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मंगलू बंदर की चतुराई: जंगल का सच्चा नेता कौन?- जंगल के बीचो-बीच एक बड़ा पेड़ था, जहाँ सभी जानवर इकट्ठे होते थे। इसी पेड़ के पास मंगलू बंदर रहता था, जो अपनी चालाकी के लिए पूरे जंगल में मशहूर था। एक दिन जंगल के राजा, शेरू सिंह, ने घोषणा की, "सुनो, सुनो! जो भी जानवर सबसे समझदार और चतुर साबित होगा, वही इस जंगल का नया नेता बनेगा।"
सभी जानवरों में खलबली मच गई। हाथी से लेकर लोमड़ी तक, सब सोच रहे थे कि कैसे वे इस प्रतियोगिता को जीत सकते हैं। मंगलू बंदर भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का सोच रहा था, लेकिन उसकी चालाकी कुछ अलग ही थी।
शेरू सिंह ने गर्जना करते हुए कहा, "इस पेड़ के सबसे ऊंचे फल को जो भी जानवर तोड़ेगा और मुझे लाकर देगा, वही जंगल का नया नेता बनेगा।"
हाथी ने अपनी सूंड उठाई और कहा, "यह तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है।" लेकिन जब उसने फल तोड़ने की कोशिश की, तो वह बहुत ऊँचाई पर था। हाथी निराश होकर बोला, "अरे, यह फल तो बहुत ऊपर है!"
शेर ने अपनी ताकत से छलांग लगाई, लेकिन वह भी असफल रहा। उसने गुस्से में कहा, "इतना ऊँचा कैसे पहुँचूँ?"
लोमड़ी ने अपनी चालाकी दिखाने की कोशिश की, लेकिन वह भी पेड़ के ऊंचे हिस्से तक नहीं पहुँच पाई। उसने चिढ़ते हुए कहा, "इससे अच्छा तो मैं कुछ और सोचती।"
अब बारी थी मंगलू बंदर की। वह हँसते हुए पेड़ के पास आया और चारों ओर देखने लगा। उसने पेड़ की जड़ में एक बड़ा सा छेद देखा और बोला, "अरे! ये क्या? यहाँ तो एक पुराना फल गिरा हुआ है!"
मंगलू ने वह फल उठाया और शेरू सिंह के सामने लाकर बोला, "महाराज, ये रहा वह फल।"
शेरू सिंह ने हैरानी से पूछा, "मंगलू, तुमने ये कैसे किया?"
मंगलू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "महाराज, सबने ऊंचाई पर ध्यान दिया, लेकिन मैं नीचे की ओर देखा। जो चीज़ सबकी नजर से छिपी रहती है, वही असली खजाना होती है।"
शेरू सिंह और बाकी जानवरों ने मंगलू की चतुराई की सराहना की और उसे जंगल का नया नेता घोषित कर दिया।
कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सिर्फ ताकत और ऊंचाई ही नहीं, बल्कि चतुराई और सही समय पर सही निर्णय लेना भी सफलता की कुंजी होती है। हमेशा बड़ी चीज़ों के पीछे भागने के बजाय, छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देना चाहिए।