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धर्मसेन का न्याय
मजेदार हिंदी कहानी: धर्मसेन का न्याय:- किसी जमाने में एक राजा था, उनका नाम धर्मसेन था। धर्मसेन का जैसा नाम था, वैसा ही उनका काम भी था। वह धार्मिक होने के साथ-साथ न्यायप्रिय भी थे। उनके दरबार में लोग दूर दूर से न्याय के लिए आते थे। (Fun Stories | Stories)
एक दिन धर्मसेन अपने दरबार में बैठे दरबारियों से विचार-विमर्श कर रहे थे। उसी समय एक व्यापारी दरबार में आया और बोला, “महाराज मैं बर्बाद हो गया किसी ने मेरे घर से मेरा कीमती संदूक चुरा लिया है। उस संदूक में ढेर सारा धन था, जिसे मैंने अपनी कड़ी मेहनत से कमाया था। कृपया मेरी सहायता कीजिये”। व्यापारी की बात सुनकर धर्मसेन ने कहा “भले व्यापारी! पहले मुझे यह बतलाओ कि तुम्हारे घर में और कौन-कोन है? क्या चोरी वाले दिन तुम्हारे घर कोई बाहरी व्यक्ति आया था”।
व्यापारी बोला, “मेरे अलावा मेरे घर में, मेरी पत्नी, मेरा तीन वर्ष का बेटा ओर दो नौकर हैं। चोरी वाले दिन कोई भी बाहरी आदमी मेरे घर में नहीं आया था”। (Fun Stories | Stories)
“अच्छा, कल तुम अपने दोनों नौकरों को दरबार में ले आना। चोर उनमें से ही कोई एक है”। धर्मसेन ने कहा।
दूसरे दिन, वह व्यापारी अपने दोनों नौकरों को लेकर राजदरबार में उपस्थित हुआ। धर्मसेन ने उन दोनों को एक-एक थैली दी, जिसमें...
दूसरे दिन, वह व्यापारी अपने दोनों नौकरों को लेकर राजदरबार में उपस्थित हुआ। धर्मसेन ने उन दोनों को एक-एक थैली दी, जिसमें सौ मुद्राएँ थीं और बोले, “तुम दोनों कल दरबार में इन थैलियों को लेते आना। तुम दोनों में जो चोर होगा उसकी थैली की एक मुद्रा कल कम हो जाएगी, और ध्यान रहे कि इन थैलियों को खोलना मत”। (Fun Stories | Stories)
दूसरे दिन दोनों नौकर थैली लेकर राजदरबार में फिर उपस्थित हुए। धर्मसेन ने दोनों की ओर मुस्कुराते हुए देखा, फिर दोनों के हाथों से थैली लेकर मुद्राएँ गिनने लगे। अचानक उन्होंने एक नौकर की ओर इशारा करते हुए कहा, “पकड़ लो उसे, यही असली चोर है”।
शुरू में तो नौकर ने अपराध कबूल नहीं किया पर सख्ती से पूछने पर उसने स्वीकार किया कि उसी ने संदूक चुराया है। धर्मसेन के न्याय से व्यापारी को बहुत आश्चर्य हुआ, उसने पूछा “महाराज आपने कैसे जाना कि असली चोर यही है”।
धर्मसेन हंस कर बोले, “सीधी सी बात है। चोर की थैली में एक मुद्रा अधिक थी। दरअसल चोर ने पकड़े जाने के भय से थैली में खुद ही एक मुद्रा डाल दी थी, पर यही उसकी भूल थी और वह पकड़ा गया। धर्मसेन के न्याय से व्यापारी बहुत खुश हुआ। वह राजा की जय जयकार करता हुआ चला गया। (Fun Stories | Stories)
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