मोटू पतलू ई-कॉमिक्स: ईधन बचाओ देश बचाओ
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, सभी बच्चे अपने अपने नानी या दादी के घर पर छुट्टियां मनाने गए हुए थे। ऐसे ही मोटू और पतलू के पड़ोसी के यहाँ भी उनके नाती पोते आए हुए थे।
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, सभी बच्चे अपने अपने नानी या दादी के घर पर छुट्टियां मनाने गए हुए थे। ऐसे ही मोटू और पतलू के पड़ोसी के यहाँ भी उनके नाती पोते आए हुए थे।
किसी जमाने में एक राजा था, उनका नाम धर्मसेन था। धर्मसेन का जैसा नाम था, वैसा ही उनका काम भी था। वह धार्मिक होने के साथ-साथ न्यायप्रिय भी थे। उनके दरबार में लोग दूर दूर से न्याय के लिए आते थे।
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, चेलाराम सुबह सुबह उठ कर जलेबी खाने के लिए घर से बाहर निकले। अभी वो घर से थोड़ी दूर ही पहुंचे थे कि तभी उनके दोस्त पिंकू ने उन्हें आवाज़ दी।
एक दिन पपीताराम अपनी सेहत को लेकर थोड़ा परेशान हो गए, वो अपनी इस परेशानी से निजात पाने के लिए डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर के पास पहुंचते ही पपीताराम ने डॉक्टर साहब को गुड इवनिंग किया।
मई का महीना ख़त्म होने वाला था और गर्मी अपने चरम पर थी, मोटू और पतलू पसीने में लथपथ अपने घर में बैठ कर हाय गर्मी, हाय गर्मी की रट लगा रहे थे।
रूमा गिलहरी फुदक-फुदक कर अमरूद इकट्ठे कर रही थी। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर, बेचारी थक कर चूर हो गई थी। "क्या बात है रूमा बहन? आज अचानक इतनी दौड़-धूप?"
एक दिन की बात है मौसम बहुत अच्छा हो रहा था, हवा भी चल रही थी। टीटा घर से बाहर निकलता है तो मौसम को देखकर उसका मन पतंग उड़ाने का करने लगता है।