Fun Story: चोरी की चॉकलेट शनिवार के दिन बच्चों का स्कूल सुबह का रहता है। सुभाष, मफत और किरण सारे बच्चों को सवेरे जल्दी ही उठना पड़ता है। उस दिन भी सुभाष और मफत स्कूल जाने की तैयारी में व्यस्त थे। By Lotpot 31 Dec 2023 in Stories Fun Stories New Update चोरी की चॉकलेट Fun Story चोरी की चॉकलेट:- शनिवार के दिन बच्चों का स्कूल सुबह का रहता है। सुभाष, मफत और किरण सारे बच्चों को सवेरे जल्दी ही उठना पड़ता है। उस दिन भी सुभाष और मफत स्कूल जाने की तैयारी में व्यस्त थे। तभी दादाजी को सज धज कर बाहर जाने की तैयारी करते देख कर बच्चों की उत्सुकता स्वाभाविक ही थी। बेचारे कुछ भी नहीं कर सकते थे। (Fun Stories | Stories) सुभाष और मफत को यूं ताका झांकी करते देख कर दादा जी भी मूछों में तन्मयता से मुस्कुराये, मानों कोई बड़ा काम करने जा रहे हों। तीसरी दफा कुरते की धूल झाड़ी, चैथी बार चश्में की गर्द पौंछी फिर पिताजी को आवाज़ लगाई ‘भई गंगाराम जल्दी तैयार हो जाओ।’ इसके पश्चात फिर पटाखा छोड़ा..... और बहू ने अभी तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजा सात बजने को है। आखिर वहां तक जाने में भी कुछ समय लगेगा, कोई घर के नीचे ही तो स्कूल नहीं है। भई हमारे जमाने में तो..!’ दादाजी का व्याख्यान समाप्त होने से पूर्व ही सुभाष और मफत मुहँ पौछते हुए, बस्ता लटकाये बाहर निकल गये। दादाजी ने अब अपने ज़माने की बात सुनाना व्यर्थ समझा और गर्वमयी दृष्टि उन दोनों पर डाली किरण से खुसर-फुसर करते देख कर शंकित नैनों से उन्हें घूरा परन्तु सुभाष उन्हें कुछ बोलने का अवसर दिए बिना ही भाग गया। (Fun Stories | Stories) सुभाष का बाहर जा कर भीतर आना, फिर किरण से कुछ खुसर-फुसर करना। दादाजी के लिए... सुभाष का बाहर जा कर भीतर आना, फिर किरण से कुछ खुसर-फुसर करना। दादाजी के लिए काफी सन्देहात्मक मामला था उन्होंने किरण को भांपने की चेष्टा की परन्तु असफल रहे क्योंकि पिताजी तैयार होकर आ गये थे। दादाजी को मजबूरन अपनी खोज स्थगित रखनी पड़ी और वे पिताजी के साथ बाहर को चले, चलते-चलते उन्होंने फिर एक पटाखा छोड़ दियाः ‘‘बहू किरण की तबियत अब तो कुछ ठीक है। इसे नहीं भेजा स्कूल।’ शायद वे कुछ और कहते परन्तु पिताजी बाहर जा चुके थे अतः दादाजी भी बाहर को लपके और किरण हौले से मुस्कुरा दी। जैसे पहले दादा जी मुस्कुरा रहे थे। (Fun Stories | Stories) करीब साढेे नौ बजे दादाजी वापिस लौटे तो उनकी आंखों में एक विचित्र सी चमक थी। जब खाना खाते वक्त पिताजी ने माँ को सारा किस्सा सुनाया तो स्वतः ही किरण की समझ में आ गया। वह भी उत्सुकता से सुभाष और मफत का इन्तजार करने लगी, भला उसने भी कैसी होशियारी से सुभाष द्वारा सौंपा दायित्व पूरा कर दिया था। खैर जैसे तैसे यह प्रतीक्षा भी पूर्ण हुई। एक बजे तक लापता रहने वाले दोनों भाई आज बारह बजे ही घर पर उपस्थित थे। वे तो और भी जल्दी आ जाते परन्तु दादाजी जांच आयोग की पूछताछ का डर जो था। खाना खाने के बाद तीनोें बच्चों की कार्यवाही प्रारम्भ हुई। किरण ने अपनी समझदारी और गोपनीयता के बखान के बाद अपनी रिर्पोट संक्षिप्त रूप में रखी। (Fun Stories | Stories) ‘‘दादाजी, पिताजी के साथ किसी (डैन्टिस्ट)’’ के यहां गये थे। क्योंकि दादाजी के बचे हुए दाँत भी अपनी जगह छोड़ने को बेचैन थे। परन्तु चिकित्सक की सलाह पर दादाजी ने उसे उखड़वाने का विचार छोड़कर डाॅक्टर की सलाहनुसार कुछ चाॅकलेट और कुछ दवा दाढ़ से हल्का व्यायाम करवाने हेतु लाये हैै।’’ ‘‘यह ‘डैन्टिस्ट’ क्या होता है?’’ सुभाष ने जिज्ञासा प्रकट की। बड़े भाई की बेवकूफी पर मफत को गुस्सा आ गयाः ‘कुछ भी होता हो, है बड़ा अच्छा। चाॅकलेटें जो देता है।’ किरण ने भी समर्थन किया और प्रस्ताव सर्व सम्मति से पास हो गया। तुमने चाकलेटें अपनी आंखों से देखी थी? सुभाष ने किरण से पूछताछ की। किरण ने सिर हिला दिया। ‘हो सकता है, दादाजी आज चाॅकलेट न लाये हों? मफत ने अपनी शंका प्रस्तुत की। (Fun Stories | Stories) ‘उहूँ! दादाजी ऐसी गलती कभी नहीं कर सकते हैं, कल इतवार है दुकानें वैसे ही बन्द रहेंगी फिर परसों तक का दादाजी इन्तजार ही नहीं कर सकते हैं।’ सुभाष ने तर्क दिया। इस अकाट्य तर्क को सुनने के बाद तीनों बच्चों को बहस करने की गुंजाइश नजर नहीं आयी। मफत ने आरोप लगाया। कि किरण ने अपना कार्य संतोषजनक रूप से नहीं किया उसे दादाजी के चाॅकलेटों का पता लगाना चाहिए था। किरण के असहयोग की आशंका भाँप कर सुभाष ने यह तथ्य स्वीकार नहीं किया भला दादाजी जैसे आदमी से पार पाना किरण के बस का है? तीनों ने खोज कार्य प्रारम्भ किया। सुभाष ने दादाजी के कुर्ते तथा जाकेट की जेबों का मुआयना अपनी अनुभवी आंखों से किया। उनकी आकृति में कोई फर्क न पाकर मेज की दराज, कुर्सी के गद्दे से लेकर आँगन के गमले तक को छान लिया परन्तु कहीं भी उन चाॅकलेटों का चिन्ह नहीं नज़र आया। दादाजी के कमरे के पश्चात रसोई घर, ड्राइंग रूम की भी तलाशी हुई फिर डैडी के कमरे का नम्बर लिया गया। यकायक मफत हर्षोल्लास से चीखा, डैडी की किताबों वाली अलमारी में आखिर उसने चाॅकलेटें ढूँढ ही निकाली थी। सुभाष ने चाकलेटें तो जेब के हवाले कीं और दिल ही दिल दादाजी की बुद्धि की प्रशंसा की। जितनी खुशी चाॅकलेट खाने से हुई उतनी उन्हें अपनी विजय पर हुई। आज वे दादाजी से बाजी मार गये थे। बच्चों को संतुष्ट देख कर दादाजी को कुछ सन्देह हुआ परन्तु उन्हें ऐसा कोई कारण नहीं नज़र आया जिस से वह बच्चों को डाँट सकें। (Fun Stories | Stories) शाम होते न होते बच्चे परेशान हो चुके थे। बार बार शौच (टायलेट) में जाना उन्हें न जचंता था। भला ऐसी भी क्या दस्तें दो दो मिन्ट बाद लगें। जब दादाजी ने उनकी यह हालत देखी तो कुछ चौंके, फिर गरजे- ‘गंगा राम कहीं इन बच्चों को दस्त तो नहीं लग गये हैं। कितनी देरे से देेख रहा हूं, नम्बर लगा रखा है टायलेट का। कितनी बार कह चुका हूं इन को जेब खर्च न दिया करो न जाने खोमचे पर क्या क्या खा आया करते हैं’’ पताजी ने प्रत्युत्तर में कुछ नहीं कहा, फिर वे अपने कमरें में चले गये। थोड़ी ही देर बाद पिता जी ने पूछताछ शुरू कर दी- ‘‘अरे मैं पूछता हूँ, यहाँ से मेरी दवा कौन ले गया है? इन नालायकों ने तो नाक में दम कर रखा है।’’ (Fun Stories | Stories) जब दादाजी ने पिताजी की बोखलाहट सुनी तो जरा धैर्य से पूछा ‘‘गंगू इतने परेशान क्यों हो?’’ ‘‘कुछ नहीं पिताजी कल मैं कुछ जुलाब की चॉकलेटें लाया था पेट साफ करने को। आज देखता हूँ जो सब गायब है।’’ डैडी ने प्रत्युत्तर दिया। ‘‘जुलाब की चॉकलेटें।’’ दादाजी उछले-‘‘तभी आज इन तीनों ने टायलेट का नम्बर लगा रखा है।’’ (Fun Stories | Stories) पलक झपकते ही पिताजी सारा माजरा समझ गए, बस फिर क्या था। तीनों बच्चों की पेशी हुई और चोरी के आरोप में एक सप्ताह का जेब खर्च बन्द कर दिया गया। हालत खराब हुई सो अलग। जब बच्चों ने सुना कि चॉकलेटें जुलाब की थीं, तो आसमान से गिरे। इधर दादाजी सुभाष की अलमारी से चॉक्लेट निकाल कर दांतों की कसरत कर रहे थेे। (Fun Stories | Stories) lotpot-e-comics | short-hindi-stories | hindi-short-stories | short-stories | hindi-stories | hindi-kids-stories | hindi-fun-stories | kids-fun-stories | fun-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-hindii-khaanii यह भी पढ़ें:- Fun Story: हाथी का वज़न Fun Story: धूर्त वैद्य Fun Story: चार चोर Fun Story: जुड़वा बच्चों का तोहफा #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Hindi Kids Stories #Kids Stories #Kids Fun Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Fun Stories #Hindi fun stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories You May Also like Read the Next Article