सीख देती मजेदार कहानी: आज्ञाकारी नौकर इस कहानी में बुछुआ नामक एक नौकर की कुशलता और दूरदर्शिता को दर्शाया गया है। इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि केवल आदेशों का पालन ही नहीं, बल्कि भविष्य की सोच भी महत्वपूर्ण है। By Lotpot 01 Aug 2024 in Stories Fun Stories New Update आज्ञाकारी नौकर Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 सीख देती मजेदार कहानी: आज्ञाकारी नौकर:- यह बहुत ईमानदार है, मेहनती है और हमेशा आपकी आज्ञा अनुसार ही काम करेगा। अपने मित्र की इस सिफारिश के बाद ही लाला जी ने बुछुआ को अपने घर नौकर रखा था। एक दिन लाला जी के पेट में बहुत दर्द उठा उन्होंने बुछुआ को बुलाकर बाजार से दो सोड़ा की बोतलें लाने को कहा। साथ ही यह हिदायत भी दी कि बोतलों को सम्भाल कर लाये ताकि वह टूट न जायें। आदेश का पालन बुछुआ दौड़ता हुआ गया और शीघ्र ही एक बोतल लेकर वापस आ गया। लाला जी ने गुस्से में पूछा, “मैंने दो बोतलें लाने को कहा था, तुम केवल एक लेकर ही कैसे लौटे आए?” बुछुआ ने उत्तर दिया, “लाला जी आप ने कहा था कि बोतलें सम्भाल कर लाना, कहीं टकरा कर टूट न जाए इस कारण मैं एक समय में एक बोतल ही लाया हूं मैंने आपके आदेश का ही पालन किया है”। लाला जी का गुस्सा कम हो चुका था, उन्होंने कहा, “बुछुआ कुछ अपनी अक्ल का भी इस्तेमाल कर लिया करो। तुम मेरी बात मानते हो यह ठीक है पर थोड़ा आगे की भी सोचने का स्वभाव बनाओ”। कुछ दिन बाद लाला जी फिर बीमार पड़े। लाला जी ने बुछुआ को बुला कर कहा कि जाकर डाक्टर को घर ले आ। बुछुआ गया और डाक्टर को बुला लाया। डाक्टर ने दवा दी ओर लाला जी को आराम आ गया। लाला जी डाक्टर को बाहर छोड़ने आए तो उन्होंने देखा कि दरवाजे पर तीन और लोग खड़े हुये हैं, वे सभी बुछुआ के साथ ही आए थे। लाला जी ने बुछुआ से पूछा, “यह कौन लोग हैं और तुम इन्हें यहां अपने साथ क्यों लाए हो?” डाक्टर के साथ कैमिस्ट, वकील, और पुरोहित का साथ बुछुआ ने उत्तर दिया, “लाला जी आपने मुझसे कहा था कि कुछ अपना दिमाग भी लगाया करो। मैंने वही किया है इसमें से एक कैमिस्ट है, मैंने सोचा यदि डाक्टर ने बाहर से मंगाने के लिये कोई दवा लिखी तो यह तुरंत ले आएगा। दूसरा व्यक्ति एक वकील है, यदि डाक्टर कहता कि आपके पास अब थोड़ा ही समय बचा है तो निश्चय ही आप अपनी जायदाद की वसीयत करना चाहते। यही सोचकर मैं वकील साहब को साथ ही लेता आया”। “पर यह तीसरा व्यक्ति कौन है और तुम इसे साथ क्यों लाए हो?” लाला जी ने पूछा। बुछुआ ने बड़ी शान्ति से उत्तर दिया, “लाला जी मैं अब बहुत आगे की सोचने लगा हूं। यह भी हो सकता था कि आप का रोग घातक हो और आप की मृत्यु हो जाये। लाला जी की प्रतिक्रिया और बुछुआ का सम्मान यह तीसरा व्यक्ति पुरोहित है जो अन्तिम क्रिया कर्म कराता है लाला जी एकदम चकित रह गए। उन्हें गुस्सा आया पर शीघ्र उन्हें बुछुआ की दूरदर्शिता पर हंसी आ गयी बुछुआ पर गुस्सा होने के बजाय उन्होंने एक बीस रूपये का नोट निकाल कर दिया और कहा, “बुछुआ तुम सचमुच बहुत आगे की सोचने लगे हो, जाकर जलेबी खा लो। निष्कर्ष इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि सिर्फ आदेशों का पालन करना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि भविष्य की संभावनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। बुछुआ की दूरदर्शिता और योजनाबद्ध सोच ने उसे लाला जी की नज़रों में एक खास स्थान दिलाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सोचने और समझने की क्षमता हमें जीवन में बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है। कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि केवल आदेशों का पालन करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे समझदारी और दूरदर्शिता के साथ पूरा करना भी महत्वपूर्ण है। इस तरह की सोच हमें जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है और हमें अधिक प्रभावी बनाती है। यह भी पढ़ें:- मजेदार हिंदी कहानी: तीन सीख मजेदार हिंदी कहानी: बीरबल और दर्जी हिंदी मजेदार कहानी: सही पहचान बच्चों की मजेदार हिंदी कहानी: विश्वास #Kids Hindi Fun Story #मजेदार हिंदी कहानी #Hindi Story of the Obedient Servant #Hindi story of the master and servant #आज्ञाकारी नौकर की कहानी #मालिक और नौकर की कहानी You May Also like Read the Next Article