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विदेशी लड़की
मजेदार हिंदी कहानी: विदेशी लड़की:- जब अमित ने ऐलान किया कि वह एक विदेशी लड़की से विवाह करेगा तो घर में तूफान आ गया। “जिस लड़की से तुम विवाह करने जा रहे हो वह क्रिश्चियन है क्या?” उसके पापा ने पूछा।
“नहीं पापा। वह बौद्ध धर्म को मानने वाली है। किन्तु धार्मिक रीतिरिवाजों को लेकर वह बहुत उदार है वह बुद्ध भगवान की एक मूर्ति सिरहाने रखती है जैसे हम दीवार पर राधा कृष्ण का कलैन्डर लगाते हैं”।
“वह किस देश की नागरिक है?”
जापान, किन्तु वह भारत में पिछले तीन साल से रह रही है। वह यहां कई भारतीय संस्थानों के लिये...
“जापान, किन्तु वह भारत में पिछले तीन साल से रह रही है। वह यहां कई भारतीय संस्थानों के लिये काम करती है जिनके जापान से व्यापारिक सम्बंध हैं। अमित ने सारी सूचना एक सांस में दे डाली।
“वह हिन्दी नहीं समझ पायेगी। हमारे परिचार में उसका गुजारा कैसे होगा?” एक रूढिवादी पिता की ओर से एक और सवाल आया।
“नहीं पापा, कोई समस्या नहीं होगी। वह बहुत जल्दी अन्य भाषाएं सीख लेती है जैसे उसने अंग्रेजी सीखी वह हिन्दी भी सीख लेगी”। पर अभी सवालों की झड़ी रूकी नहीं थी।
अमित के पिता की ओर से एक और आपति आई- “जब हम अपनी रिश्तेदारी में शादी जैसे मौकों पर अपने गांव जायेंगे तब इसका क्या होगा?”
अमित समझ गया- उसे अभी और सब्र से काम लेना पड़ेगा।
उसने कहा, “ऐसे अवसरों पर तो खूब निभेगी, वह बहुत अच्छा नृत्य करती है। पापा आपने अपनी होने वाली पुत्र वधु के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर ली है, क्यों न हम अब खाने का आर्डर दे दें”।
अमित अपने पापा को बात करने के लिये एक मंहगे रेस्टोरैन्ट में यह सोच कर लाया था कि यहां के वातावरण में शायद उसके पिता उसकी बात आसानी से स्वीकार कर लेंगे।
“मैंने सुना है कि यह रेस्टोरैन्ट, ‘सुशी’ के लिये जाना जाता है। क्यों न आज ‘सुशी’ चखी जाए?” अमित को तसल्ली हो गयी। पापा अब स्वीकृति के मूड में हैं। फिर भी उसने कहा, पर पापा सुशी तो एक जापानी व्यंजन है- आपको पसन्द आयेगा?
“देखो बेटा, मैं तुम्हारा बाप हूं यदि तुम जीवन भर के लिये एक जापानी लड़की चुन सकते हो तो मैं भी एक शाम के लिये तो जापानी व्यंजन चुन ही सकता हूं” और फिर पुत्र, पिता और उन की जापानी पुत्र वधु के दिन खुशी-खुशी बीतने लगे।