Moral Story: मैंने झूठ बोला था एक बालक था, नाम था उसका राम। उसके पिता बहुत बड़े पंडित थे। वह बहुत दिन जीवित नहीं रहे। उनकी मृत्यु के बाद राम की माँ अपने भाई के पास आकर रहने लगी। वह एकदम अनपढ़ थे। ऐसे ही पूजा-पाठ का ढोंग करके जीविका चलाते थे। By Lotpot 31 Jan 2024 in Stories Moral Stories New Update मैंने झूठ बोला था Moral Story मैंने झूठ बोला था:- एक बालक था, नाम था उसका राम। उसके पिता बहुत बड़े पंडित थे। वह बहुत दिन जीवित नहीं रहे। उनकी मृत्यु के बाद राम की माँ अपने भाई के पास आकर रहने लगी। वह एकदम अनपढ़ थे। ऐसे ही पूजा-पाठ का ढोंग करके जीविका चलाते थे। वह झूठ बोलने से भी नहीं हिचकते थे। वे पेशवा के राज में रहते थे। पेशवा विद्वानों का आदर करते थे। उन्हें वे दक्षिणा देते थे। वे विद्यार्थी को भी दक्षिणा देते थे। वे चाहते थे कि उनके राज में शिक्षा का प्रसार हो। (Moral Stories | Stories) एक दिन बहुत से विद्वान पंडित और विद्यार्थी दक्षिणा लेने महल में पहुँचे। बड़े आदर से सूबेदार ने उन्हें बिठाया। उन्हीं में राम और उसके मामा भी थे। लेकिन वे न तो एक अक्षर पढ़ सकते थे और न लिख सकते थे। राम बार-बार धीरे-धीरे मामा से कहता, ‘मामा! मैं तो घर जा रहा हूँ।’ मामा हर बार डाँट देते, ‘चुप रह! जब से आया है टर्र-टर्र किए जा रहा है।’ (Moral Stories | Stories) राम कहता, ‘नहीं मामा, मैं यहाँ नहीं बैठूँगा। मैं कहाँ पढ़ता हूँ। मैं झूठ नहीं बोलूँगा।’ राम जब नहीं माना तो मामा ने किचकिचा कर कहा, ‘चुप नहीं रहेगा। झूठ नहीं बोलूँगा... राम जब नहीं माना तो मामा ने किचकिचा कर कहा, ‘चुप नहीं रहेगा। झूठ नहीं बोलूँगा। हूँ ऊ...। जैसे सच बोलने का ठेका तूने ही तो ले रखा है। जानता है मैं दिन भर झूठ बोलता हूँ। कितनी बार झूठ बोलकर दक्षिणा ली। तू भी तो बार-बार झूठ बोलता है। नहीं बोलता ? सब इसी तरह कहते हैं। जो ये सब यहाँ खड़े हैं ये सब क्या पढ़े हुए हैं।’ (Moral Stories | Stories) राम ने कहना चाहा, ‘पर मामा...’ लेकिन मामा ने उसे बोलने ही नहीं दिया। डपटकर बोला, ‘अरे खड़ा भी रह। तेरे सत्य के लिए मैं घर आती लक्ष्मी नहीं लौटाऊँगा, समझे। एक सिक्का मिलेगा बस, चुपचाप खड़ा रह, बारी आने वाली है।’’ तभी पेशवा के प्रतिनिधि आ पहुँचे। उनके बैठते ही सूबेदार ने विद्वानों की मंडली से कहा, ‘कृपा करके आप एक-एक करके आते जाएँ और दक्षिणा लेते जाएँ। हाँ-हाँ, आप आइए, गंगाधर जी।’’ (Moral Stories | Stories) गंगाधर जी आगे आए। सूबेदार ने उनका परिचय दिया, ‘‘जी ये हैं श्रीमान गंगाधर शास्त्री। न्याय पढ़ाते हैं।’’ पेशवा के प्रतिनिध ने उन्हें प्रणाम किया। दक्षिणा देते हुए बोले, ‘‘कृपा कर यह छोटी-सी भेंट ग्रहण कीजिए और खूब पढ़ाइए।’’ शास्त्री जी ने दक्षिणा लेकर पेशवा का जय-जयकार किया और उनकी कल्याण कामना करते हुए चले गए। फिर दूसरे आए, तीसरे आए। चैथे नम्बर पर राम के मामा थे। वे जब आगे बढ़े तो सूबेदार ने उन्हें ध्यान से देखा, कहा, ‘मैं आपको नहीं पहचान रहा आप कहाँ पढ़ाते हैं?’’ (Moral Stories | Stories) मामा अपना रटारटाया पाठ भूल चुके थे। ‘मैं’ ‘मैं’ करने लगे। प्रतिनिधि ने बेचैन होकर पूछा, ‘‘आपका शुभ नाम क्या है? क्या आप पढ़ाते हैं? बताइए न।’’ लेकिन मामा क्या बतावें? इतना ही बोल पाए, ‘‘मैं...मैं....जी मैं...जी मैं वहाँ।’’ (Moral Stories | Stories) उनको इस तरह बौखलाते हुए देखकर सब लोग हँस पड़े। पेशवा के प्रतिनिधि ने कठोर होकर कहा, ‘‘जान पड़ता है आप पढ़े-लिखे नहीं हैं। खेद है कि आजकल कुछ लोग इतने गिर गए हैं कि झूठ बोलकर दक्षिणा लेते हैं। आप ब्राह्मण हैं। आपको झूठ बोलना शोभा नहीं देता। आपको राजकोष से दक्षिणा नहीं मिल सकती, पर जो माँगने आया है उसे निराश लौटाना भी अच्छा नहीं लगता। इसलिए मैं आपको अपने पास से भीख देता हूँ, जाइए।’’ (Moral Stories | Stories) मामाजी को अपनी बेइज्जती महसूस हुई और आगे से झूठ न बोलने की कसम खाई और राम को बोले, ‘तुमने ठीक ही कहा था।’ lotpot-e-comics | bal kahani | short-moral-stories | short-stories | short-hindi-stories | hindi-short-stories | hindi-stories | moral-stories | hindi-moral-stories | kids-moral-stories | kids-hindi-moral-stories | moral-stories-for-kids | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-khaanii | chottii-khaaniyaan | chottii-hindii-khaanii | bccon-kii-naitik-khaaniyaan यह भी पढ़ें:- Moral Story: डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध Moral Story: बुरी संगत Moral Story: स्नेह और समय Moral Story: चित्रकार की सीख #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi Moral Stories #Kids Moral Stories #Moral Stories #Moral Stories for Kids #Kids Stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #short moral stories You May Also like Read the Next Article