Moral Story: भक्तों का ढोंग एक बार नारद मुनि पृथ्वी लोक के भ्रमण को आए। घूमते-घूमते नारद मुनि एक मंदिर के पास पहुंचे। मंदिर में भक्तों की भक्ति को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। मंदिर में भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे। By Lotpot 02 May 2024 in Stories Moral Stories New Update भक्तों का ढोंग Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story भक्तों का ढोंग:- एक बार नारद मुनि पृथ्वी लोक के भ्रमण को आए। घूमते-घूमते नारद मुनि एक मंदिर के पास पहुंचे। मंदिर में भक्तों की भक्ति को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। मंदिर में भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे। मंदिर के सभी भक्त भगवान के गुणगान करने में लीन थे। कुछ भक्त भक्ति भावना के कारण बेहोश हो रहे थे, तो अन्य की आंखों से झरझर आंसू गिर रहे थे। कुछ भक्त अपनी सुधबुध खोकर झूमझूम कर नाच रहे थे। नारदजी को लोगों की भक्ति को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि कलयुग के जमाने में भी लोगों में इतनी पवित्र भक्ति भावना हो सकती है। (Moral Stories | Stories) लोगों की भक्ति भावना से प्रभावित होकर नारद मुनि फौरन भगवान विष्णु के पास पहुंचे। "प्रभु, आप यहां स्वर्ग लोक में हैं और वहां आपको भजते-भजते भक्तों का बुरा हाल हो रहा है। चल कर कम से कम एक बार उनको अपने दर्शन तो दे दीजिए"। नारद मुनि ने भगवान विष्णु से निवेदन किया। "मुनिवर, जिन भक्तों की भक्ति आपने देखी है, वह मात्र दिखावा है। उनकी भक्ति में ढोंग है, सच्चाई नहीं"। भगवान विष्णु ने नारद मुनि को समझाते हुए कहा। "नहीं प्रभु, मुझे तो उनकी भक्ति में कोई ढोंग नहीं दिखलाई देता है। मैं तो कहता हूं कि आप एकबार चलकर उन्हें दर्शन अवश्य दे दें"। नारद मुनि ने फिर विनम्र निवेदन किया। इस बार नारद मुनि के आग्रह को भगवान विष्णु टाल नहीं सके। "ठीक है, कल मैं उनको दर्शन अवश्य दूंगा, पर उससे पहले मैं उनकी परीक्षा भी लूंगा। भगवान विष्णु ने अपनी बात रखी। (Moral Stories | Stories) दूसरे दिन भगवान विष्णु और नारद मुनि पृथ्वी लोक में आए। "मुनिवर, आप भक्तों से जाकर कहें कि गांव के बाहर जो पीपल का पेड़ है, उसके नीचे भगवान विष्णु पधारे हैं"। भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा। "जैसी आप की इच्छा प्रभु" यह कह कर नारद मुनि गांव के मंदिर की ओर चल पड़े। मंदिर पहुंच कर नारद मुनि ने देखा कि भक्तगण आज भी भक्ति से ओत प्रोत थे। भक्तगण, भगवान विष्णु आपकी भक्ति से प्रभावित होकर आपको दर्शन देना चाहते हैं। अगर आप प्रभु का दर्शन करना चाहते हैं... "भक्तगण, भगवान विष्णु आपकी भक्ति से प्रभावित होकर आपको दर्शन देना चाहते हैं। अगर आप प्रभु का दर्शन करना चाहते हैं, तो फौरन गांव के बाहर वाले पीपल के पेड़ के नीचे पहुंच जाएं"। नारद मुनि ने भक्तों को सुना कर जोर से कहा। (Moral Stories | Stories) भगवान विष्णु की आने की बात सुनकर भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई। वे तुरंत गांव के बाहर पीपल के पेड़ की ओर दौड़ पड़े। नारद मुनि यह दृश्य देखकर बहुत प्रसन्न हुए। भक्तगण, अभी कुछ ही दूर गए थे कि उन्हें रास्ते में चांदी के कीमती गहने बिखरे पड़े मिले।चांदी के कीमती गहनों को देखते ही अधिकांश भक्त रूक कर उसे बटोरने लगे। चांदी के गहने बटोर कर वे अपने घर की ओर लौट पड़े। बचे खुचे भक्त अभी भी भगवान के दर्शन के लिए दौड़ रहे थे। कुछ दूर चलने पर उन्हें सोने के गहने दिखाई दिए। सोने के गहने को देखते ही आधे से अधिक भक्त वहीं रूक कर उसे बटोरने लगे। सोने के गहने बटोर कर वे भी खुशी-खुशी अपने घर लौट पड़े। बाकी बचे दो-चार भक्त बिना रूके भगवान के दर्शन के लिए पीपल के पेड़ की तरफ भाग रहे थे। (Moral Stories | Stories) नारद मुनि को बहुत बुरा लगा कि अधिकांश भक्त बीच रास्ते से ही लौट पड़े। फिर भी वे संतोष कर रहे थे कि दो-चार भक्त अभी भी उनके साथ हैं। कुछ देर के बाद वे गांव के बाहर पहुंच गए। तभी रास्ते में उन्हें हीरे-जवाहरात बिखरे पड़े मिले। चमकदार हीरे-जवाहरात को देखते ही सभी भक्तों का धैर्य टूट गया। भगवान के दर्शन की बातें भूलकर वे हीरे-जवाहरात बटोरने में जुट गए। "अरे हीरे-जवाहरात बाद में लूटना, पहले चल कर भगवान के दर्शन तो कर लो!" नारद मुनि ने भक्तों को समझाया। "अरे भगवान के दर्शन के चक्कर में ही पहले चांदी और फिर सोने से हाथ गवां बैठे। हीरे-जवाहरात रोज थोड़े ही न मिलते हैं! हीरे-जवाहरात छोड़ कर हम भगवान के दर्शन की मूर्खता क्यों करें?" हीरे-जवाहरात बटोरते हुए भक्तों ने एक साथ नारद मुनि से कहा। हारकर नारद मुनि अकेले ही भगवान विष्णु के पास चल पड़े। नारद मुनि को अकेला आते देख भगवान विष्णु हंस पड़े, फिर उन्होंने नारद मुनि को समझाया "मुनिवर, सच्ची भक्ति तो हृदय से होती है उसके अलावा जो भी भक्ति की जाती है, वह मात्र दिखावा ही होती है।जिनके अंदर सच्ची भक्ति होती है, उन्हें मैं जरूर दर्शन देता हूं। मुझे अपनाने के लिए हृदय से आना होगा, बाहरी दिखावे से नहीं"। भगवान विष्णु की बातें सुन कर नारद मुनि की आंखें खुल गईं। उन्हें भी विश्वास हो गया कि सच्ची भक्ति में बाहरी दिखावे की आवश्यकता नहीं होती है। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | story for kids in hindi | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | short moral story | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Moral Story | kids moral story in hindi | hindi stories | hindi moral stories for kids | Moral Stories for Kids | Moral Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानी | बच्चों की नैतिक कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ | छोटी नैतिक कहानी | छोटी नैतिक कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी यह भी पढ़ें:- Moral Story: मॉनीटर Moral Story: प्रायश्चित Moral Story: विश्वासघात Moral Story: मैंने झूठ बोला था #Hindi Kahani #बाल कहानी #लोटपोट #हिंदी कहानी #Lotpot #Bal kahani #Hindi kahaniyan #Kids Moral Stories #Moral Stories #Hindi Bal Kahani #Kids Moral Story #Moral Stories for Kids #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #kids hindi stories #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #hindi moral stories for kids #kids short stories #छोटी नैतिक कहानियाँ #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #short moral story #story for kids in hindi #छोटी नैतिक कहानी #बच्चों की नैतिक कहानी #kids moral story in hindi You May Also like Read the Next Article