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आँखों का सुरक्षा कवच होती हैं पलकें
Fun Facts आँखों का सुरक्षा कवच होती हैं पलकें:- जिस तरह व्हीकल में विंडस्क्रीन वाइपर लगा होता है, उसी तरह हमारी आंखों के लिए भी पलकें विंडस्क्रीन वाइपर होती हैं, जिनका काम आंखों को सुरक्षा प्रदान करना होता है। हमारी पलकें जो ब्लिंक करने पर ऊपर-नीचे होती हैं, वह बिल्ट-इन विंडस्क्रीन वाइपर हैं। पलकें त्वचा की परतों या फोल्ड्स से बनी होती हैं और कुछ मांसपेशियों से उन्हें ऊपर या नीचे किया जा सकता है लेकिन वह इतनी तेज़ी से हरकत करती हैं कि हमारी दृष्टि देखने की क्षमता किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हम हर 6 सैकेंड में अपनी पलकें झपकाते या ब्लिंक करते हैं, उसका अर्थ यह है कि एक औसत जीवन में हम 250 मिलियन बार पलकें ऊपर-नीचे करते हैं। (Interesting Facts)
हां, आपको यह पता होना चाहिए कि पलकें झपकाना हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों...
हां, आपको यह पता होना चाहिए कि पलकें झपकाना हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है और इससे हमारी आँखे कैसे सुरक्षित रहती हैं? एक कारण तो आईलेश्ज से जुड़ा है, जो कि छोटे घुमावदार बाल होते हैं, जो पलकों से जुड़े हुए होते हैं। इनका काम होता है धूल को आंखों में प्रवेश न करने देना। जब हम बारिश या धूल भरी आंधी में चलते हैं तो आईलेश्ज स्वतः ही नीचे गिर जाती हैं ताकि बाहरी चीजें आंख में प्रवेश न कर सकें। भौएं बारिश की बूंदों व पसीने को आंख में जाने से रोकती हैं। और पलक झपकाने का एक कारण यह भी है कि इससे हमारी आंखों की सिंचाई होती है यानी वह सूखने से बची रहती हैं, लुब्रीकेट रहती हैं। (Interesting Facts)
दरअसल, हर आईलेश्ज के किनारे पर 20 से 30 छोटे-छोटे छिद्र या ग्लैंड्स होते हैं, जो लेशेज के बीच में खुलते हैं। जब भी हमारी पलकें बंद होती हैं, यह ग्लैंड्स काम पर लग जाते हैं और इनसे एक तरल पदार्थ निकलता है, जो पलकों और लेशेज को नम कर देता है ताकि वह सूखें नहीं। बहरहाल, पलक झपकने से हमारी आंखों की ‘सिंचाई’ इस तरह से होती है कि हर आंख में आंसू का बनाने वाला तरल पदार्थ स्टोर होता है। पलक झपकते ही इसमें आंख सूखती नहीं है। हम कह सकते हैं कि हर बार पलक झपकने पर हम ‘रोते’ हैं। (Interesting Facts)
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