Moral Story: ईमानदारी की जीत

चारों ओर सुंदर वन में उदासी छाई हुई थी। वन को अज्ञात बीमारी ने घेर लिया था। वन के लगभग सभी जानवर इस बीमारी के कारण अपने परिवार का कोई न कोई सदस्य गवां चुके थे।

By Lotpot
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ईमानदारी की जीत

Moral Story Imandaari Ki Jeet:- चारों ओर सुंदर वन में उदासी छाई हुई थी। वन को अज्ञात बीमारी ने घेर लिया था। वन के लगभग सभी जानवर इस बीमारी के कारण अपने परिवार का कोई कोई सदस्य गवां चुके थे। बीमारी से मुकाबला करने के लिए सुंदर वन के राजा शेर सिंह ने एक बैठक बुलाई। (Moral Story)

बैठक का नेतृत्व खुद शेर सिंह ने किया। बैठक में गज्जू हाथी, लंबू जिराफ, अकड़ू सांप, चिंपू बंदर, गिल्लू गिलहरी, कीनू खरगोश सहित...

बैठक का नेतृत्व खुद शेर सिंह ने किया। बैठक में गज्जू हाथी, लंबू जिराफ, अकड़ू सांप, चिंपू बंदर, गिल्लू गिलहरी, कीनू खरगोश सहित सभी जंगलवासियों ने हिस्सा लिया। जब सभी जानवर इक्ट्ठे हो गए, तो शेर सिंह एक ऊँचे पत्थर पर बैठ गया और जंगलवासियों को संबोधित करते हुए कहने लगा, ‘भाइयो, वन में बीमारी फैलने के कारण हम अपने कई साथियों को गवां चुके हैं। इसलिए हमें इस बीमारी से बचने के लिए वन में एक अस्पताल खोलना चाहिए, ताकि जंगल में ही बीमार जानवरों का इलाज किया जा सके।’ 

Animal meeting

इस पर जंगलवासियों ने एतराज जताते हुए पूछा कि अस्पताल के लिए पैसा कहां से आएगा और अस्पताल में काम करने के लिए डॉक्टरों की ज़रूरत भी तो पड़ेगी? इस पर शेर सिंह ने कहा, यह पैसा हम सभी मिलकर इक्ट्ठा करेंगे। (Moral Story)

यह सुनकर कीनू खरगोश खड़ा हो गया और बोला, ‘महाराज! मेरे दो मित्र चंपकवन के अस्पताल में डॉक्टर हैं। मैं उन्हें अपने अस्पताल में ले आऊँगा।

इस फैसले का सभी जंगलवासियों ने समर्थन किया। अगले दिन से ही गज्जू हाथी लंबू जिराफ ने अस्पताल के लिए पैसा इक्ट्ठा करना शुरू कर दिया।

जंगलवासियों की मेहनत रंग लाई और जल्दी ही वन में अस्पताल बन गया। कीनू खरगोश ने अपने दोनों डॉक्टर मित्रों वीनू खरगोश और चीनू खरगोश को अपने अस्पताल में बुला लिया। राजा शेर सिंह ने तय किया कि अस्पताल का आधा खर्च वे स्वयं वहन करेंगे और आधा जंगलवासियों से इक्ट्ठा किया जाएगा। इस प्रकार वन में अस्पताल चलने लगा। धीरे धीरे वन में फैली बीमारी पर काबू पा लिया गया। (Moral Story)

दोनों डॉक्टर अस्पताल में आने वाले मरीजों की पूरी सेवा करते और मरीज़ भी ठीक होकर डॉक्टरों को दुआएं देते हुए जाते। कुछ समय तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। परंतु कुछ समय के बाद चीनू खरगोश के मन में लालच बढ़ने लगा। उसने वीनू खरगोश को अपने पास बुलाया और कहने लगा यदि वे दोनों मिलकर अस्पताल की दवाइयां दूसरे वन में बेचे तथा रात में जाकर दूसरे वन के मरीज़ों को देखें तो अच्छी कमाई कर सकते हैं और इस बात का किसी को पता भी नहीं लगेगा।

वीनू खरगोश पूरी तरह से ईमानदार था, इसलिए उसे चीनू का प्रस्ताव पसंद नहीं आया और उसने चीनू को भी ऐसा करने का सुझाव दिया। लेकिन चीनू कब मानने वाला था, उसके ऊपर तो लालच का भूत सवार था। उसने वीनू के सामने तो ईमानदारी से काम करने का नाटक किया, परंतु चोरी छिपे बेइमानी पर उतर आया। वह जंगलवासियों की मेहनत से खरीदी गई दवाइयों को दूसरे जंगल में ले जाकर बेचने लगा तथा शाम को वहां के मरीजों का इलाज करके कमाई करने लगा। (Moral Story)

धीरे धीरे उसका लालच बढ़ता गया। अब वह अस्पताल के कम, दूसरे वन के मरीजों को ज़्यादा देखता। इसके विपरीत, डॉक्टर वीनू अधिक ईमानदारी से काम करता। मरीज भी चीनू की अपेक्षा डॉक्टर वीनू के पास जाना अधिक पसंद करते। एक दिन सभी जानवर मिलकर राजा शेर सिंह के पास चीनू की शिकायत लेकर पहुंचे। उन्होंने चीनू खरगोश की कारगुजारियों से राजा को अवगत कराया और उसे दंड देने की मांग की। (Moral Story)

शेर सिंह ने उनकी बात ध्यान से सुनी और कहा कि सच्चाई अपनी आंखों से देखे बिना वे कोई निर्णय नहीं लेंगे। इसलिए वे पहले चीनू डॉक्टर की जांच कराएंगे, फिर अपना निर्णय देंगे। जांच का काम चालाक लोमड़ी को सौंपा गया, क्योंकि चीनू खरगोश लोमड़ी को नहीं जानता था।

लोमड़ी अगले ही दिन से चीनू के ऊपर नज़र रखने लगी। कुछ दिन उस पर नज़र रखने के बाद लोमड़ी ने उसे रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। उसने इस योजना की सूचना शेर सिंह को भी दी, ताकि वे समय पर पहुंच कर सच्चाई अपनी आंखों से देख सकें। लोमड़ी डॉक्टर चीनू के कमरे में गई और कहा कि वह पास के जंगल से आई है। (Moral Story)

वहां के राजा काफी बीमार हैं, यदि वे तुम्हारी दवाई से ठीक हो गए, तो तुम्हें मालामाल कर देंगे। यह सुनकर चीनू को लालच गया। उसने अपना सारा सामान समेटा और लोमड़ी के साथ दूसरे वन के राजा को देखने के लिए चल पड़ा। शेर सिंह जो पास ही छिपकर सारी बातें सुन रहा था, दौड़कर दूसरे जंगल में घुस गया और निर्धारित स्थान पर जाकर लेट गया।

थोड़ी देर बाद लोमड़ी डॉक्टर चीनू को लेकर वहां पहुंची, जहां शेर सिंह मुंह ढंककर सो रहा था। जैसे ही चीनू ने राजा के मुंह से हाथ हटाया, वह शेर सिंह को वहां पाकर सकपका गया और डर से कांपने लगा। उसके हाथ से सारा सामान छूट गया, क्योंकि उसकी बेइमानी का सारा भेद खुल चुका था। तब तक सभी जानवर वहां गए थे। चीनू खरगोश हाथ जोड़कर अपनी कारगुजारियों की माफी मांगने लगा। (Moral Story)

Monkey and giraffe

राजा शेर सिंह ने आदेश दिया कि चीनू की बेइमानी से कमाई हुई सारी संपत्ति अस्पताल में मिला ली जाए और उसे धक्के मारकर जंगल से बाहर निकाल दिया जाए। शेर सिंह के आदेशानुसार चीनू खरगोश को धक्के मारकर जंगल से बाहर निकाल दिया गया। इस कार्रवाई को देखकर जंगलवासियों ने जान लिया कि ईमानदारी की ही हमेशा जीत होती है। (Moral Story)

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