साहस और समझौते का मूल्य
एक दिन राजा हरिकेश को पास के राज्य से रात्रिभोज का न्योता मिला। राजा ने यह सोचकर न्योता अस्वीकार कर दिया कि पड़ोसी राज्य के लोग विदेशी हैं और उनके इस निमंत्रण के पीछे कोई गलत इरादा हो सकता है।
एक दिन राजा हरिकेश को पास के राज्य से रात्रिभोज का न्योता मिला। राजा ने यह सोचकर न्योता अस्वीकार कर दिया कि पड़ोसी राज्य के लोग विदेशी हैं और उनके इस निमंत्रण के पीछे कोई गलत इरादा हो सकता है।
बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में राजा वीरेंद्र का शासन था। राजा वीरेंद्र अपने न्यायप्रिय और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन राजा ने घोषणा की कि वह अपने राज्य के लोगों में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से राज्य में एक निर्दयी मालिक और उसका गुलाम रहते थे। मालिक इतना क्रूर था कि वह अपने गुलाम को दिन-रात काम करवाता और उसे ठीक से खाने-पीने तक नहीं देता था। गुलाम थक चुका था और अपनी आजादी की उम्मीद खो बैठा था।
बरसात का मौसम आने वाला था। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, और हवा में नमी बढ़ गई थी। एक नन्ही चिड़िया, जो अपने बच्चों के साथ नदी किनारे एक सुरक्षित आश्रय ढूंढ रही थी, वह पेड़ों की ओर जा पहुँची।
आज रोहन बेहद उदास था. आज 31 दिसम्बर का दिन था. साल का आखिरी दिन. उसके सभी दोस्त उस रात पार्टी मनाने क्लब जा रहे थे. उसका भी पूरा मन था कि वो भी उनके साथ जाये. उसने अपनी माँ से जाने की जिद भी की थी
बात पिछली सर्दी की है। उस रात बहुत ज्यादा ठंड थी। अपनी मम्मी के कई बार मना करने पर भी अशोक अपने दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने चला गया था। पार्टी खत्म होते-होते रात के दस बज गये थे।
बच्चों हमारी जिन्दगी में आशीर्वाद बहुत कीमती होता है। इसमें आशीष देने वालों का ढ़ेरों प्यार छिपा होता है। इसी संदर्भ में एक कहानी है कि एक बार एक गुरू घूमते-घूमते गांव पहुंचे तो लोगों ने ढेरों स्वागत किया।