Fun Facts: गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

वैसे तो सभी देवी देवता एक समान हैं किन्तु ब्रह्मा और विष्णु जी द्वारा दिए गए सर्वप्रथम पूजनीय देव के वरदान के कारण शिवपुत्र गणेश को सर्वश्रेष्ठ देव स्वरुप में पूजा जाता है।

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Lord Ganesha

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

Fun Facts गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं:- ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म के देवी देवताओं में गणपति यानी गणेश का स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। वैसे तो सभी देवी देवता एक समान हैं किन्तु ब्रह्मा और विष्णु जी द्वारा दिए गए सर्वप्रथम पूजनीय देव के वरदान के कारण शिवपुत्र गणेश को सर्वश्रेष्ठ देव स्वरुप में पूजा जाता है। उनकी पूजा आज भी हर घर, हर मंदिर, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सभी देवी देवताओं से पहले की जाती है। (Interesting Facts)

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उन्हें एकदंत, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक के रूप में भी पूजा जाता है। जो उनके 108...

उन्हें एकदंत, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक के रूप में भी पूजा जाता है। जो उनके 108 नामों में से एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद अश्विन माह में गणपति का सबसे बड़ा त्योहार ‘गणेश चतुर्थी’ मनाया जाता है। इस त्योहार में लगभग 10 दिनों तक श्री गणेश, लाल बादशाह या विघ्नहर्ता की पूजा अर्चना होती है और दसवें दिन उन्हें विसर्जित किया जाता है। (Interesting Facts)

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मान्यता है कि भगवान गणेश विघ्न का नाश करने और मंगलमय वातावरण बनाने वाले हैं। गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु सहित पूरे भारत में काफी जोश के साथ मनाया जाता है। किन्तु महाराष्ट्र में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। इस त्योहार के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं जिनमें से उनकी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ जुड़ी कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया था। भगवान शिव ने जब भवन में प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे पार्वती नाराज़ हो उठीं। उन्होंने तांडव मचा दिया। (Interesting Facts)

भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर उन्हें शांत किया। भगवान शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। और उस सिर को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके सबसे पहले पूजे जाने का वरदान दिया। (Interesting Facts)

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