Moral Story: विश्वासघात

अपनी मातृभूमि और अपने स्वामी के साथ विश्वासघात करने के कारण कौशाम्बी राज के मंत्री शिवलाल को अपने दो जवान सैनिक पुत्रों के साथ-साथ अपनी भी जान गंवानी पड़ी। और आखिर कोशाम्बी राजा का विनाश हुआ।

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विश्वासघात

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Moral Story विश्वासघात:- अपनी मातृभूमि और अपने स्वामी के साथ विश्वासघात करने के कारण कौशाम्बी राज के मंत्री शिवलाल को अपने दो जवान सैनिक पुत्रों के साथ-साथ अपनी भी जान गंवानी पड़ी। और आखिर कोशाम्बी राजा का विनाश हुआ एवं वहां की गद्दी पर दुश्मन का अधिकार। (Moral Stories | Stories)

बात बहुत पुरानी है। उस समय कौशाम्बी के राजा गंगासहाय थे। यूनान के राजा सिण्ड्रोकस की आंख वहां की गद्दी पर बहुत दिनों से लगी थी। उसने कई बार कौशाम्बी की राजगद्दी को हथियाने की कोशिश की। पर वहां के मंत्री शिवलाल की बुद्धिमत्ता तथा उसके दोसैनिक पुत्रों के अद्भुत रण-कौशल के कारण उसे इस काम में सफलता नहीं मिल पा रही थी।

दुष्ट सिण्ड्रोकस ने जब देखा कि वह किसी भी तरह कौशाम्बी की सेना के सामने नहीं टिक पा रहा है काम में सफलता नहीं मिल पा रही है। तब उसने एक दूसरी तरकीब सोची। (Moral Stories | Stories)

उसने अपने एक दूत के माध्यम से कौशाम्बी के मंत्री शिवलाल को संदेश भिजवाया कि वह अपनी हार स्वीकार की योजना बनाए। उसने उसके बहुत फायदे की...

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उसने अपने एक दूत के माध्यम से कौशाम्बी के मंत्री शिवलाल को संदेश भिजवाया कि वह अपनी हार स्वीकार की योजना बनाए। उसने उसके बहुत फायदे की बात मन में जगा रखी है। मंत्री शिवलाल अपने फायदे के लोभ में भवन राजा सिण्ड्रोकस के दिल की बात नहीं समझ सका। वह उससे मिलने चला ही गया। मुलाकात एक गुप्त जगह पर हुई। सिण्ड्रोकस ने उसका खूब, सम्मान किया। फिर कहा- 'मंत्री जी, हम यूनान की प्रजा की तरफ से आपका स्वागत करते हैं। आपकी इस कृपा के लिए हम आभारी हैं कि आपने मुझसे मिलने का कष्ट किया। देखिए, मैंने एक योजना सोची है जिसमे आपका ही फायदा है। हां, कुछ मेरा स्वार्थ सिद्ध हो सकता है।'

राजा सिण्ड्रोकस की बातों से कौराम्बी मंत्री शिवलाल की आँखों में जैसे चमक आ गई। वह तपाक से बोला- 'कहिए महाराज, वह क्या योजना है?' (Moral Stories | Stories)

सिण्ड्रोकस ने अगल-बगल झांका, फिर कहना प्रारंभ किया- 'देखिए मंत्री जी, कौशाम्बी का राज केवल आपके और आपके दोनों बहादुर सैनिक पुत्रों के कारण बचा हुआ है। बूढ़े राजा गंगा सहाय की क्‍या बिसात है आपके सामने? बस आपके कारण वह सत्ता-सुख का भोग कर रहा है। यदि आप अपने लाभ की बात सोचें तो मैं उसको चुटकी बजाते साफ कर सकता हूं।'

“बताइए यवन राज। आपकी वह योजना क्या है? मुझे जचेंगी तो मैं निश्चय उस पर अमल करूंगा।" मंत्री शिवलाल ने उत्सुकता से पूछा। (Moral Stories | Stories)

दुष्ट सिण्ड्रोकस को शिकार जाल में फंसता नजर आया। उसके होठों पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई। वह बोला- 'देखिए मंत्री जी, कौशाम्बी राजा को तो कोई औलाद है नहीं। मुझे राजा से ही दुश्मनी है, आप से नहीं। आप चाहेंगे तो वहां की गद्दी पर आपको बैठाने में मैं पूरी मदद कर सकता हूं। उसके बदले में आप मुझे उस समय का पश्चिमोत्तर भाग ही दे देंगे। आप वचन दें तो इस योजना को अंजाम देने की तैयारी शुरू कर दी जाए।

कौशाम्बी की राजगद्दी पर बैठने के लोभ में मंत्री शिवलाल की भौवें खिल गईं। वह गदगद्‌ मन से बोला- 'महाराज आप युद्ध की तैयारी करें! मैं आपके साथ हूं। आज ही अपने सैनिक पुत्रों को भी आपकी इस योजना से वाकिफ करा दूंगा।

यूनान राजा सिण्ड्रोकस अपनी गोटी लाल होते देख प्रसन्‍नता से झूम उठा। उसने कहा- 'मंत्रीजी', मुझे आपसे यही उम्मीद थी। आप जाइए और युद्ध का इंतजार कीजिए। (Moral Stories | Stories)

आखिर रणभेरी बज ही उठी। युद्ध के मैदान में मंत्री शिवलाल और उसके दोनों सैनिक पुत्रों को यूनान राजा के सैनिकों की तरफ से लड़ते देख कौशाम्बी राजा गंगा सहाय तो स्तब्ध रह गए। उन्हें सपने में भी शिवलाल से ऐसे विश्वासघात की आशा नहीं थी।उन्हीं के बल पर तो वे यूनानी सैनिकों को अब तक परास्त करते आए थे। मगर अब किया भी क्‍या जा सकता था? वे अपने सैनिकों के साथ युद्ध के मैदान में तब तक डटे रहे जब तक उनकी सांस रूक नहीं गई। वे ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और देखते ही देखते उनके प्राण पखेरू उड़ गए।

कौशाम्बी महाराज के मरने के साथ ही उनके सैनिकों ने दुश्मन सेना के सामने हथियार डाल दिए। (Moral Stories | Stories)

उधर शिवलाल कौशाम्बी की राजगद्‌दी पर बैठने की तैयारी में ही था कि दुष्ट यूनान राजा सिण्ड्रोकस के इशारे पर उसके सैनिकों ने उसके दोनों सैनिक पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया और सिण्ड्रोकस कौशाम्बी की गद्दी पर विराजमान हो गया।

विश्वासघााती कौशाम्बी मंत्री शिवलाल को तो जैसे काठ मार गया। आगबगूला होकर उसने सिण्ड्रोकस से सवाल किया- 'यवन राज! आपने मेरे साथ क्या शर्त रखी, थी? यह तो आपने मेरे साथ विश्वासघात किया है?

दुष्ट सिण्ड्रोकस हंसता हुआ बोला- 'शिवलाल, विश्वासघात तो तुमने अपने, स्वामी और कौशाम्बी की प्रजा के साथ किया है। मेरा तो वर्षों से कौशाम्बी का राज हथियाने का इरादा था। और अपनी वह लालसा पूरी करने के लिये मुझे जो करना चाहिए था वही किया है।' (Moral Stories | Stories)

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शिवलाल को काटो तो खून नहीं। वह किंकर्त्तव्यविमूढ़ सा अपने पुत्रों के वियोग में पागल था ही। तब तक एक यूनानी सैनिक ने उसे बन्दी बना लिया।

सिण्ड्रोकस ने उसकी उस लाचार हालत पर एक जोरदार ठहाका लगाया। फिर अपने सैनिक को आदेश देते हुए कहा- 'देख क्या रहे हो मूर्ख सैनिक! चोट खाए सांप को छोड़ना बुद्धिमानी नहीं है। इसका भी काम तमाम ही कर दो। (Moral Stories | Stories)

और शिवलाल की गर्दन धड़ से अलग कर दी गई।

“शिवलाल जैसा मंत्री भी सत्ता के लोभ में कितना बड़ा विश्वासघाती हो गया? आखिर इसका परिणाम तो उसे भोगना ही था।" कौशाम्बी की हर प्रजा की जुबान पर यही बात थी। (Moral Stories | Stories)

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