/lotpot/media/media_files/2GFt3OQZPWtve9yj9NNJ.jpg)
पिकनिक और टैक्स
हिंदी जंगल कहानी: पिकनिक और टैक्स:- रूमा गिलहरी फुदक-फुदक कर अमरूद इकट्ठे कर रही थी। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर, बेचारी थक कर चूर हो गई थी। "क्या बात है रूमा बहन? आज अचानक इतनी दौड़-धूप?" दूसरे पेड़ पर बैठी मंजरी मैना ने पूछा। "कल हम लोग पिकनिक मनाने जा रहे हैं। इसलिए इन अमरूदों को इकट्ठे कर रही हूँ। मैं नदी किनारे वाले मैदान में तुम्हारा इंतजार करूंगी। "ठीक है, मैं जरूर आऊंगी"। मंजरी खुश होकर बोली- "मैं तुम्हारी सहायता करती हूं"। कहकर मैना भी अमरूद तोड़ने लगी। (Jungle Stories | Stories)
"पता है उस मैदान में झूले और नर्म घास का बिछावन है"। रूमा उसे बता रही थी। "मंद-मंद हवा बहती है। फिर हम लोग नाव में बैठकर नदी की सैर भी करेंगे"। मंजरी उस तरफ कभी भी नहीं गई थी। इसलिए आश्चर्य से उसकी बात सुन रही थी।
"हाँ अब काफी फल इकटटठे हो गए हैं, चलो अब घर चलें"। रूमा बोली। फल की बोरी उठाकर वे जैसे ही आगे बढ़ीं कि उनका रास्ता मोटू बंदर ने रोक लिया। "तुम दोनों यहां क्या कर रही थी? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि ये मेरा इलाका है"। (Jungle Stories | Stories)
"हम तो बस पेड़ से अमरूद तोड़ने आए थे।" रूमा बोलकर आगे बढ़ने को हुई। अमरुद का नाम सुनते ही...
"हम तो बस पेड़ से अमरूद तोड़ने आए थे।" रूमा बोलकर आगे बढ़ने को हुई। अमरुद का नाम सुनते ही मोटू के मुँह में पानी आ गया। वह खुद भी कई दिनों से अमरूद खाने की फिराक में था पर अमरूद ऊंचाई पर थे इसलिए आलस्यवश वह उन्हें तोड़ने से कतरा रहा था। उसने चाल चलते हुए कहा- "मेरे इलाके से अमरूद तोड़कर ले जा रही हो, लाओ निकालो मेरा टैक्स"।
"कैसा टैक्स मोटू?" मंजरी उबल पड़ी- "इलाका तो महाराज शेर सिंह का है। उन्हें यह पता चलेगा तो वह तुम्हें जेल में डाल देंगे। पर मोटू बंदर न माना। बोला- "चुपचाप निकालो मेरा टैक्स वर्ना सारे फल छीन लूंगा"।
मोटू की इस धमकी का मंजरी पर तो कोई असर नहीं हुआ पर बेचारी रूमा डर गई। अलग ले जाकर मैना से बोली- "इसे आधे फल दे देते हैं, वरना ये हमें सताएगा। देखो न कितना ताकतवर है"। (Jungle Stories | Stories)
"तुम भी हद करती हो रूमा। मैं इस मोटू को अभी मजा चखाती हूं। तुम सब्र करो। मंजरी बोली और इधर-उधर देखने लगी। तभी उसे रानी मधुमक्खी दिखाई पड़ी जो अमरूद के फूलों पर पराग लेने आई थी। मंजरी जाकर मोटू से बोली- "हम तो आधे फल तुम्हें टैक्स में दे देंगे, पर उस मधुमक्खी को तो देखो। वह शायद ही तुम्हें टैक्स दे"। मोटू बंदर तैश में आकर बोला- "ठहरो! मैं अभी जाकर उससे भी टैक्स मांगता हूं"।
वह जाकर मधुमक्खी से बोला- "यह मेरा इलाका है, निकालो मेरा टैक्स"। रानी मधुमक्खी उसकी इस अटपटी बात पर हंस पड़ी- "तुम अनाड़ी मालूम होते हो। वरना ऐसी बात नहीं करते। अब मेरा वक्त न बरबाद करो, चुपचाप यहां से चलते बनो"।
"अरे पिद्दी मक्खी, तू मुझे धमकाती है। ठहर मैं तुम्हें मजा चखाता हूं"। बंदर उस पर झपट पड़ा, पर मधुमक्खी कहां पकड़ में आती, फुर्र से उड़ गई। तब तक मधुमक्खियों की पूरी फौज वहां आ पहुंची क्योंकि उन्हें रानी पर खतरा दिखाई पड़ा।
रानी के इशारे भर की देर थी कि पूरी फौज ने मोटू पर हमला कर दिया। "हाय मैं मरा" चीखते हुए बंदर वहां से भागा।
"धन्यवाद बहन," मंजरी और रूमा ने मधुमक्खी से कहा- "कल तुम भी हमारी पिकनिक में शामिल हो सकती हो"।
रानी मीठे स्वर से बोली- "शामिल तो हो जाती पर क्या करूँं। यह मेरी पूरी फौज भी वहां पहुंच जाएगी। फिर तो तुम्हारी पिकनिक का कबाड़ा हो जाएगा। इसलिए मैं फिर कभी तुम्हारे साथ आऊँगी"। इतना कह कर रानी मधुमक्खी वहां से उड़ चली। (Jungle Stories | Stories)
lotpot | lotpot E-Comics | majedar bal kahani | Bal Kahani in Hindi | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bachon ki hindi kahaniyan | bachon ki hindi kahani | best hindi jungle story | Hindi Jungle Story | bachon ki hindi jungle kahani | Jungle story in Hindi | Jungle story in Hindi | best jungle story in hindi | bachon ki jungle kahani | hindi jungle kahani | kids hindi jungle story | hindi jungle stories for kids | kids hindi jungle Stories | Hindi Jungle Stories | लोटपोट ई-कॉमिक्स | majedar jungle kahani | लोटपोट | मज़ेदार बाल कहानी | मजेदार बाल कहानी | बच्चों की बाल कहानी | बाल कहानियां | बाल कहानी | मज़ेदार हिंदी कहानी | छोटी हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानी | हिंदी कहानियाँ | बच्चों की हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी जंगल कहानी | बच्चों की हिंदी मज़ेदार कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की हिंदी कॉमिक्स | बच्चों की जंगल कहानी | मजेदार जंगल कहानी