आनंदपुर का साहसी हीरो- आनंदपुर, एक हरा-भरा और खुशहाल शहर था, जहां लोग सुख-शांति के साथ रहते थे। इसी शहर में वीरू नाम का एक साहसी और मददगार लड़का था, जिसे सभी लोग पसंद करते थे। दूसरी ओर, राजा विकराल, एक लालची और क्रूर शासक था, जो आनंदपुर के खजाने पर कब्जा करना चाहता था।
मेला और शीशमहल की खुशी
एक दिन वीरू और उसके दोस्तों ने सुना कि अगले दिन आनंदपुर में एक बड़ा मेला लगने वाला है। इसमें शीशमहल, मोम की अद्भुत मूर्तियां, और स्वादिष्ट मिठाइयां देखने को मिलेंगी। उत्साह में भरे वीरू और उसके दोस्त अगली सुबह जल्दी ही मेले में पहुंचे।
उन्होंने शीशमहल की चमकदार दीवारें और मोम से बने जानवरों की मूर्तियां देखीं। वीरू के दोस्त मन्नू ने एक विशाल जानवर को देखकर पूछा, "यह कौन-सा जानवर है?" वीरू ने समझाया, "यह मैमथ है, जो आइस एज के समय का है, जब पूरी दुनिया बर्फ से ढकी हुई थी।"
राजा विकराल की खतरनाक योजना
वहीं दूसरी ओर, राजा विकराल और उसके साथी तांत्रिक त्रिलोक ने शहर को बर्बाद करने की साजिश रची। त्रिलोक ने एक काला मंत्र पढ़कर मोम की मूर्तियों को जीवित कर दिया। मूर्तियां जैसे ही जीवित हुईं, वे पूरे शहर में हंगामा मचाने लगीं। लोग जान बचाने के लिए भागने लगे।
वीरू की सूझबूझ और बहादुरी
वीरू ने स्थिति को समझा और तुरंत सोचा कि ये मूर्तियां तो मोम से बनी हैं, और गर्मी इन्हें खत्म कर सकती है। वीरू ने दोस्तों को शीशमहल से शीशे लाने को कहा। उसने सूरज की रोशनी को शीशों से मोड़कर मूर्तियों पर डाला। गर्मी से मूर्तियां पिघलने लगीं, और देखते ही देखते सभी मूर्तियां खत्म हो गईं।
आनंदपुर की खुशी
शहर के लोग वीरू की बहादुरी से खुश होकर उसका धन्यवाद करने लगे। उन्होंने वीरू को शहर का सच्चा हीरो कहा।
सीख: सूझबूझ और साहस से हर मुश्किल का समाधान किया जा सकता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम डर के बजाय अपनी समझ और हिम्मत का इस्तेमाल करते हैं, तो सबसे बड़ी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं। वीरू की तरह, हमें हमेशा अपने और दूसरों की भलाई के लिए तैयार रहना चाहिए।