सीख देती कहानी: औकात की सीख
Web Stories: सीख देती कहानी : औकात की सीख - एक समय की बात है, एक शहर में एक लालची और अमीर सेठ रहता था। नाम था उसका धन्ना सेठ। अपनी विशाल संपत्ति के बावजूद, वो हमेशा अधिक
Web Stories: सीख देती कहानी : औकात की सीख - एक समय की बात है, एक शहर में एक लालची और अमीर सेठ रहता था। नाम था उसका धन्ना सेठ। अपनी विशाल संपत्ति के बावजूद, वो हमेशा अधिक
Web Stories: दिव्या का नए साल का तोहफा:- दिव्या एक बहुत अच्छे स्वभाव की बच्ची थी लेकिन वह बहुत ज़्यादा आलसी थी। ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जिसे वह पसंद करती हो या फिर जो उसे
Web Stories: शिक्षाप्रद बाल कहानी: माँ को रवि की आदतें बिल्कुल पसंद नहीं थी। वह हमेशा उससे नाराज रहती। पिताजी भी रवि को बार-बार समझाते। परन्तु रवि पर किसी की बातों का
Web Stories: कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर वाले जंगल में रहता था। वह देखने में जितना काला कलूटा था। मन से उससे भी अधिक काला था। ऊपर से मीठी मीठी बातें करता था और
कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर वाले जंगल में रहता था। वह देखने में जितना काला कलूटा था। मन से उससे भी अधिक काला था। ऊपर से मीठी मीठी बातें करता था और मौका मिलते ही उन्हें चट कर देता। छोटे जानवर तो प्रायः चिकनी चुपड़ी बातों के जाल में फंस ही जाते थे।
चंपक जंगल में एक चालाक शेरनी रहती थी। उसके चार और प्यारे छोटे छोटे बच्चे थे। वह इतने छोटे थे कि अभी तक उनकी आंखे भी नहीं खुली थी। वह ज़्यादातर समय सोते रहते थे और जब वह उठते थे तो उनकी मां उन्हें दूध पिलाती थी। लेकिन अगर उनकी मां एक मिनट भी लेट हो जाती तो उसके बच्चे इतना चिल्लाते कि पूरी गुफा को हिलाकर रख देते। उसी जंगल में एक और शेर रहता था। वह बूढ़ा था।
जंगल कहानी (Jungle Story) धोखा देने का फल : प्राचीन काल की बात है। चन्दन वन का राजा जबरू शेर मर गया तो उन्होंने नये राजा का चुनाव किया। शेरूमल को सभी सिंहों ने अपना राजा चुना। नये पद पर आकर शेरूमल ने सोचा कि अब मुझे इनके विश्वास की रक्षा करनी चाहिए। मुझे अपना समय प्रजा की भलाई में ही लगाना चाहिए।
जंगल कहानी : पल्टू सियार का धोखा और मोनू भालू की माफ़ी :- सुजान वन में मोनू भालू और पिल्टू सियार दोनों की साईकिल की मरम्मत की दुकान थी। दोनों साईकिल के पंचर वगैरह बनाते थे। दोनों की दुकाने लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर थीं। दोनों के एक काम होने के बावजूद मोनू भालू के घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। कभी-कभी दिनभर में एक भी पंचर ठीक करने को नहीं मिल पता था। इससे उसे अत्यन्त आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ता था।