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किसी जंगल में एक छोटा सा खरगोश रहता था जिसका नाम था बन्नी। बन्नी बहुत ही मिलनसार और खुशमिजाज खरगोश था, और उसके बहुत से दोस्त थे। उसे अपने दोस्तों पर बहुत गर्व था और वह अक्सर सोचा करता था कि अगर कभी उसे किसी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा, तो उसके दोस्त हमेशा उसकी मदद करेंगे।
एक दिन जंगल में कुछ अनहोनी हो गई। बन्नी ने अचानक जंगली कुत्तों की डरावनी भौंकने की आवाज सुनी। उसकी धड़कन तेज हो गई और उसका दिल डर से कांपने लगा। वह जानता था कि अगर जंगली कुत्ते उसके करीब आए, तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती है। वह घबराया हुआ अपने दोस्तों की मदद लेने के लिए दौड़ पड़ा।
सबसे पहले, वह अपने प्रिय मित्र हिरण के पास गया। "प्रिय मित्र," बन्नी ने कहा, "कुछ जंगली कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। क्या तुम अपने नुकीले सींगों से उन्हें दूर भगा सकते हो?"
हिरण ने थोड़ा सोचते हुए कहा, "मुझे खेद है, बन्नी। मैं इस समय बहुत व्यस्त हूँ। क्यों न तुम भालू से मदद मांगो? वह बहुत मजबूत है और जरूर तुम्हारी मदद करेगा।"
बन्नी निराश था, लेकिन वह उम्मीद नहीं खोना चाहता था। वह जल्दी से भालू के पास भागा। "मेरे प्यारे दोस्त," बन्नी ने भालू से प्रार्थना की, "तुम बहुत मजबूत हो। कृपया मेरी मदद करो, जंगली कुत्ते मेरे पीछे हैं!"
भालू ने ठंडी सांस लेते हुए कहा, "मुझे माफ करना, बन्नी। मैं बहुत थका हुआ हूँ और भूखा भी। मुझे पहले कुछ भोजन की तलाश करनी होगी। शायद तुम बंदर से मदद मांगो, वह फुर्तीला है और तुम्हारी सहायता कर सकता है।"
बन्नी के मन में निराशा और चिंता बढ़ने लगी। वह बंदर के पास भागा, फिर हाथी, बकरी और अन्य दोस्तों के पास भी गया। लेकिन हर कोई किसी न किसी वजह से उसकी मदद करने से कतराता रहा। आखिरकार, बन्नी को यह एहसास हुआ कि कोई भी उसकी सहायता के लिए नहीं आएगा।
अब क्या किया जाए? कुत्तों की भयानक आवाजें नजदीक आ रही थीं। बन्नी ने एक गहरी सांस ली और अपने मन को शांत किया। उसने खुद ही सोचने का फैसला किया। वह एक घनी झाड़ी के नीचे चुपचाप छिप गया और अपनी सांस रोककर बैठा रहा। कुत्ते उसके पास से गुजर गए, लेकिन वे बन्नी को देख नहीं पाए। वे उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ गए और दूसरे जानवरों का पीछा करने लगे।
बन्नी ने धीरे-धीरे राहत की सांस ली और अपनी जगह से बाहर निकला। वह सुरक्षित था। इस पूरे अनुभव ने उसे एक महत्वपूर्ण बात सिखाई। उसने सीखा कि मुश्किल समय में दूसरों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद पर विश्वास करना और अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।
कहानी से सीख:
बन्नी खरगोश ने इस घटना से यह सीखा कि सच्चा मित्र वही होता है जो हर परिस्थिति में आपका साथ दे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान को खुद पर सबसे पहले भरोसा करना चाहिए। हर समस्या का हल दूसरों से मदद मांगने में नहीं होता, कभी-कभी हमें अपने डर और चुनौतियों का सामना खुद करना पड़ता है। खुद पर विश्वास और धैर्य रखकर ही हम कठिनाइयों से बाहर निकल सकते हैं।