बच्चों के लिए शिक्षाप्रद जंगल कहानी: नन्हा शेर शेरू और दोस्ती का रास्ता (Moral Story in Hindi)

एक बहुत घना, हरा-भरा और सुंदर जंगल था, जिसका नाम था 'हरियालवन'। इस जंगल में एक छोटा, फुर्तीला और बहादुर शेर रहता था, जिसका नाम शेरू था। शेरू को सभी प्यार करते थे

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एक बहुत घना, हरा-भरा और सुंदर जंगल था, जिसका नाम था 'हरियालवन'। इस जंगल में एक छोटा, फुर्तीला और बहादुर शेर रहता था, जिसका नाम शेरू था। शेरू को सभी प्यार करते थे, लेकिन उसमें एक आदत अच्छी नहीं थी—वह अपनी मम्मी की बात बहुत कम मानता था और बेहद शरारती था।

शेरू की मम्मी हमेशा उसे समझाती थीं, "बेटा शेरू, हरियालवन जंगल बहुत बड़ा है। कभी भी अकेले या बिना बताए दूर मत जाना, वरना तुम रास्ता भटक सकते हो।"

मगर शेरू के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती थी। उसे लगता था कि वह तो शेर है, भला कैसे खो सकता है!

नीली-पीली तितली के पीछे भागा और हरियालवन जंगल में खो गया

एक धूप वाली सुबह, शेरू अपनी गुफा के पास खेल रहा था, तभी उसकी नज़र एक सुंदर, नीले और पीले रंग की तितली पर पड़ी। "वाह! इतनी रंगीन तितली मैंने पहले कभी नहीं देखी!" शेरू ने सोचा।

वह उस तितली के पीछे भागने लगा। तितली कभी ज़मीन पर, तो कभी ऊंचे पेड़ों पर मंडराती। शेरू मज़े-मज़े में भागता रहा और यह भूल गया कि वह अब जंगल के बहुत अंदर आ चुका है।

जब तितली अचानक एक घनी झाड़ी के पीछे ओझल हो गई, तब शेरू रुका। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी, और अब सूरज भी छिपने लगा था। उसने घबराकर चारों तरफ देखा, उसे अपनी गुफा का रास्ता या कोई परिचित पेड़ नहीं दिखा। शेरू को एहसास हुआ कि उसने मम्मी की बात न मानकर कितनी बड़ी गलती कर दी है।

मुसीबत में तेज़्ज़ू हिरण और बुद्धू उल्लू अंकल ने की मदद

अँधेरा होते ही जंगल की आवाज़ें तेज़ हो गईं, और नन्हा शेर शेरू डर के मारे ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। तभी, वहाँ एक फुर्तीला हिरण आया, जिसका नाम तेज़्ज़ू था। तेज़्ज़ू ने शेरू को रोते देखा तो वह डरने के बजाय उसके पास गया।

तेज़्ज़ू ने प्यार से पूछा, "तुम रो क्यों रहे हो, दोस्त? क्या तुम खो गए हो?"

शेरू ने पूरी कहानी बताई। तेज़्ज़ू बहुत समझदार था। उसने कहा, "चिंता मत करो! हम दोनों दोस्त मिलकर रास्ता ढूँढेंगे। हम बुद्धू उल्लू अंकल के पास चलते हैं। वह रात में भी सब कुछ देख सकते हैं और जंगल में सबसे समझदार हैं!"

शेरू और तेज़्ज़ू जल्दी से बरगद के पेड़ के पास गए, जहाँ बुद्धू अंकल बैठे थे। बुद्धू अंकल ने सारी बात सुनकर कहा, "शेरू बेटा, हमेशा बड़ों की बात मानो। लेकिन अब रोना बंद करो। मैं तुम्हें रास्ता दिखाता हूँ।"

शेरू की घर वापसी और दोस्ती का सबसे बड़ा सबक

बुद्धू अंकल ऊँचाई से दिशा बताते गए, और तेज़्ज़ू ने अपनी तेज़ रफ़्तार का इस्तेमाल किया। तेज़्ज़ू आगे-आगे भागा और शेरू को खींचकर ले गया।

आख़िरकार, उन्हें दूर से वह तीन टहनियों वाला ख़ास पेड़ और गोल पत्थर दिखाई दिया! और उसके पास ही शेरू की मम्मी खड़ी थीं, जो अपने बच्चे के लिए परेशान थीं।

शेरू को देखते ही उसकी मम्मी ने उसे कसकर गले लगा लिया। शेरू ने मम्मी से माफ़ी मांगी और तेज़्ज़ू और बुद्धू अंकल को धन्यवाद कहा।

उस दिन के बाद से, नन्हे शेर शेरू ने हमेशा अपनी मम्मी की बात मानी और कभी अकेले दूर नहीं गया। उसने यह भी समझा कि सच्ची दोस्ती किसी भी मुसीबत से बाहर निकाल सकती है।

कहानी से सीख (Moral of the Story): हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए, क्योंकि वे हमारा भला चाहते हैं। और सच्ची दोस्ती जीवन के हर अंधेरे रास्ते में रोशनी दिखाती है।

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