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नेकी का फल
Jungle Story नेकी का फल:- किसी जंगल में एक बहुत पुराना आम का पेड़ था। उस पेड़ के अन्दर एक खरगोश और गिलहरी साथ रहते थे। दोनों रोज़ सुबह खाने के लिए जाते और शाम को वापस आते और उसी पेड़ में रहते। (Jungle Stories | Stories)
एक दिन अचानक मौसम बहुत खराब हो गया, तेज पानी बरसने लगा...
एक दिन अचानक मौसम बहुत खराब हो गया। तेज पानी बरसने लगा। लगातार कई दिनों तक पानी बरसता रहा, जिसकी वजह से जंगल के अन्य जानवर भी मुसीबत में पड़ गए, जिसमें एक लोमड़ी अकेली रहती थी। उसका कोई नहीं था। लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह उसी पेड़ के पास आकर बैठ गई और रोने लगी। खरगोश को रोने की आवाज सुनाई पड़ी, बाहर आकर देखा तो लोमड़ी रो रही थी। (Jungle Stories | Stories)
खरगोश ने पूछा, ‘‘बहन क्या बात है, इतनी दुखी क्यों हो तुम।’’
लोमड़ी रोते हुए बोली, ‘‘भाई इतने बड़े जंगल में मेरा कोई नहीं है, मैं कई दिनों से भूखी हूँ।’’ खरगोश बोला, ‘‘बहन चिंता मत करो मेरे साथ चलो मैं तुम्हें खाना खिलाता हूँ, ये लो भोजन।’’ लोमड़ी ने पेट भर खाना खाया, उसके बाद अपने घर वापस चली गई। (Jungle Stories | Stories)
कुछ दिन बीत जाने के बाद गिलहरी और खरगोश खाने के लिए बाहर गए थे। उनको वापस आने में अधिक देर हो गई थी। उसी जंगल में एक चुहिया और चूहा भी रहते थे। उनके छोटे-छोटे बच्चे भी थे। वे दोनों अपने बच्चों को खिलाने के लिए कुछ ढूंढने निकले। धीरे-धीरे दोनों उसी आम के पेड़ के पास जाकर रूक गए। उनको उस पेड़ में खाने के लिए भोजन दिखा। दोनों ने आपस में बात की यहां कोई नहीं है क्यों न यह खाने का सामान हम अपने घर ले चलें। चुहिया बोली, ‘‘जल्दी चलो, कहीं कोई आ ना जाए’’ दोनों ने सामान को ले जाने की पूरी तैयारी कर ली। (Jungle Stories | Stories)
तभी अचानक लोमड़ी भी घूमते-घूमते आ गई। उसको आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘चलो आज भर पेट खाएंगे, ओह! यहां कोई नहीं है।’’ लोमड़ी समझ गई, दोनों मित्र बाहर गए हैं। हमें उनके सामान की रक्षा करनी चाहिए तभी लोमड़ी बोली, ‘‘बिल्ली आई भागो-भागो बिल्ली आई।’’ बिल्ली के आने की बात सुनकर चूहा और चुहिया भाग गए। उसी समय खरगोश और गिलहरी भी वापस आ गए। वहां की हालत देख कर दोनों समझ गए। लोमड़ी से बोले, ‘‘बहन आपका धन्यवाद आपने हमारे भोजन की रक्षा की।’’ (Jungle Stories | Stories)
लोमड़ी बोली, ‘‘खरगोश भाई यह तो मेरा कर्तव्य है। मैं तो पहले से आपकी अहसानमंद हूँ। उस दिन आपने खाना खिलाया था। तभी आज मैं जिंदा हूँ।’’ लोमड़ी की इस बात से दोनों मित्र खुश होकर बोले, ‘‘आज से तुम भी हमारे साथ रहोगी, नेकी का फल हमेशा अच्छा ही होता है।’’ और फिर तीनों एक साथ रहने लगे। (Jungle Stories | Stories)
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