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खातिरदारी
Fun Story खातिरदारी:- एक गांव में रामू किसान अपनी पत्नी शांति के साथ रहता था। रामू बहुत सीधा सादा और भला आदमी था। उसकी पत्नी शांति भी उसी तरह भली और नेक औरत थी। दोनों पति पत्नी घर आए महमानों की खूब खातिरदारी करते थे। पर उन्हें ऐसे मेहमान पसंद नहीं थे जो आने के बाद जाने का नाम ही न लें। (Fun Stories | Stories)
वे चाहते थे कि मेहमान आए मगर, एक-दो दिन रूक कर वापस चले जाएं। मेहमान अगर ज्यादा दिन रूक जाते थे तो उन्हें अनावश्यक खर्च और परेशानी उठानी पड़ती थी।
एक बार की बात है किसान के यहां उसका साला अपनी बीवी तथा बच्चों के साथ घूमने आया। किसान और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। दोनों ने उन लोगों की अच्छी खातिरदारी की। दो-तीन दिनों के बाद उन लोगों का वापस लौट जाना था। लेकिन यहां की खातिरदारी देखकर उन लोगों ने कुछ दिन और रूकने का विचार किया। (Fun Stories | Stories)
अब तो किसान और उसकी पत्नी सोच में पड़ गए, क्योंकि उनके रूकने से किसान को परेशानी होने लगी। बच्चों ने भी धमाचौकड़ी मचाकर नाक में दम कर दिया था।
किसान और उसकी पत्नी ने सोचा, पता नहीं ये कब यहां से जाएंगे। एक सप्ताह के बाद...
किसान और उसकी पत्नी ने सोचा, पता नहीं ये कब यहां से जाएंगे। एक सप्ताह के बाद भी जब उन लोगों ने लौटने का नाम नहीं लिया तो किसान ने एक उपाय सोचा। अगले दिन खेत पर जाते समय किसान ने अपने साले को एक कुदाल और टोकरी पकड़ाते हुए कहा, ‘साले साहब, आज मजदूर नहीं आया है। मेरे खेत के पास एक गड्ढ़ा है उसे मिट्टी से भरना है। जरा आप मेरे साथ खेत पर चलिए। मैं मिट्टी काट-काट कर दूंगा और आप टोकरी में डालकर गड्ढे में भरते जाना।’ (Fun Stories | Stories)
यह सुनकर किसान का साला थोड़ा सकपकाया। चाहकर भी वह इंकार नहीं कर पाया। उसे किसान के साथ जाना पड़ा। किसान के खेत के पास गड्ढ़ा था, हालाकि किसान को उस गड्ढे से कोई लेना देना न था। परंतु साले को सबक सिखाने के लिए उसने मिट्टी काटकर भरना शुरू कर दिया। मिट्टी ढो ढो कर कुछ ही देर में साले साहब का अंग-अंग दुखने लगा। मारे भूख के पेट में चूहे भी कूदने लगे। रो धोकर उसे शाम तक मिट्टी भरना पड़ा।
लौटते ही उसने फैसला कर लिया कि अब वह यहां एक पल भी नहीं रूकेगा। उसने अपनी पत्नी से वापस चलने की तैयारी करने को कहा तो वह बोली, ‘अभी क्या जल्दी है। अभी और दो तीन दिन रूको न कितनी खातिरदारी हो रही है हमारी यहां। (Fun Stories | Stories)
उसने मुंह बिगाड कर कहा, ‘खातिरदारी हो रही है। मुझे नहीं रूकना यहां तुम्हें रूकना है तो महीने भर रूको। मैं तो कल सुबह ही यहां से चला जाऊंगा। (Fun Stories | Stories)
अगली सुबह साले साहब बच्चों के साथ जाने लगा तो किसान की पत्नी बोली, ‘अरे बहन , मेरी तबीयत खराब है अभी दो-चार दिन और रूक जाती तो अच्छा रहता।’
‘नहीं, अब मैं यहां नहीं रुकूंगी, मेरा घर जाना बहुत जरूरी है, यह कहकर वह बच्चों के साथ चल दी।
किसान और उसकी पत्नी ने चैन की सांस ली। (Fun Stories | Stories)
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