जंगल की कहानी : शेर का सच्चा दोस्त

चीता रहते थे पूरा जंगल इनकी दोस्ती पर नाज करता था पर एक दिन शेर छोटी सी बात को लेकर चीते से लड़ने लगा और उसके बाद कहने लगा मैं जंगल का राजा हूं और तुम्हें कल से मुझे राजा कहना होगा और आज हम दोनों के बीच की दोस्ती टूटती है।

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चीता रहते थे पूरा जंगल इनकी दोस्ती पर नाज करता था पर एक दिन शेर छोटी सी बात को लेकर चीते से लड़ने लगा और उसके बाद कहने लगा मैं जंगल का राजा हूं और तुम्हें कल से मुझे राजा कहना होगा और आज हम दोनों के बीच की दोस्ती टूटती है।

चीता उस दिन के बाद से कभी भी जंगल में नजर नहीं आया। शेर को अपने राजा होने पर गुरुर था और वह मजे से राज करता रहा एक दिन शेर का सेनापति लोमड़ी जंगल में सबसे ज्यादा चोरी करने वाले बंदर को पकड़ कर लाई।

तब शेर ने बंदर को मौत की सजा सुना दी और कहा कि तुम्हें आज से ठीक 2 महीने बाद जंगल के सबसे ऊंचे पहाड़ से धक्का देकर मार दिया जाएगा और इस तरह बंदर को जेल में डाल दिया गया।

बंदर का एक दोस्त हिरन था जब उसे पता चला कि उसका दोस्त गिरफ्तार हो गया है तो वह बंदर से मिलने गया हिरन ने उसे बहुत समझाया तब बन्दर ने कहा मुझे अपनी कोई परवाह नहीं है मुझे तो परवाह अपने परिवार की है, काश मुझे कुछ दिन मिल जाते तो मैं उनके लिए कुछ कर पाता तभी बंदर का दोस्त हिरन मायूस हो गया और सोचने लगा काश मैं तुम्हारे लिए कुछ कर पाता।

वह राजा शेर के पास गया और कहा, महाराज! क्या मैं कुछ दिनों के लिए अपने दोस्त बंदर की जगह जेल में रह सकता हूं। शेर ने कहा, देख लो अगर तुम्हारा दोस्त कुछ दिनों बाद समय पर नहीं आता है तो उसकी सजा तुम्हें भुगतनी पड़ेगी।

हिरन ने कहा, मैं उसकी जगह पर मरने को तैयार रहूंगा और उसके बाद हिरन को जेल में डाल दिया जाता है और बंदर को आजाद कर दिया जाता है। 

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लगभग 2 महीने पूरे हो जाते हैं पर बंदर वापस नहीं आता है तब अगले दिन हिरन को जंगल के सबसे ऊंचे पहाड़ पर ले जाया जाता है। उसी समय पर बन्दर आ जाता है और कहता है बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे दोस्त अब तुम आजाद हो और मैं अपनी सजा भुगत लेता हूं तभी हिरन कहता है मेरे दोस्त तुम क्यों आए तुम्हें नहीं आना चाहिए था।

तुम वापस चले जाओ मैं तुम्हारी जगह अपनी जान दे दूंगा शेर यह सब कुछ देख रहा होता है और उसे इन दोनों की दोस्ती देखकर रहम आ जाता है। वह बन्दर की सजा माफ़ कर देता है उसके बाद बंदर और हिरन खुशी-खुशी वापस चले जाते हैं। तब उसे अपने दोस्त चीता की याद आती है। वह तुरंत अपने दोस्त चीता के पास जाता है और कहता है। मेरे प्यारे दोस्त मुझे माफ कर देना। मैं तुम्हारी सच्ची दोस्ती का एहसास ही नहीं कर पाया।

कहानी से सीख : 

तो बच्चों, इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों की अच्छाइयों से सीखना चाहिए और हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए क्योंकि जब आप अच्छा काम करते हैं तो यह हमें और साथ में दूसरे लोगों को भी प्रेरित करता है।

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