लोटपोट की कहानी का पिटारा : राजू और सच की जीत लोटपोट की कहानी का पिटारा : राजू और सच की जीत :- ग्यारह बजकर दस मिनट हो चुके थे। तेज कदमों से चलते हुए राजू की नजर ज्यों ही घड़ी पर पड़ी, उसने यकायक हड़बड़ाकर भागना शुरू कर दिया। ठीक सवा ग्यारह बजे उसने हाँफते हुए स्कूल में प्रवेश किया। कुछ ही पल बाद वह अपनी कक्षा के दरवाजे पर खड़ा था। कक्षा में गणित के अध्यापक श्री सक्सेना जी छात्रों को पढ़ा रहे थे। By Lotpot 12 Feb 2022 | Updated On 12 Feb 2022 12:40 IST in Stories Moral Stories New Update लोटपोट की कहानी का पिटारा : राजू और सच की जीत :- ग्यारह बजकर दस मिनट हो चुके थे। तेज कदमों से चलते हुए राजू की नजर ज्यों ही घड़ी पर पड़ी, उसने यकायक हड़बड़ाकर भागना शुरू कर दिया। ठीक सवा ग्यारह बजे उसने हाँफते हुए स्कूल में प्रवेश किया। कुछ ही पल बाद वह अपनी कक्षा के दरवाजे पर खड़ा था। कक्षा में गणित के अध्यापक श्री सक्सेना जी छात्रों को पढ़ा रहे थे। कुछ पल राजू डर स्थिति में वहीं खड़ा रहा। फिर उसने साहस बटोरकर कहा। में आई कम इन सर? उसकी आवाज से सक्सेना जी की निरंतरता हुई तो उन्होंने चैंककर दरवाजे की ओर देखा। राजू को देखते ही उनकी भृकुटी तन गई और व्यंग्यात्मक लहजे में बोले। पधरिए, आपका स्वागत है। राजू सहमा सकुचाया-सा अंदर आ गया। तो जनाब आज भी देर से आए है। सक्सेना जी ने कठोर स्वर में कहा। सर... वो...! राजू अभी आगे बोल भी नहीं पाया था कि सक्सेना सर ने कड़क कर कहा। झूठा बहाना बनाने की कोशिश मत करो। मैं सच कह रहा हूँ सर, जब में स्कूल आ रहा था तो रास्ते में चैराहे के पास एक छोटे से बच्चे का साईकिल से एक्सीडेंट हो गया। उसके पांव से काफी खून बह रहा था। मैं उसे डाॅक्टर के पास ले गया। प्राथमिक चिक्त्सिा करवाने के बाद एक सज्जन के साथ उस बच्चे को उसके घर पहुँचाया। बस इसी में स्कूल आने में देरी हो गई। राजू ने विस्तार में अपने साथ हुई घटना बताई। ‘बहुत खूब। मैं सब समझता हूँ तुम्हारे बहाने। कभी तुम्हेें चप्पल टूट जाने से देर होती है। तो कभी पैन खो जाने से। आज तो तुमने बिल्कुल नई कहानी गढ़ ली है। तुम्हारी कल्पना शक्ति की दाद देता हूँ तुम देर से आने के साथ-साथ झूठ भी बोलते हो। आज तुम्हें इसकी सजा जरूर मिलेगी। सक्सेना जी ने कहा। इसके बाद सक्सेना जी ने उसे सजा के तौर पर पूरी पीरियड बैंच पर खड़ा रखा तथा शाम को उसके पिताजी से भी मिलकर शिकायत करने को भी कहा। अपमान और दुख से राजू तिलमिला उठा। उसकी आँखें छलछला आई। स्कूल की छुट्टी होने के बाद वह अनमना-सा कंधे पर बस्ता लटाकये घर की ओर चल पड़ा। रास्ते भर यही सोचता रहा कि सच बोलने और किसी की मदद करने का यही नतीजा मिलता है तो ऐसी मदद करने और सच बोलने से भला क्या लाभ है? घर पहुँचकर बस्ता एक तरफ पटक कर चुपचाप बैठ गया। उसकी मम्मी उसे देखकर ही समझ गई कि आज वह परेशान है। उन्होंने प्यार से पूछा। क्या बात है राजू बेटे, बहुत परेशान हो। क्या स्कूल में किसी से झगड़ा हो गया? मम्मी का स्नेह भरा स्पर्श पाकर राजू का देर से रूका सब्र का बांध टूट गया। वह मम्मी की गोद में सिर छुपाकर फफक-फफक कर रो पड़ा। रोने के बाद जब उसका जी हल्का हो गया। तो उसने सुबह की सारी घटना मम्मी को सुना दी और पूछ। मम्मी, क्या सच बोलने और जरूरतमंद की मदद करने से अपमान और सजा मिलती है? नहीं बेटे, यह बात नहीं है। सत्य और भलाई के मार्ग में कठिनाईयाँ तो आती हैं। किन्तु अंतः में विजय सत्य की ही होती है। इन क्षणिक कठिनाईयों से घबराकर कभी भी सच्चाई का मार्ग नहीं छोड़ देना चाहिए। यह कायरता होती है। मेरा बेटा कायर नहीं है। मम्मी ने समझाया तो राजू को बहुत राहत मिली। उसे लगा कि उसने कोई गलती नहीं की है। राजू ने निश्चय किया कि चाहे कितनी भी कठिनाईयों और दुखों का सामना करना पड़े, लेकिन वह कभी भी सत्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। दिन भर की उहापोह और उलझन से मुक्त होकर राजू बेफिक्र हो क्रिकेट खेलने निकल गया। शाम को सात बजे के लगभग जब राजू खेल कर लौटा तो उसने देखा कि ड्राइंग रूम में सक्सेना जी उसके पापा के साथ बैठे हुए थे। उन्हें वहाँ देखकर राजू ने सोचा, जरूर यह मेरी पापा से शिकायत करने आए है। तभी सक्सेना सर ने उसे आवाज दी। आओ राजू बेटे, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। दरअसल मैं यहाँ तुमसे क्षमा मांगने आया हूँ लेकिन सर...। राजू आगे कुछ बोल न पाया। हाँ राजू, सचमुच में बहुत शर्मिन्दा हूँ। सवेरे कक्षा में मैंने तुम्हारी बात पर विश्वास न करके बहुत बड़ी गलती की थी। आज सवेरे तुमने जिस बच्चे को डाॅक्टर के पास पहुँचाकर उसका उपचार करवाया, वह मेरा ही छोटा लड़का सोनू था...। यह कहते-कहते सक्सेना जी का गला भर आया। राजू के कानों में मम्मी के शब्द गंूज उठे-बेटा, अंतः विजय सत्य की ही होती है। सक्सेना जी राजू को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए चले गए। उस क्षण के बाद से राजू की आस्था सत्य पर और अधिक दृढ़ हो उठी। और पढ़ें : बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Best Hindi Kahani #लोटपोट #Lotpot Kahani #Hindi Bal kahania You May Also like Read the Next Article