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कुएं का मेंढ़क
हिंदी प्रेरक कहानी: कुएं का मेंढ़क:- बारिश थम चुकी थी। चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। पानी से धुले पेड़ों पर एक नयी छटा दिख रही थी। मधुमक्खी एक खिले हुये फूल पर मडंरा रही थी। वह सारे उपवन में घूम-घूम कर अपने छत्ते पर ले जाने के लिये परागकण एकत्र कर रही थी। कुएं के ऊपर उड़ते हुई मक्खी ने देखा कि नीचे एक मेंढ़क गन्दे पानी में बैठा हुआ है। (Stories | Motivational Stories)
“नमस्कार मेंढ़क भाई, बड़ा मनोहर मौसम है बाहर आकर मौसम का आनन्द लो” मक्खी ने गुनगुनाते हुए कहा।
“मैं जहां हूं वहीं बहुत खुश हूं। तुम्हे पता है कुछ दिन पहले मेरा एक साथी कुएं से बाहर निकला था और एक सांप उसे खा गया। मैं कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहता,” कुएं के अन्दर से मेंढ़क ने कहा। (Stories | Motivational Stories)
मधुमक्खी निराश नहीं हुई। उसने फिर कहा, “बाहर आ जाओ कोई खतरा नहीं है। प्रकृति ने इतनी सुन्दरता...
मधुमक्खी निराश नहीं हुई। उसने फिर कहा, “बाहर आ जाओ कोई खतरा नहीं है। प्रकृति ने इतनी सुन्दरता बिखेर रखी है, अपने आप को इन सुन्दर दृश्यों से क्यों वंचित कर रहे हो कोयल की कूक सुनो, फूलों की गंध का आनन्द लो, एक बार कुएं से बाहर आओ”।
मेंढ़क ने एक बार फिर कुएं के गन्दे पानी में डूबकी लगाई वह मधुमक्खी के प्रकृति वर्णन से बिल्कुल भी प्रभावित होना नहीं चाहता था। (Stories | Motivational Stories)
मधुमक्खी ने फिर कहा, “अहा-आकाश में कितना सुन्दर इन्द्रधनुष छा गया है, आओ बाहर आ कर देखो”।
“देखने लायक कुछ भी नहीं है मुझे तो सिर्फ काले बादल दिखाई दे रहे हैं”। कुएं के अन्दर से मेंढ़क ने कहा।
सभी कुछ खुला पड़ा था पर मेंढ़क ने अपने आपको सारी सुन्दरता से वचिंत कर रखा था उसके दिमाग पर केवल एक बात छाई हुई थी। बहुत दिन पहले एक मेंढ़क को सांप खा गया था।
मक्खी के बार-बार आग्रह करने पर आखिर मेंढ़क बाहर आ गया और धूप में इन्द्रधनुष व वर्षा होती देखकर मेंढ़क हैरान हो गया और मक्खी को धन्यवाद किया कि अगर मैं बाहर नहीं आता तो इतना सुन्दर दृश्य देखने से वंचित हो जाता।
तो प्रिय पाठकों तुम्हें अपने चारों ओर अनेक ऐसे ही मेंढ़क मिल जायंगे। अपने पूर्वाग्रह छोड़ो कितना कुछ प्रकृति तुम्हें देने को उत्सुक है। तुम्हे केवल कुंए से बाहर आना है। ध्यान रहे यदि जीवन में सफलता चाहते हो तो थोड़े खतरे उठाने के लिए तैयार रहो। (Stories | Motivational Stories)