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एक जंगल कथा: ढोल का रहस्य: - यह प्रेरक जंगल कथा सियार और सियारी की है, जो एक ढोल की आवाज से प्रभावित होकर उसे मोटे शिकार का खजाना मान बैठे। लेकिन ढोल खोखला निकला, और उनकी चतुराई पर हंसी आई। यह कहानी हमें सिखाती है कि बाहरी दिखावे से प्रभावित न हों।
एक समय की बात है, जंगल के पास दो राजाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ। एक विजयी हुआ, दूसरा पराजित। सेनाएँ अपने-अपने नगरों को लौट गईं, लेकिन एक ढोल युद्ध के मैदान में छूट गया। यह ढोल सेना के भाट और चारण रात को वीरगाथाएँ गाते हुए बजाया करते थे, जो सैनिकों के हौसले बढ़ाता था।
युद्ध के बाद एक तूफानी हवा चली, जिसने ढोल को लुढ़कते हुए एक सूखे वृक्ष के पास ले जाकर पटक दिया। वृक्ष की सूखी टहनियाँ हवा के झोंके से ढोल से टकरातीं, और 'धम-धम' की गूंज जंगल में फैल जाती। इस इलाके में एक सियार, जिसका नाम था सियार, भटकता रहता था। उसने यह अजीब आवाज सुनी और डर गया। उसने सोचा, "यह कौन सा प्राणी है, जो इतनी भारी आवाज निकालता है? क्या यह उड़ता है या दौड़ता है?" वह जिज्ञासा और भय से छिपकर ढोल को देखने लगा।
कई दिन तक सियार झाड़ियों में छिपा रहा, ढोल की हरकतों पर नजर रखे। एक दिन, एक छोटी गिलहरी, जिसका नाम था गिलहरी, पेड़ से कूदकर ढोल पर जा बैठी। उसका वजन पड़ते ही हल्की 'धम' की आवाज हुई। गिलहरी दाना कुतरने लगी, मानो उसे इसकी परवाह न हो। सियार बुदबुदाया, "अरे! तो यह कोई खतरनाक जानवर नहीं है। मुझे भी डरने की जरूरत नहीं!"
हिम्मत जुटाकर सियार धीरे-धीरे ढोल के पास पहुँचा। उसने सूंघा, लेकिन न तो सिर दिखा, न पैर। तभी हवा चली, टहनियाँ टकराईं, और 'धम' की आवाज हुई। सियार चौंककर पीछे लुफ्त गया। उठते हुए वह बोला, "अब समझा! यह तो सिर्फ एक खोखला ढांचा है। अंदर कोई मोटा-ताजा प्राणी छिपा होगा, वरना इतनी गहरी आवाज कैसे?" उसने सोचा, "यह शिकार तो सोने पर सुहागा है!"
मांद में पहुँचकर सियार अपनी साथी सियारी से बोला, "सुनो, मैंने एक लजीज शिकार का पता लगा लिया है। तैयार हो जाओ!" सियारी ने उत्सुकता से पूछा, "फिर उसे क्यों नहीं पकड़ लाए?" सियार ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा, "अरे, यह खोल के अंदर है। दो तरफ चमड़ी के दरवाजे हैं। अगर मैं एक तरफ से हाथ डालता, तो वो दूसरी ओर से भाग जाता!"
चाँदनी रात में दोनों ढोल की ओर बढ़े। जैसे ही वे पास पहुँचे, हवा ने फिर टहनियों को हिलाया, और 'धम-धम' की आवाज गूंजी। सियार ने सियारी के कान में फुसफुसाया, "सुना? इसकी आवाज से लगता है कि अंदर का जीव कितना मोटा होगा!" दोनों ने ढोल को सीधा किया और दांतों से चमड़ी फाड़ने लगे। सियार ने कहा, "होशियार रहो, एक साथ हाथ अंदर डालकर पकड़ो!"
उन्होंने 'हूं' की आवाज के साथ हाथ डाला, लेकिन अंदर कुछ नहीं था—सिर्फ एक-दूसरे के हाथ मिले। दोनों चीख पड़े, "अरे! यहाँ तो खाली है!" निराश होकर वे माथा पीटते रहे और सोचने लगे कि उनकी मेहनत बेकार गई।
सीख
इस बेस्ट हिंदी स्टोरी से हमें यह Jungle story के रूप में सीख मिलती है कि जो लोग बाहर से शानदार दिखते हैं, वे अंदर से खोखले हो सकते हैं। सच्चाई को पहचानें और दिखावे में न फँसें।
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