बच्चों की नैतिक कहानी: पकौड़ीमल और घासीराम
Web Stories: एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट
Web Stories: एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट
गर्मी की छुट्टियां ख़त्म हो चुकी थीं, सभी स्कूल खुल चुके थे। नीटू और टीटा का स्कूल भी खुल गया था, स्कूल खुले 20 दिन हो चुके थे। नीटू और टीटा रोज़ स्कूल टाइम पर पहुँच जाते थे।
गर्मी का मौसम चल रहा था टीटा नीटू के घर पर गेम खेलने आया हुआ था। पूरी दोपहर गेम खेलने के बाद जब टीटा बहार निकला तो उसने देखा कि गेट के बाहर एक बहुत बड़ा सा आम रखा हुआ है।
एक दिन की बात है नीटू अपने दोस्तों के साथ गार्डन में टहल रहा था, तभी पीछे से बहुत जोर से हंसने की आवाज़ आई हा हा हा..आंखफोड़वा हूं मैं डाॅक्टर डेविल का सेनापति।
संडे का दिन था नीटू घर में बैठा बैठा बोर हो रहा था, तभी उसे ध्यान आया कि उसने अपने आई पैड में एक नया गेम डाउनलोड किया है। वह तुरंत अपना आई पैड उठा कर टेबल पर बैठ जाता है।
गर्मी की छुट्टियां ख़त्म हो चुकी थीं, कुछ बच्चे ख़ुशी ख़ुशी तो कुछ छुट्टियां ख़त्म होने की वजह से उदास मन से स्कूल पहुंचे थे। चेलाराम तो हमेशा की तरह ख़ुशी ख़ुशी स्कूल पहुँच चुके थे।
बारिश थम चुकी थी। चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। पानी से धुले पेड़ों पर एक नयी छटा दिख रही थी। मधुमक्खी एक खिले हुये फूल पर मडंरा रही थी। वह सारे उपवन में घूम-घूम कर अपने छत्ते पर ले जाने के लिये परागकण एकत्र कर रही थी।