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Jungle lesson: Identification of true friendship Photograph: (Jungle lesson Identification of true friendship)
"जंगल का सबक" कहानी में राहुल और सोहन नाम के दो दोस्त जंगल के रास्ते से गुज़रते हैं। रास्ते में उन्हें एक भालू मिलता है। राहुल डरकर पेड़ पर चढ़ जाता है, जबकि सोहन मरे होने का नाटक करके अपनी जान बचाता है। भालू के जाने के बाद सोहन, राहुल को समझाता है कि सच्चा दोस्त मुसीबत में साथ देता है, न कि भाग जाता है। राहुल अपनी गलती मानता है और माफी माँगता है। इस तरह दोनों की दोस्ती और गहरी हो जाती है। (Sachcha Mitra Kaun Summary, Moral Story in Hindi)
कहानी: जंगल की राह पर दो दोस्त (The Story: Two Friends on a Jungle Path)
कई साल पहले की बात है, एक हरे-भरे जंगल के पास एक गाँव में दो दोस्त रहते थे—राहुल और सोहन। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि गाँव वाले उन्हें एक-दूसरे का साया कहते थे। एक दिन राहुल ने सोहन से कहा, "सोहन, चलो जंगल के उस पार वाले गाँव में चलते हैं। वहाँ मेला लगा है, खूब मज़ा करेंगे!" सोहन ने हँसते हुए जवाब दिया, "चलो राहुल, लेकिन जंगल का रास्ता तो सुनसान और खतरनाक है। हमें जल्दी लौटना होगा।" दोनों ने हिम्मत जुटाई और जंगल की ओर निकल पड़े।
जंगल का रास्ता वाकई डरावना था। चारों तरफ घने पेड़, अजीब-अजीब सी आवाज़ें, और सूरज भी ढलने लगा था। सोहन ने डरते हुए कहा, "राहुल, सूरज ढल रहा है। हमें जल्दी चलना चाहिए, वरना कोई मुसीबत आ जाएगी।" राहुल ने उसका हौसला बढ़ाया, "डर मत सोहन, हम साथ हैं न! कुछ नहीं होगा।" लेकिन जैसे ही वे आगे बढ़े, सामने से एक बड़ा सा भालू उनकी ओर आता दिखा। उसकी आँखें चमक रही थीं, और वह गुर्राते हुए उनकी तरफ बढ़ रहा था।
राहुल घबरा गया और चिल्लाया, "सोहन, भागो!" वह तेज़ी से पास के एक पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह पेड़ों पर चढ़ने में माहिर था। लेकिन बेचारा सोहन! उसे पेड़ पर चढ़ना बिलकुल नहीं आता था। उसने सोचा, "अब क्या करूँ? भालू मुझे खा जाएगा!" तभी उसे एक तरकीब सूझी। उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसानों को नहीं खाते। सोहन ने तुरंत ज़मीन पर लेटकर मरे होने का नाटक शुरू कर दिया। उसने अपनी साँस रोक ली और बिलकुल हिलना बंद कर दिया।
भालू धीरे-धीरे सोहन के पास आया। उसने सोहन के चेहरे के चारों ओर सूँघा, उसके कानों के पास नाक लगाई, और यह समझकर कि सोहन मर चुका है, वह आगे बढ़ गया। सोहन ने चुपके से आँख खोलकर देखा कि भालू जा चुका है। वह राहत की साँस लेते हुए उठा। उधर, राहुल पेड़ से नीचे उतर आया। उसने सोहन से मज़ाक करते हुए पूछा, "अरे सोहन, भालू ने तेरे कान में क्या कहा? तू तो बड़ा शांत पड़ा था!"
सोहन ने गहरी साँस ली और गंभीर स्वर में कहा, "राहुल, भालू ने कुछ नहीं कहा, लेकिन आज मुझे एक बात समझ आ गई। सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत में साथ दे, न कि वह जो अपनी जान बचाकर भाग जाए। तुमने मुझे अकेला छोड़ दिया और खुद पेड़ पर चढ़ गए। अगर मैं मर जाता, तो क्या तुम्हें अफ़सोस नहीं होता?" राहुल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सिर झुकाकर कहा, "सोहन, मुझे माफ़ कर दे। मैं डर गया था, लेकिन अब मैं समझ गया कि सच्ची दोस्ती का मतलब क्या है। मैं वादा करता हूँ, अब कभी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा।" दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे को गले लगाया और जंगल से बाहर निकलकर गाँव वापस लौट आए। उस दिन के बाद उनकी दोस्ती और मज़बूत हो गई। (Jungle Story for Kids, True Friendship Tale)
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा दोस्त वही है, जो मुसीबत में हमारा साथ दे। सोहन ने राहुल को समझाया कि दोस्ती का मतलब सिर्फ़ अच्छे पलों में साथ देना नहीं, बल्कि मुश्किल वक्त में भी एक-दूसरे का सहारा बनना है। हमें हमेशा अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए और कभी भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। सच्ची दोस्ती वही है, जो हर परिस्थिति में साथ निभाए। (Lesson on True Friendship, Moral for Kids)
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