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हाथी का वज़न
Fun Story हाथी का वज़न:- यह उस समय की कहानी है जब मनुष्य ने विद्या और बुद्धि की उन्नति नहीं की थी, जितनी वर्तमान में कर ली है। आजकल इतने बड़े तराजू बन गये हैं, कि हाथी ही क्या मालगाड़ी के सभी डिब्बों का वज़न तोला जा सकता है। (Fun Stories | Stories)
किसी देश में एक राजा रहता था। राजा एक दिन अचानक बीमार पड़ गया, बहुत दिनों तक दवा चलती रही पर वह अच्छा नहीं हुआ। तब राजा ने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो भी उन्हें अच्छा कर देगा, उसे हाथी के वज़न के बराबर सोने की मोहरें दी जाएंगी। दूर-दूर से वैद्य हकीम उनके इलाज के लिये आने लगे। अंत में एक वैद्य की दवा से उनका रोग दूर हो गया और वे फिर से पहले की तरह अच्छे हो गये। (Fun Stories | Stories)
राजा ने अपने मंत्री से कहा कि वैद्यराज जी को एक हाथी के वज़न के बराबर सोने की मोहरें दे दी जाएँ...
राजा ने अपने मंत्री से कहा कि वैद्यराज जी को एक हाथी के वज़न के बराबर सोने की मोहरें दे दी जाएँ। मंत्री चक्कर में पड़ गया कि आखिर हाथी का वज़न कैसे किया जाए। मंत्री कई दिनों तक सोचता रहा, परन्तु उसे इतने बड़े जानवर को तोलने का कोई उपाय न सूझा। अंत में हार मानकर मंत्री ने राजा से कहा कि हाथी का वज़न नहीं तोला जा सकता। राजा ने अपने राज्य के सभी विद्वानों से पूछा पर कोई न बतला सका। अब यह बात सारे शहर में फैल गई। उसी शहर में एक केवट रहता था। शहर के किनारे एक नदी बह रही थी। वहीं वह नाव चलाता था। उस केवट के मस्तिष्क में हाथी का वज़न तोलने का उपाय सूझ गया।
केवट राजा के दरबार में पहुँचा। वहाँ राजा का दरबार लगा हुआ था। केवट बोला- ‘महाराज यदि आज्ञा हो तो मैं हाथी को तोल दूँ।’ केवट की बात सुनकर सभा के सभी विद्वान हँसने लगे। परंतु राजा ने उसकी बुद्धि की परीक्षा लेना उचित समझा। राजा ने उसे हाथी तौलने की आज्ञा दे दी। (Fun Stories | Stories)
तब केवट हाथी और उसके महावत को लेकर नदी की ओर चल पड़ा। उनके पीछे-पीछे राजा भी अपने सभासदों के साथ चल दिये। वे देखना चाहते थे कि केवट हाथी को कैसे तौलता है। नदी पर पहुँचते ही केवट नाव ले आया और महावत के सहारे हाथी को नाव पर चढ़ा दिया। अब नाव धीरे-धीरे पानी में डूबने लगी। नाव जितनी दूर तक डूबी थी, वहाँ तक केवट ने गेरू मिट्टी से निशान लगा दिया। इसके बाद केवट ने हाथी को उतार दिया और केवट राजा से बोला-अब आप सोने की मोहरे मँगवाएँ। केवट मोहरे नाव में भरता गया। नाव में इतनी मोहरे भर गई कि वह गेरू मिट्टी के निशान तक डूब गई। तब केवट बोला महाराज ये रही हाथी के वजन के बराबर मोहरें। राजा ने वे मोहरें वैद्यराज जी को दे दीं और केवट की बुद्धिमानी पर प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मोहरें इनाम में दीं। (Fun Stories | Stories)
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