Moral Story: दौड़ एक दस वर्षीय लड़का रोज अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, ‘‘पिताजी चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं, जो पहले चोटी पर लगी उस झंडी को छू लेगा वो रेस जीत जाएगा"। By Lotpot 08 Feb 2024 in Stories Moral Stories New Update दौड़ Moral Story दौड़:- एक दस वर्षीय लड़का रोज अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, ‘‘पिताजी चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं, जो पहले चोटी पर लगी उस झंडी को छू लेगा वो रेस जीत जाएगा"। पिताजी तैयार हो गए। दूरी काफी थी, दोनों ने धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया। कुछ देर दौड़ने के बाद पिताजी अचानक ही रुक गए। (Moral Stories | Stories) ‘‘क्या हुआ पापा, आप अचानक रुक क्यों गए, आपने अभी से हार मान ली क्या?’’ लड़का मुस्कुराते हुए बोला। ‘‘नहीं-नहीं, मेरे जूते में कुछ कंकड़ आ गया है, बस उन्ही को निकालने के लिए रुका हूँ"। पिताजी बोले। (Moral Stories | Stories) लड़का बोला, ‘‘अरे, कंकड़ तो मेरे भी जूतों में है, पर अगर मैं रुक गया तो रेस हार जाऊँगा’’, और ये कहता हुआ वह तेजी से आगे भागा। पिताजी भी कंकड़ निकाल कर आगे बढे, लड़का बहुत आगे निकल चुका था, पर अब उसे पाँव में दर्द का एहसास हो रहा था, और उसकी गति भी घटती जा रही थी। धीरे-धीरे पिताजी भी उसके करीब आने लगे थे। (Moral Stories | Stories) लड़के के पैरों में तकलीफ देख पिताजी पीछे से चिल्लाये” क्यों नहीं तुम भी अपने कंकड़ निकाल लेते हो?” ‘‘मेरे पास इसके लिए टाइम नहीं है"। लड़का बोला और दौड़ता रहा। कुछ ही देर में पिताजी उससे आगे निकल गए। (Moral Stories | Stories) चुभते कंकडों की वजह से लड़के की तकलीफ बहुत बढ़ चुकी थी और... चुभते कंकडों की वजह से लड़के की तकलीफ बहुत बढ़ चुकी थी और अब उससे चला भी नहीं जा रहा था, वह रुकते-रुकते चीखा, ‘‘पापा, अब मैं और नहीं दौड़ सकता"। पिताजी जल्दी से दौड़कर वापस आये और अपने बेटे के जूते खोले, देखा तो पाँव से खून निकल रहा था। वे झटपट उसे घर ले गए और मरहम-पट्टी की। (Moral Stories | Stories) जब दर्द कुछ कम हो गया तो उन्होंने समझाया” बेटे, मैंने आपसे कहा था न कि पहले अपने कंकडों को निकाल लो फिर दौड़ो"। “मैंने सोचा मैं रुकूंगा तो रेस हार जाऊँगा"। बेटा बोला। “ऐसा नही है बेटा, अगर हमारी लाइफ में कोई प्राॅब्लम आती है तो हमे उसे ये कह कर टालना नहीं चाहिए कि अभी हमारे पास समय नहीं है। दरअसल होता क्या है, जब हम किसी समस्या की अनदेखी करते हैं तो वो धीरे-धीरे और बड़ी होती जाती है और अंततः हमें जितना नुकसान पहुंचा सकती थी उससे कहीं अधिक नुकसान पहुंचा देती है। तुम्हे पत्थर निकालने में मुश्किल से 1 मिनट का समय लगता पर अब उस 1 मिनट के बदले तुम्हे 1 हफ्ते तक दर्द सहना होगा"। पिताजी ने अपनी बात पूरी की। शिक्षाः समस्याओं को तभी पकडिये जब वो छोटी हैं वर्ना देरी करने पर वे उन कंकडों की तरह आपका भी खून बहा सकती हैं। (Moral Stories | Stories) lotpot-e-comics | bal kahani | bal-kahaniyan | short-moral-stories | short-stories | short-hindi-stories | hindi-short-stories | hindi-stories | moral-stories | kids-moral-stories | hindi-moral-stories | kids-hindi-moral-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-khaaniyaan | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-khaanii | chottii-khaaniyaan | chottii-hindii-khaanii | bccon-kii-naitik-khaaniyaan यह भी पढ़ें:- Moral Story: बोझ Moral Story: समझौता और कड़ी मेहनत का मोल Moral Story: पेड़ का रहस्य Moral Story: ईर्ष्या का फल #lotpot E-Comics #छोटी कहानी #छोटी कहानियाँ #Short Hindi Stories #Kids Moral Stories #Hindi Moral Stories #Kids Hindi Moral Stories #हिंदी कहानियाँ #Bal Kahaniyan #short moral stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #लोटपोट #बाल कहानी #हिंदी बाल कहानी #Moral Stories #hindi stories #Kids Stories #hindi short Stories #short stories #Bal kahani #लोटपोट इ-कॉमिक्स #छोटी हिंदी कहानी #Lotpot You May Also like Read the Next Article