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शुभ कार्यों में सिर क्यों ढका जाता है
Fun Facts शुभ कार्यों में सिर क्यों ढका जाता है:- प्रत्येक धर्म व सम्प्रदाय में शुभ कार्यों, पवित्र स्थलों व प्रार्थना तथा बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करते समय सिर को वस्त्र से ढ़कने का शास्त्रीय नियम है। जहां तक सनातन धर्म का प्रश्न है तो सनातन धर्म में नारियों के लिए सिर पर पल्लू रखकर ही शुभ कार्यों में उपस्थिति का प्रावधान है। इसके अलावा आपने भी मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारों आदि पवित्र स्थलों में उपासकों को सिर ढककर उपासना करते देखा होगा। (Interesting Facts)
शुभ कार्यों व पूजन-अर्चना में सिर ढकने के पीछे यही कारण है कि शुभ कार्यों व पूजन के दौरान...
शुभ कार्यों व पूजन-अर्चना में सिर ढकने के पीछे यही कारण है कि शुभ कार्यों व पूजन के दौरान उत्पत्र होने वाली सकारात्मक ऊर्जा विकीर्ण न हो पाये तथा उसका जीवन में सदुपयोग हो सके। प्रायः जब हम पवित्र स्थलों पर होते हैं तो हमारे भीतर असीमित सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है। यदि हमने सिर ढक रखा है तो इसका परिणाम यह होता है कि उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा पुनः आत्मसाध हो जाती है अन्यथा ऊर्जा का नष्ट होना संभव है। उत्पन्न ऊर्जा का सिर पर जाकर विकीर्ण अर्थात बिखराव न हो, इसीलिये सिर ढककर पूजन आदि का प्रावधान है। (Interesting Facts)
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब यही ऊर्जा सिर तक पहुंचती है तो सिर ढके होने के कारण ऊर्जा बर्तुल बन जाती है और पूजन अथवा ध्यान का अनुभव प्रागाढ़ व गहरा हो जाता है। इसका शुभ फल यह होता है कि उपासक को अल्पसमय में ही सुख व आनंद की प्राप्ति होने लगती है। उपासना करते समय नग्न सिर शास्त्रानुकूल नहीं माना जाता है तो इसका कारण यही है कि आशीर्वाद दाता द्वारा सिर पर हाथ रखकर प्रदान की गयी ऊर्जा का बिखराव न होने पाये तथा उसका आशीर्वाद मानव जीवन में फलीभूत हो सके। (Interesting Facts)
प्राचीन ऋषि-मुनियों की लंबी जटाओं से ढका सिर अथवा फकीरों के सिर ढके चित्र यही इंगित करते हैं कि उन्होंने अपनी तपस्या अथवा उपासना के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को विकीर्ण नहीं होने दिया तथा इसी ऊर्जा के रूपांतरण के फलस्वरूप उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर जन कल्याण किया। (Interesting Facts)
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