसी दर्जी को यहां पर बुलाओ और उसे मेरी पोशाक यहीं राजमहल में सिलने के लिए कहो। उसके आसपास सुरक्षाकर्मी लगा दो और फिर देखो कि वह कैसे यह बहुमूल्य कपड़ा चुराता है। मैं दावे के साथ कहती हूँ कि ऐसे में वह कपड़ा नहीं चुरा पाएगा"।
रानी की बात सुनकर बीरबल मुस्कुराया और उसने कहा, "बेगम साहिबा, दर्जी बहुत चालाक होते हैं। आप जो कुछ भी कर लीजिए, फिर भी वह आपका बचा हुआ कपड़ा चुरा ही लेंगे!" रानी बीरबल की बात सुनने को तैयार नहीं थी और यह काम उन्होंने एक चुनौती के जैसे लिया। राजसी दर्जी को बुलाया गया और उसे राजमहल में ही काम करने के लिए आदेश दिए गए। उसे कहा गया कि जब तक उसका काम खत्म नहीं होगा, तब तक वह कहीं जा नहीं सकेगा। (Stories | Fun Stories)
दर्जी अपना सारा सामाना लेकर राजमहल में काम करने के लिए आया। उसके काम करने की जगह पर ढेरों सुरक्षाकर्मी...
दर्जी अपना सारा सामाना लेकर राजमहल में काम करने के लिए आया। उसके काम करने की जगह पर ढेरों सुरक्षाकर्मी लगाए गए, जो उसपर नज़र रखे हुए थे। दर्जी को बाहर जाने का आदेश नहीं था। वह अपने घर भी नहीं जा सकता था। इसी तरह दस दिन बीत गए। पूरे दिन दर्जी बेगम साहिबा की बहुमूल्य पोशाक बनाने में व्यस्त रहता था।
एक दिन दर्जी से उसकी बेटी राजमहल में मिलने आई। उसने कहा, "पिताजी, कृपया आज घर जुरूर आना। माँ आपको बहुत याद कर रही थी"। दर्जी की बेटी को अंदर घुसने की इजाज़त नहीं थी इसलिए वह सुरक्षित कमरे के बाहर खड़ी होकर दर्जी को यह सब बातें बोल रही थी।
दर्जी ने उसे घर ना आने की अपनी मजबूरी बताई। लेकिन उसकी बेठी अपनी बात पर अड़ी रही। वह अपने पिता को मनाने में जुठी रही। अपनी बेटी की बातों को बार-बार सुनकर दर्जी को गुस्सा आ गया और गुस्से में उसने अपना जूता निकालकर लड़की की तरफ फेंका। दर्जी ने कहा, "मूर्ख लड़की, कितनी बार मैंने तुम्हें कहा है कि मैं घर नहीं आ सकता, तुम्हें समझ क्यों नहीं आता? तुम सुनती क्यों नहीं हो?"
अपने पिता को इतना गुस्से में देखकर छोटी लड़की काफी असमंजस मे पड़ गई। उसने अपने पिता द्वारा फेंके गए जूते को उठाया और वहां से भाग गई। आखिरकार पंद्रह दिनों बाद वह अनमोल पोशाक तैयार हो गई। उस पोशाक को देखकर बेगम साहिबा बहुत खुश हुईं। रानी ने दर्जी को अच्छा ईनाम दिया। राजमहल छोड़ने से पहले दर्जी की सुरक्षाकर्मियों ने पूरी तरह जांच की। (Stories | Fun Stories)
रानी बहुत खुश थी कि पूरे राज्य में उसकी पोशाक सबसे अलग और सुंदर होगी। एक दिन रानी बाजार में अपनी राजसी बग्गी में जा रही थीं। उसने देखा कि एक महिला ने उसके बहुमूल्य कपड़े से मिलते हुए कपड़े का ब्लाउज़ पहना हुआ था।
यह देखकर बेगम साहिबा ने अपने सुरक्षाकर्मियों से उस महिला को राजमहल में लाने का आदेश दिया। जब महिला राजमहल आई तो बेगम साहिबा ने उससे पूछा कि वह कौन है। काफी जांच के बाद पता चला कि वह महिला उस राजसी दर्जी की पत्नी है। यह सुनकर रानी को बहुत गुस्सा आया साथ ही उसे कुछ आश्चर्य भी हुआ। बेगम साहिबा ने दर्जी को बुलाया। दर्जी बहुत डर गया। वह बीरबल के पास गया और उसने बीरबल को अपने साथ चलने के लिए गुजारिश की। बीरबल को दर्जी पर तरस आ गया और वह उसके साथ चलने के लिए राजी हो गया।
बेगम साहिबा बहुत गुस्से में थीं लेकिन बीरबल ने बेगम साहिबा का गुस्सा शांत किया। बीरबल ने कहा, "बेगम साहिबा, यह दर्जी का कुसूर नहीं है। दर्जी इसी तरह के होते हैं। कृपया, उसे माफ कर दीजिए"। बेगम साहिबा ने कुछ समय के लिए सोचा और फिर दर्जी से पूछा, "मैं तुम्हें माफ कर दूंगी लेकिन तुम बताओ कि तुमने कैसे यह कपड़ा मेरे राजमहल से चोरी कर लिया"। बेगम साहिबा की बात का जवाब देते हुए दर्जी ने कहा, "हुजूर, जब मेरी बेटी मुझे बुलाने आई थी। मैंने गुस्से में होने का नाटक किया और उसकी तरफ अपना जूता फेंका। मैंने उस जूते में कपड़े का टुकड़ा रख दिया था। यहां आने से पहले मैंने अपनी बेठी को इस वाक्ये के बारे में पहले ही समझाया हुआ था। तो, जब मैंने उसकी तरफ जूता फेंका, तो वह उस जूते को उठाकर राजमहल से भाग गई"।
पूरी बात बताकर दर्जी ने अपना सिर झुका लिया। अपने वादे के मुताबिक बेगम साहिबा ने उस दर्जी को माफ कर दिया और उसे वापिस भेज दिया। फिर उसने बीरबल की तरफ देखा और कहा, "बीरबल, तुम बिलकुल ठीक कह रहे थे। यह नामुमकिन है कि दर्जी से कपड़े को बचाया जा सकता है"। बेगम साहिबा की बात सुनकर बीरबल मुस्कुराया और वहां से चला गया। (Stories | Fun Stories)