Fun Facts: स्पेस सूट को मैंस मैनूवरिंग यूनिट कहा जाता है

हम जानते हैं कि पृथ्वी के ऊपर का वातावरण इसके प्रत्येक वर्गमीटर पर एक बड़ी गाड़ी के बराबर दबाव डालता है। इसका पता इसलिए नहीं चलता, क्योंकि हमारे शरीर के भीतर तथा बाहर यह दबाव एक समान होता है।

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स्पेस सूट

Fun Facts स्पेस सूट को मैंस मैनूवरिंग यूनिट कहा जाता है:- हम जानते हैं कि पृथ्वी के ऊपर का वातावरण इसके प्रत्येक वर्गमीटर पर एक बड़ी गाड़ी के बराबर दबाव डालता है। इसका पता इसलिए नहीं चलता, क्योंकि हमारे शरीर के भीतर तथा बाहर यह दबाव एक समान होता है परन्तु उदाहरण के तौर पर यदि धातु के एक बर्तन के भीतर की हवा को इसके भीतर उबलते पानी द्वारा बाहर निकाल दिया जाए तो बर्तन इस दबाव के करण पिचक जाएगा। (Interesting Facts)

इसी तरह अंतरिक्ष में अप्रति रक्षित हुआ एक अंतरिक्ष यात्री न केवल फूल कर मर जाएगा...

इसी तरह अंतरिक्ष में अप्रति रक्षित हुआ एक अंतरिक्ष यात्री न केवल फूल कर मर जाएगा। बल्कि उसका खून भी उबलने लगेगा। जिस तापमान पर तरल उबलते हैं वह वातावरणीय दबाव पर निर्भर करता है। 9 किलोमीटर की ऊंचाइ पर पानी 75 डिग्री सैंटीग्रेड के तापमान पर उबलने लगता है और 19 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर खून शरीर से कम तापमान पर उबलने लगता है। शून्य दबाव पर अंतरिक्ष यात्री का खून एकदम जानलेवा फोम (झाग) में परिवर्तित हो जाएगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अंतरिक्ष यात्रियों के सूट इस तरह डिजाइन किए जाते हैं ताकि उन्हें यात्राओं के दौरान अंतरिक्ष में विद्यमान खतरों से बचाया जा सके। अंतरिक्ष के खतरों में अत्यधिक तापमान, खतरनाक विकिरण, तेजी से घूमती हुई वस्तुएं तथा शून्य (वैक्यूम) आदि शामिल हैं। (Interesting Facts)

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स्पेस सूट मैंस मैनूवरिंग यूनिट (एम.एम.यू) कहा जाता है। इसका कपड़ा बहुत-सी परतों का बना होता है जिनमें से प्रत्येक का अपना एक उद्देश्य होता है। भीतरी परतों में से एक तापमान को नियंत्रित करता है। इसे पहन कर अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष यान को छोड़ सकते हैं तथा स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में उड़ सकते हैं। इसमें ऑक्सीजन गैस के लिए भी व्यवस्था होती है। प्रत्येक सूट में एक आधारभूत लाइफ स्पोर्ट प्रणाली होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी तथा ऑक्सीजन रखी जा सकती है जिनकी सहायता से अंतरिक्ष यात्री कई घंटों तक अतंरिक्ष में ‘चहलकदमी’ कर सकते हैं। (Interesting Facts)

स्पेस सूट में लिक्विड कूलिंग तथा वैंटीलेशन प्रणाली होती है। दरअसल प्रत्येक सूट बहुत से अलग-अलग टुकडों से बना होता है। प्रत्येक टुकड़े को आकार के हिसाब से बनाया जाता है। अंतरिक्ष यात्री को इन्हीं टुकड़ों से बना ऐसा सूट दिया जाता है जिसमें वह फिट हो सके। एम.एम.यू के संबंध में एक अत्यंत रोचक तथ्य है इसका भार। पृथ्वी पर इसका भार लगभग 158 किलोग्राम होता है परन्तु इसे अंतरिक्ष में प्रयोग किया जाता है तो यह अंतरिक्ष यात्री को बड़े आराम से चलने-फिरने में सहायता करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में स्थिति भारविहीनता की होती है। अतः स्पेस सूट एक अंतरिक्ष यात्री के लिए जीवनरक्षक उपकरण होता है। (Interesting Facts)

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