बच्चों की नैतिक कहानी: पकौड़ीमल और घासीराम एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ। By Lotpot 20 May 2024 in Stories Moral Stories New Update पकौड़ीमल और घासीराम Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बच्चों की नैतिक कहानी: पकौड़ीमल और घासीराम:- एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, "निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ"। (Moral Stories | Stories) "ठीक है" कहकर शिष्य चला गया। थोड़ी देर बाद वह खाली हाथ लौटा। महर्षि ने उससे पूछा, "क्या बात हुई! कुछ लाये नहीं?" "क्या कहूँ!" शिष्य बोला "मैं कमलपुर गांव गया था। वहां दो ही दुकाने हैं- पकौड़ीमल और घासीराम की। सारी चीजें जलकर राख हो गईं इसीलिए खाली हाथ लौटना पड़ा"। (Moral Stories | Stories) महर्षि दोनों के बारे में अच्छी तरह जानते थे। पकौड़ीमल धूर्त, बेईमान और ठग था तो घासीराम भला, ईमानदार और मेहनती। दूसरे दिन महर्षि अपने शिष्यों के साथ कमलपुर गांव जा पहुंचे। अभी वे पकौड़ीमल की दुकान से कुछ इधर ही थे कि उन्होंने देखा, पकौड़ीमल दो व्यक्तियों से झगड़ रहा था। कुछ भी नहीं बचा है। आपने जो सामान उधार पर दिए थे, वे सब जल गये तो मैं आपके रूपये कहां से दूं? नहीं दूंगा। मैं इस नुकसान से स्वयं काफी दुखी हूं। आप भी संतोष कीजिए"। बेचारे दोनों व्यक्ति निराश लौट गए। महर्षि जब पकौड़ीमल की दुकान के समीप पहुंचे तो वह उनके पैरों पर गिरकर फूट-फूट कर रोने लगा, "महर्षि जी... बेचारे दोनों व्यक्ति निराश लौट गए। महर्षि जब पकौड़ीमल की दुकान के समीप पहुंचे तो वह उनके पैरों पर गिरकर फूट-फूट कर रोने लगा, "महर्षि जी, दुकान में आग क्या लग गई, सब कुछ लुट गया। जीवन भर की कमाई क्षण भर में स्वाहा हो गयी। अब मैं कैसे जीवन-निर्वाह करूंगा"। (Moral Stories | Stories) महर्षि ने उसे उठाते हुए कहा, "पकौड़ीमल कुछ भी अनुचित नहीं हुआ है। अब भी समय है, अपने को सुधारो"। यह कह कर महर्षि शिष्य सहित आगे बढ़ गए। अभी वे कुछ ही कदम बढ़े थे कि तीन राहगीर दूसरी ओर से आ रहे थे, वे आपस में बातें कर रहे थे। एक कह रहा था, "सही में घासीराम भला है, ईमानदार है"। दूसरा बोला, "तभी तो दुकान में आग लग जाने पर भी पत्नी के गहने गिरवी रखकर हमारे कर्ज अदा कर दिये"। "जानते हो," तीसरे ने कहा, "पकौड़ीमल ने दुकान में आग लग जाने से दूसरे से उधार और कर्ज लिए रूपए नहीं लौटाए। सबके हड़प लिये"। (Moral Stories | Stories) महर्षि और उनके शिष्यों ने राहगीरों की बातें ध्यान से सुनीं और आगे बढ़ते गए। कुछ देर बाद घासीराम की दुकान के निकट जा पहुंचे। महर्षि को देख घासीराम ने उनके चरण छुए। घासीराम को उठाते हुए महर्षि ने उसे सान्त्वना देते हुए कहा, "जो होना था, हो चुका। अब उसकी फिक्र मत करो। धीरज से काम लो। याद रखो, नीयत की अच्छाई कभी व्यर्थ नहीं जाती। समय पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। फिर महर्षि आश्रम की तरफ लौट पड़े। वहां पहुंचने पर एक शिष्य ने महर्षि से सवाल किया, "गुरूदेव, पकौड़ीमल बेईमान और घासीराम ईमानदार है। फिर दोनों को एक जैसी क्षति क्यों हुई? क्या भगवान बुराई और अच्छाई का फल एक जैसा ही देता है?" महर्षि ने शिष्य को समझाया, "दरअसल किसी की अच्छाई और बुराई की परख तो प्रतिकूल परिस्थिति में ही हो सकती है न। इसीलिए भले आदमी के जीवन में क्षति हुआ करती हैं और बुरे आदमी के जीवन में क्षति या तकलीफें निःसंदेह उनकी बुराई का ही कुफल होती है। पकौड़ीमल अपनी बुरी नीयत का फल भोगकर भी उस बुराई से अपने को दूर नहीं कर सका है, जबकि घासीराम उस जैसी स्थिति में भी अपनी ईमानदारी बनाये रखकर अपनी अच्छाई की परीक्षा में पूरी तरह से सफल हो गया है। तभी तो वह वास्तव में भला है। विफल हो जाने पर पकौड़ीमल और घासीराम में फर्क ही क्या रह जाता"। शिष्य महर्षि के जवाब से पूर्ण सन्तुष्ट जान पड़ा। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | bal kahani | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | Bal Kahaniyan | majedaar hindi kahani | bachchon ki hindi kahaniyan | bachchon ki hindi kahani | Moral Hindi Kahani | Mazedar Hindi Kahani | Bal Kahani in Hindi | short stories in Hindi | kids short stories in hindi | short stories for kids in hindi | short stories for kids | short moral story | kids hindi moral story | kids hindi stories | Kids Hindi Story | kids moral stories in hindi | Kids Moral Stories | Kids Moral Story | hindi stories for kids | Moral Hindi Stories | Best Hindi Stories | hindi stories | kids moral story in hindi | moral story in hindi | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | मजेदार बाल कहानी | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की हिंदी कॉमिक्स | बच्चों की कहानी | हिंदी कहानियाँ | मज़ेदार छोटी कहानी | छोटी हिंदी कहानियाँ | छोटी नैतिक कहानी | छोटी नैतिक कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | हिंदी नैतिक कहानियाँ | हिंदी नैतिक कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: काम की गुणवत्ता Moral Story: भक्तों का ढोंग Moral Story: कहानी मूर्खा की Moral Story: संसार को प्रसन्न करना कठिन #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Best Hindi Stories #Kids Hindi Story #Bal Kahaniyan #Kids Moral Stories #Mazedar Hindi Kahani #Moral Hindi Kahani #Hindi Bal Kahani #Kids Moral Story #Moral Hindi Stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #हिंदी नैतिक कहानी #hindi stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #hindi stories for kids #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #Hindi Bal Kahaniyan #Best Hindi Bal kahani #बाल कहानियां #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #kids hindi moral story #छोटी नैतिक कहानियाँ #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #short moral story #moral story in hindi #छोटी नैतिक कहानी #नैतिक कहानी #kids moral story in hindi #kids moral stories in hindi #बच्चों की हिंदी कॉमिक्स #short stories for kids #बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी #हिंदी नैतिक कहानियाँ #short stories for kids in hindi #kids short stories in hindi #short stories in Hindi #बच्चों की हिंदी कहानी #छोटी हिंदी कहानियाँ #bachchon ki hindi kahani #bachchon ki hindi kahaniyan #majedaar hindi kahani #मजेदार बाल कहानी #मज़ेदार छोटी कहानी #Bal Kahani in Hindi You May Also like Read the Next Article